योग के पुराने ग्रंथों के अनुसार कुल 84 आसन बताये गये हैं, आम जन के लिए यह उलझन रहती है कि कौन से आसन का नियमित अभ्यास किया जाये। आज हम जिस आसन के बारे में बात कर रहे हैं और जो सभी को बहुत पसंद आता है, जिसे हम 2019 का बेस्ट आसन भी कह सकते हैं। वह आसन, शवासन या कॉर्प्स पोज़ है।
यह एक सामान्य कहावत है कि एक घंटे के लंबे समय तक आसन करने के बाद शवासन की स्थिति में सो जाना चाहिए। परंतु वास्तविकता में शवासन वह आसन है जिसमें जागृत जागरूक आराम करना होगा। यह आसन सेशन के बाद ही करने का नहीं है बल्कि जब आप बहुत थके हों या दिनभर बहुत परिश्रम किया हो तब शवासन करें तो आश्चर्यजनक फायदे प्राप्त होंगे।
योग संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर हंसाजी जयदेव योगेंद्र का कहना है कि ''10 मिनट का व्यवस्थित शवासन हमारे 4 घंटे की नींद जितना आराम प्रदान कर सकता है। हमें इसका नियमित अभ्यास करना होगा ताकि हम इसमें पारंगत हो जायें। शवासन के अनेकानेक फायदे हमें मिलते हैं, यह व्यस्कों को, प्रौढ़ावस्था में साथ ही वृद्धावस्था में भी, कई अलग-अलग तरह से फायदा पहुंचाता है। आज के आधुनिक जीवन कई छोटे या बढ़े कारणों से हम सभी तनाव से भरे हैं। बच्चे प्रतियोगी परीक्षा को पास करने के लिये तनाव में हैं, व्यस्क अपने कार्यक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के चलते अपनी उच्च जीवनशैली को बनाये रखने के लिये, व बूढ़े आज की पीढ़ी के साथ तालमेल बिठाते-बिठाते तनावग्रस्त हैं।''
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ऊपरी सभी प्रकार के तनावों को देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि अपने मन को संतुलित व शांत बनाये रखें। शवासन ही इस समय करने का सबसे सही आसन है। शवासन से नर्वस व मस्कुलर सिस्टम बैलेंस होता है, किसी भी प्रकार की चिड़चिड़ापन दूर करता है।
इसके अलावा शवासन श्वास को नियमित और बैलेंस करता है और गहरी और धीमी गति से श्वास लेने पर आपका दिमाग भी शांत होता है, जिससे कोई भी परिस्थिति आपको भटका नहीं सकेगी। गर्मी हो या सर्दी, सही हो या गलत, कोई उकसाये या किसी चीज का बुरा लगे या किसी की नकारात्मक सोच से आप पर कोई प्रभाव पड़े तो शवासन की सहायता से इन सबका आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आसन करने का तरीका-
- चटाई पर पीठ के बल लेट जाएं।
- अपना पैरों को सीधा करके बाहर की तरफ आरामदायक दूरी बनायें।
- हाथों को शरीर के पास थोड़ी दूरी पर ढीला छोड़ दें और आंखें बंद कर लें।
- अपने शरीर को भार को गुरूत्वाकर्षण की मदद से धरती पर छोड़ते जाएं।
- अब अपना पूरा ध्यान अपने नाक की अंतिम छोर पर लगाएं या श्वास प्रश्वास से पेट को अंदर बाहर होते देखते रहें।
- इसी स्थिति में स्थिर रहकर 5 से 10 मिनट लेटे रहें।
- अगर मन में कोई विचार आ रहे हों तो उन्हें वहीं छोड़कर वापस अपना ध्यान पॉइंट पर लगाएं।
- 10 मिनट के पश्चात धीरे से अपने टोज व अंगुलियों को हिलाएं फिर आराम से एक करवट पर आ जाएं व इस स्थिति में 10 सेकंड रूकें।
- धीरे से बैठ जाएं व आंखें खोलें।
आप जब भी तनाव में हों तब अपने कार्यक्षेत्र में हों या अपने घर पर नहीं हों, इसकी प्रैक्टिस कर सकते हैं। अगर आप ट्रेवल कर रहे हों या ऑफिस में हों तब भी आंखें बंद करके अपने श्वास पर 5-10 मिनट ध्यान दे सकते हैं।
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अगर आपके आसपास बहुत शोर हैं तो उस शोर पर ही अपना ध्यान फोकस करके आप कुछ देर मेडिटेड कर सकते हैं। इस तरह से आपका ध्यान उस शोर से हट जायेगा और वह शोर आपको परेशान नहीं करेगा और यह करके आप तनावपूर्ण स्थिति से बाहर निकल सकते हैं।
अगर व्यक्ति डिप्रेशन में हो या कोई साइकोलॉजिकल समस्या हो तो वह इसे न करें।
सुबह दोपहर और शाम तीनों समय यह आसन 10 मिनट करेंगे तो आप कोई भी स्थिति को संभालने के काबिल बन जायेंगे।
