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कचनार करेगा कई रोगों को दूर, इस्‍तेमाल का तरीका जान लें

कचनार एक बेहद ही सुंदर और उपयोगी वृक्षों में से एक है। आइए इसके फायदों और औषधीय उपयोगों के बारे में आर्टिकल के माध्‍यम से जानें। 
Editorial
Updated:- 2023-01-11, 07:30 IST

बढ़ती उम्र के साथ ही सेहत से जुड़ी कई समस्‍याएं सताने लगती हैं। लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि प्रकृति ने हमें अद्भुत चीजों से नवाजा है। फ्री में मिलने वाली इन चीजों का इस्‍तेमाल करके हम हेल्‍थ से जुड़ी कई समस्‍याओं को दूर कर सकते हैं। आज हम आपको प्रकृति की देन कचनार के बारे में बता रहे हैं।

जी हां, कचनार को एक सुंदर और उपयोगी वृक्षों के रूप में जाना जाता है। कचनार आर्किड पेड़ का फल है। कचनार के फूल और कलियां कच्चे होने पर कड़वे लगते हैं लेकिन इसका इस्‍तेमाल अचार में भारी मात्रा में किया जाता है। यह मुख्य रूप से वसंत में बढ़ता है। कचनार के पत्ते ब्‍लड शुगर लेवल को कम करने और डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।

कचनार मेटाबॉलिज्‍म को बेहतर बनाने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार, कचनार पाउडर को शहद या गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से थायरॉयड असंतुलन को मैनेज करने में मदद मिलती है।

कचनार नए सेल्‍स का निर्माण कर घावों को भरता है। यह फ्री रेडिकल्‍स से लड़ने में मदद करता है और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के साथ इम्‍यूनिटी को बढ़ाता है। यह अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण सूजन में मदद करता है।

आयुर्वेद के अनुसार, जब शहद के साथ मिलाया जाता है तो यह त्वचा के लिए एक क्लींजिंग एजेंट के रूप में काम करता है और खुजली, मुहांसे, पिंपल्स आदि जैसी समस्याओं से राहत देता है। इसके कसैले गुणों के कारण त्वचा पर इसका कूलिंग प्रभाव पड़ता है। कचनार से जुड़ी जानकारी आयुर्वेदिक एक्‍सपर्ट डॉ दीक्सा भावसार ने इंस्टाग्राम पर शेयर की है।

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उन्‍होंने कैप्‍शन में लिखा, 'कचनार मेरी फेवरेट जड़ी-बूटी है और आयुर्वेदिक डॉक्टरों के बीच फेमस है क्योंकि कचनार गुग्गुलु टैबलेट का मुख्य घटक है, जिसका उपयोग थायरॉयड डिसऑर्डर, पीसीओएस, सिस्ट, कैंसर, लिपोमा, फाइब्रॉएड, बाहरी और आंतरिक वृद्धि, त्वचा रोग आदि के लिए किया जाता है।

  • गुण - लघु (पचाने में हल्का)
  • रूक्ष (सूखापन)
  • रस (स्वाद) - कषाय (कसैला)
  • विपाक (पाचन के बाद का प्रभाव) - कटु (तीखा)
  • वीर्या - शीतल (शीत)
  • प्रभाव (विशेष प्रभाव) - गंडमाला नशा - सर्वाइकल लिम्फैडेनाइटिस और सभी प्रकार की थायरॉयड जटिलताओं में उपयोगी।
  • त्रिदोष पर प्रभाव - कफ और पित्त से राहत दिलाता है।

पौधे में हेनट्रीकॉन्टेन, ऑक्टाकोसानॉल, साइटोस्टेरॉल और स्टिगमास्टरोल जैसे फाइटोकोन्स्टिट्यूएंट्स होते हैं जो पौधे की एंटीएलर्जिक गुणों में सहायक होते हैं।

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कचनार के आयुर्वेदिक गुण

kachnar flower benefits

  • कुष्टघ्न-त्वचा विकारों को दूर करता है।
  • सोफहारा - सूजन से राहत दिलाता है।
  • स्वराहार - अस्थमा से राहत दिलाता है।
  • रसायन - कायाकल्प
  • कृमिघ्न - कीड़ों के संक्रमण में उपयोगी
  • कंदुघ्न- खुजली से राहत दिलाता है।
  • विशघ्न - विषहरण में उपयोगी
  • वृनहारा - घावों में उपयोगी
  • कसहारा-खांसी से राहत दिलाता है।

कचनार के औषधीय उपयोग

kachnar flower benefits for health

  • कचनार के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण बवासीर के कारण होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। इससे मल का मार्ग आसान हो जाता है।
  • कचनार की छाल शरीर में कफ दोष की समस्या को ठीक करने में मदद करती है। यह थायरॉयड से हार्मोन के स्तर के संतुलन में असंतुलन को ठीक करने में मदद करता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि कचनार शरीर से कफ को बाहर निकालने में मदद करती है।
  • कचनार की छाल डाइजेस्टिव सिस्‍टम को बेहतर बनाने में मदद करती है, यह पेट की समस्याओं को दूर करती है। कचनार के कसैले गुणों का पाचन तंत्र पर ठंडा प्रभाव पड़ता है।
  • कचनार कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा कर देता है और इस प्रकार कैंसर को रोकता है।
  • कचनार के अर्क में इंसुलिन जैसे केमिकल्‍स होते हैं जो शुगर लेवल को कम करने और कंट्रोल में लाने में मदद करते हैं।
  • कचनार के फूल शरीर के अंदरुनी घाव को भरने में काफी कारगर होते हैं।
  • कचनार के पेड़ की छाल का पाउडर मुंह में बैक्टीरिया और कीटाणुओं से लड़ने में मदद करता है। यह बैक्टीरिया को मारने और मुंह में पीएच संतुलन बहाल करने में बहुत प्रभावी है। यह मुंह को सांसों की दुर्गंध से प्राकृतिक रूप से मुक्त रखता है।
  • कचनार के कड़वे फूल रक्त शोधक का काम करते हैं। यह महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है क्योंकि यह पीरियड्स को कंट्रोल करने में मदद करता है। यह ब्‍लड को साफ करता है और इसलिए शरीर के अन्य आवश्यक अंग, जैसे लिवर को भी साफ करता है।
  • कचनार के फूल एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक हैं जो खांसी को ठीक करते हैं और अपने एंटी-बैक्टीरियल गुणों से श्वसन पथ को साफ करते हैं।

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इस्‍तेमाल का तरीका

  • इसे प्रयोग करने का सरल तरीका इसके फूल और छाल का काढ़ा बनाकर खाली पेट सेवन करें।

नोट

औषधीय उद्देश्य के लिए इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक एक्‍सपर्ट से परामर्श करना हमेशा सबसे अच्छा होता है ताकि डॉक्टर आपको आपकी बीमारी के निदान, मेटाबॉलिज्‍म और मन-शरीर की प्रकृति के अनुसार इष्टतम खुराक का सुझाव दे सकें।

अगर आपको भी हेल्‍थ से जुड़ी कोई समस्या है तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं और हम अपनी स्टोरीज के जरिए इसका हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: Freepik & Shutterstock

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