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How to include prebiotics in diet

इन फूड्स से मिलते हैं सबसे ज्यादा नेचुरल प्रीबायोटिक्स

अगर आप अपनी डाइट में नेचुरल प्रीबायोटिक्स रखती हैं तो ये आपकी सेहत के लिए और डाइजेशन के लिए बहुत अच्छा होगा। जानिए नेचुरल डाइट सोर्स के बारे में। 
Editorial
Updated:- 2023-03-07, 13:29 IST

भारत में अगर सबसे ज्यादा किसी बीमारी से लोग परेशान रहते हैं तो वो है पेट की बीमारी। हमारी हेल्थ और डाइट की आदतें सही नहीं हैं और इसके कारण सेहत भी खराब रहती है। लाइफस्टाइल में बदलाव करने की जगह हम सप्लीमेंट्स खाना पसंद करते हैं। ये जरूरी है कि शरीर में हेल्दी माइक्रो ऑर्गेनिज्म बनें जिससे डाइजेशन सही रहे। प्रीबायोटिक शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं और ये आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया की ग्रोथ कर पाचन तंत्र को सही रखते हैं।

प्रीबायोटिक असल में प्लांट बेस्ड फाइबर होते हैं जो शरीर में फर्टिलाइजर की तरह काम करते हैं जिससे आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया पनपता है। अगर पेट सही होगा तो बीमारियां भी कम होंगी ये तो सही है, लेकिन आखिर नेचुरल प्रोबायोटिक्स होते क्या हैं?

तापसी पन्नू की न्यूट्रिशनिस्ट मुनमुन गनेरीवाल अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर फिटनेस और डाइट से जुड़ी कई स्टोरीज शेयर करती रहती हैं। हाल ही में उन्होंने प्रोबायोटिक्स और डाइट सोर्स को लेकर एक पोस्ट शेयर की है। उनकी पोस्ट में ये बताया गया है कि प्रीबायोटिक कौन से होते हैं और नेचुरल डाइट सोर्स क्या है।

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अपने मील्स में जरूर शामिल करें प्रीबायोटिक्स

प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स दोनों में बहुत अंतर होता है, लेकिन ये असल मायने में काम एक ही करते हैं। प्रीबायोटिक्स को अगर मील में किसी तरह से शामिल किया जाए तो शरीर धीरे-धीरे हेल्दी होता है। मुनमुन जी के अनुसार आपको अपनी डाइट में कम से कम दो मील्स में प्रीबायोटिक्स शामिल करने चाहिए।

प्रीबायोटिक्स और उनके डाइट सोर्स...

अब बात करते हैं किस तरह के प्रीबायोटिक होते हैं और उनके नेचुरल डाइट सोर्स क्या-क्या हैं। मुनमुन जी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इससे जुड़ी बातें शेयर की हैं।

prebiotics and issues

1. रेसिस्टेंट स्टार्च

इसमें हरा केला, कमल के बीज, बाजरा, चावल, आलू, सफेद बीन्स, मटर, दाल और लेगुम्स होता है।

2. बीटा ग्लूकेन

इसमें बाजरा, ओट्स और खाने वाले मशरूम शामिल होते हैं। ये चीजें बीटा ग्लूकेन से भरपूर हैं।

3. पेक्टिन्स

इसमें फल जैसे सेब, अनानास, अमरूद, प्लम, संतरा और आंवला शामिल है। इन फलों में विटामिन-सी भी शामिल होता है।

4. इंसुलिन

पके हुए केले, प्याज, गेहूं, लहसुन और चिकोरी की जड़ में इंसुलिन भरपूर मात्रा में होता है।

5. फ्रूक्टो-ऑलिगोसाचाराइड्स

इसे हरा केला, टमाटर, गन्ने, गेहूं और बाजरे में पाया जा सकता है।

6. गेलेक्टो-ऑलिगोसाचाराइड्स

दाल, राजमा, चना, लीमा बीन्स, गाय का दूध और ब्रेस्ट मिल्क में काफी मात्रा में GOS मौजूद होता है।

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7. गेलेक्टोमानेन

इसे आप गवार फली और मेथी के बीज से पा सकते हैं। ये प्रीबायोटिक इनमें भरपूर मात्रा में होता है।

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8. ट्री गम एक्सूडेट्स

ये गोंद में होता है और गोंद के लड्डू आदि खाने से ये मिल सकता है।

क्या डाइट में रेगुलर प्रीबायोटिक्स लेना सही है?

आपकी डाइट में रेगुलर प्रीबायोटिक्स फायदा ही पहुंचाएंगे, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप बिना अपनी हेल्थ कंडीशन देखे कुछ भी डाइट में शामिल कर लें। आपको ये ध्यान रखना होगा कि हर किसी का शरीर अलग होता है और शरीर में किस चीज की कमी है उसके आधार पर ही डाइट निश्चित करनी चाहिए। अगर आपको अपनी डाइट को ठीक करना है तो पहले किसी एक्सपर्ट से बात करें और उसके बाद ही अपनी डाइट में बदलाव करें।

डाइट से जुड़ी आपकी क्या समस्या है उसके बारे में हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपनी स्टोरीज के जरिए आपकी समस्या हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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