योग हमारी तंदुरूस्ती लाने में हेल्प करता है, कल्याण करता है। इतना हीं नहीं यह लचीलापन और एनर्जी के बैलेंस को बढ़ाने में और तनाव को हटाने की शक्ति रखता है। थायरॉयड और तनाव में जरूर कोई जुड़ाव है। योग सभी तरह के थायरॉयड के बैलेंस में मदद करता है जो या तो बढ़ा हुआ हो या कम हो। शोध बताते हैं कि योग प्राकृतिक रूप से थायरॉयड की समस्या को सुधार सकता है और उपचार कर सकता है। यौगिक जीवन शैली से तनाव दूर होता है और जिंदगी खुश और आसान बनती है। कई योग आसनों से आपको थायरॉयड में सुधार लाने में हेल्प मिलती है। बस आपको अपनी शारीरिक क्षमताओं का ध्यान रखना होगा। जिन यौगिक पोजों में गले में हलचल होती है वह सामान्य रूप से थायरॉयड में मदद मिलती है। गले मे थायरॉयड ग्लैंड के एनर्जी के बहाव और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार लाता है। यह आपकी गर्दन की मसल्स को भी ताकत और स्ट्रेच देते हैं। योग संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर हंसाजी जयदेव योगेंद्र आज हमें कुछ योगासन के बारे में बता रहे हैं जिन्हें करने से थायरॉयड में सुधार में हेल्प मिलेगी। आइए जानें कौन से है ये योगासन।
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1. सर्वांगासन
यह कंधे पर अपने आपको उठाना थायरॉक्सीन को कंट्रोल करने व थायरॉयड ग्लैंड को कंट्रोल करने में मदद करेगा। यह आसन उल्टी तरह होने से ब्लड को पैरों की तरफ से ब्रेन तक बहता है, जो थाइरॉयड समस्या में हेल्प करता है।
2. भुजंगासन
यह आसान आसन गले व गर्दन के भाग को अच्छी तरह से स्ट्रेच देता है, इस वजह से थायरॉयड की समस्या में राहत मिलती है। गर्दन का दर्द भी कम करने में हेल्प करता है, यहां के स्नायु को दृढ़ और मजबूत बनाता है।
3. मत्स्यासन
मत्स्यासन या मछली का पोज बनाने से गले को खिंचाव मिलता है, तनाव कम करता है, जोड़ों को कड़क होने से रोकता है, शरीर को आराम देता है और थायरॉयड की वजह से जो तनाव या मूढ में उतार-चढ़ाव आते हैं उसे ठीक करता है।
4. सेतुबंधआसन
सेतु के आकार का पोज बहुत ही आसान है, यह सीधे थायरॉयड ग्लैंड व गले की मसल पर अच्छा खिंचाव देता है। सेतुबंधआसन दिमाग शांत करने मदद करता है, तनाव या व्यग्रता को दूर करता है साथ ही डाइजेशन को सुधारता है।
5. प्राणायाम
प्राणायाम जैसे कि उज्जयी, भ्रामरी, डायफ्रोमेटिक ब्रीदिंग और नाड़ीशोधन प्राणायाम थायरॉयड को बेलेंस करने में मदद करते हैं। यह गले की मसल पर सीधे असर डालता है, और अच्छी तरह काम करने में मदद करता है।
6. मेडीटेशन
ध्यान के साथ मंत्र जप भी थायरॉयड के लिये बहुत असरकारक है। सिर्फ थोड़ी देर ही किया ध्यान मन को शांत तथा तनाव को कम करता है।
7. शवासन
शवासन सबसे अच्छा है जो हमने आखिरी के लिये बचाया है। शवासन दोनों प्रकार - हाइपर और हाइपोथायरॉयड की समस्या में काम करता है। यह मन को शांत करता है साथ ही तनाव को कम करने सहायक है।
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इसके अलावा संपूर्ण और पूरी तरह से नींद लेना बहुत आवश्यक है। शरीर कुदरती तौर पर मेलाटेनिन हार्मोन छोड़ता है इसलिये अच्छी नींद मिलती है तो समय पर सोने व उठने की साइकिल सुधरती है। 10 बजे आपको सो जाना चाहिए। जब हम सोते हैं तो पीनियल ग्लैंड अच्छे से काम कर पाती है जिससे हमारे शरीर के हार्मोन्स को बैलेंस करने में हेल्प मिलती है।
यह राय दी जाती है कि आप यौगिक तकनीकों को सीखें व उनका अभ्यास किसी काबिल यौगिक शिक्षक के मार्गदर्शन में करें। योग आपके शरीर, दिमाग और श्वास में आश्चर्यजनक फायदा कर सकता है, पर वह तभी मुमकिन है जब आप नियमित अभ्यास करें व पूरी जागरूकता के साथ करें। इसका यह भी मतलब नहीं है कि आप थायरॉयड की दवाइयां लेना बंद कर दें यह केवल आप अपने डॉक्टर से पूछकर ही करें। आप इन यौगिक तकनीकों को अपने जीवन शैली का हिस्सा ही बना लीजिए न कि सिर्फ योग के नाम पर एक घंटा चटाई पर। आप अपने जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाइये योग एक जीवन जीने का तरीका है अभ्यास रोज करें व ध्यानपूर्वक अपनी क्षमता का ध्यान रखें। यह आपके थायरॉयड को सुधारने में भरपूर रूप से मदद करेगा।
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