शवासन हमें रोज 10 मिनट मरने का अभ्यास कराता है तो इससे आप अपना जीवन खुशहाली से जीना सीखते हैं और तनावपूर्ण स्थिति को संभाल पाते हैं।
योग के पुराने ग्रंथों के अनुसार कुल 84 आसन बताये गये हैं, आम जन के लिए यह उलझन रहती है कि कौन से आसन का नियमित अभ्यास किया जाये। आज हम जिस आसन के बारे में बात कर रहे हैं और जो सभी को बहुत पसंद आता है, जिसे हम 2019 का बेस्ट आसन भी कह सकते हैं। वह आसन, शवासन या कॉर्प्स पोज़ है।
यह एक सामान्य कहावत है कि एक घंटे के लंबे समय तक आसन करने के बाद शवासन की स्थिति में सो जाना चाहिए। परंतु वास्तविकता में शवासन वह आसन है जिसमें जागृत जागरूक आराम करना होगा। यह आसन सेशन के बाद ही करने का नहीं है बल्कि जब आप बहुत थके हों या दिनभर बहुत परिश्रम किया हो तब शवासन करें तो आश्चर्यजनक फायदे प्राप्त होंगे।
योग संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर हंसाजी जयदेव योगेंद्र का कहना है कि ''10 मिनट का व्यवस्थित शवासन हमारे 4 घंटे की नींद जितना आराम प्रदान कर सकता है। हमें इसका नियमित अभ्यास करना होगा ताकि हम इसमें पारंगत हो जायें। शवासन के अनेकानेक फायदे हमें मिलते हैं, यह व्यस्कों को, प्रौढ़ावस्था में साथ ही वृद्धावस्था में भी, कई अलग-अलग तरह से फायदा पहुंचाता है। आज के आधुनिक जीवन कई छोटे या बढ़े कारणों से हम सभी तनाव से भरे हैं। बच्चे प्रतियोगी परीक्षा को पास करने के लिये तनाव में हैं, व्यस्क अपने कार्यक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के चलते अपनी उच्च जीवनशैली को बनाये रखने के लिये, व बूढ़े आज की पीढ़ी के साथ तालमेल बिठाते-बिठाते तनावग्रस्त हैं।''
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ऊपरी सभी प्रकार के तनावों को देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि अपने मन को संतुलित व शांत बनाये रखें। शवासन ही इस समय करने का सबसे सही आसन है। शवासन से नर्वस व मस्कुलर सिस्टम बैलेंस होता है, किसी भी प्रकार की चिड़चिड़ापन दूर करता है।
इसके अलावा शवासन श्वास को नियमित और बैलेंस करता है और गहरी और धीमी गति से श्वास लेने पर आपका दिमाग भी शांत होता है, जिससे कोई भी परिस्थिति आपको भटका नहीं सकेगी। गर्मी हो या सर्दी, सही हो या गलत, कोई उकसाये या किसी चीज का बुरा लगे या किसी की नकारात्मक सोच से आप पर कोई प्रभाव पड़े तो शवासन की सहायता से इन सबका आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आसन करने का तरीका-
- चटाई पर पीठ के बल लेट जाएं।
- अपना पैरों को सीधा करके बाहर की तरफ आरामदायक दूरी बनायें।
- हाथों को शरीर के पास थोड़ी दूरी पर ढीला छोड़ दें और आंखें बंद कर लें।
- अपने शरीर को भार को गुरूत्वाकर्षण की मदद से धरती पर छोड़ते जाएं।
- अब अपना पूरा ध्यान अपने नाक की अंतिम छोर पर लगाएं या श्वास प्रश्वास से पेट को अंदर बाहर होते देखते रहें।
- इसी स्थिति में स्थिर रहकर 5 से 10 मिनट लेटे रहें।
- अगर मन में कोई विचार आ रहे हों तो उन्हें वहीं छोड़कर वापस अपना ध्यान पॉइंट पर लगाएं।
- 10 मिनट के पश्चात धीरे से अपने टोज व अंगुलियों को हिलाएं फिर आराम से एक करवट पर आ जाएं व इस स्थिति में 10 सेकंड रूकें।
- धीरे से बैठ जाएं व आंखें खोलें।
आप जब भी तनाव में हों तब अपने कार्यक्षेत्र में हों या अपने घर पर नहीं हों, इसकी प्रैक्टिस कर सकते हैं। अगर आप ट्रेवल कर रहे हों या ऑफिस में हों तब भी आंखें बंद करके अपने श्वास पर 5-10 मिनट ध्यान दे सकते हैं।
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अगर व्यक्ति डिप्रेशन में हो या कोई साइकोलॉजिकल समस्या हो तो वह इसे न करें।
सुबह दोपहर और शाम तीनों समय यह आसन 10 मिनट करेंगे तो आप कोई भी स्थिति को संभालने के काबिल बन जायेंगे।
शवासन हमें रोज 10 मिनट मरने का अभ्यास कराता है तो इससे आप अपना जीवन खुशहाली से जीना सीखते हैं और तनावपूर्ण स्थिति को संभाल पाते हैं।
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