हिंदुस्तान में टॉयलेट जाने को लेकर एक खास तरह की पोजीशन में बैठने का नियम है। कई लोग उसी पोजीशन में स्क्वेट्स करते हुए टॉयलेट में बैठते हैं। धीरे-धीरे वेस्टर्न टॉयलेट्स के प्रचलित होने के कारण बैठने की पोजीशन भी बदल गई है।
हममे से कई लोग हैं जो कॉन्स्टिपेशन जैसी समस्या से पीड़ित रहते हैं और पेट दर्द, गैस, पेट में मरोड़ आदि को लेकर परेशान होते हैं। इसके लिए कई दवाएं भी उपलब्ध हैं और लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करने को भी कहा जाता है। पर क्या आप जानते हैं हमारे फ्रेश होने के तरीके का भी हमारे कॉन्स्टिपेशन पर बहुत असर पड़ता है?
इन दिनों एक नया ट्रेंड चल निकला है जिसमें टॉयलेट सीट पर बैठे हुए पैरों के नीचे स्टूल या कोई ऐसी ही चीज़ रखने के लिए कहा जा रहा है। इसे लेकर बाकायदा स्टडी भी की गई है और इसके फायदे भी बताए गए हैं। पर क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है?
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इसे लेकर Ohio State University की एक रिसर्च बताती है कि वैसे तो इसे लेकर कोई मेडिकल डेफिनेशन नहीं है और इसे आधिकारिक तौर पर सत्यापित भी नहीं किया जा सकता है, लेकिन ये डिवाइस कॉन्स्टिपेशन जैसी स्थिति में या ब्लोटिंग के दौरान फ्रेश होने जाते समय मददगार साबित हो सकते हैं।
इस स्टडी में 52 लोगों का डेटा लिया गया था जिसके बारे में ऑनलाइन जर्नल Journal of Clinical Gastroenterology में बताया गया था। इनमें से 44 प्रतिशत को रेगुलर बाउल मूवमेंट में समस्या होती है और इस स्टडी में उन्हें 4 हफ्तों के लिए पैरों के नीचे स्टूल रखकर टॉयलेट इस्तेमाल करने के लिए कहा गया। 4 हफ्तों के बाद 71 प्रतिशत लोगों का कहना था कि उनके बाउल मूवमेंट्स आसान हुए हैं और साथ ही साथ 90 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें पेट में बहुत ज्यादा प्रेशर लगाने की जरूरत महसूस नहीं हुई।
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इसका सीधा सा मतलब ये है कि कहीं ना कहीं टॉयलेट स्टूल कॉन्स्टिपेशन की समस्या को हल करने में मदद कर सकता है।
अब बात करते हैं टॉयलेट स्टूल के फायदों के बारे में जिनके कारण आप ये एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं।
अगर आपको बहुत ज्यादा गैस से जुड़ी समस्याएं होती हैं तो स्क्वेट्स कर पॉटी करने से आपकी बॉडी पोजीशन बहुत ही अच्छी बनेगी। ये कॉन्स्टिपेशन और हेमरॉइड्स की समस्या के दौरान भी बेहतर साबित हो सकता है।
कई लोगों को ये लगता है कि उनके मोशन काफी सख्त होते हैं और ऐसे में उन्हें आसानी से मोशन करने के लिए ये स्टूल वाली पोजीशन काफी मदद कर सकती है। इस तरह से आपके पेट पर इंटेस्टाइन की जगह पर दबाव पड़ेगा।
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दरअसल, स्क्वेट्स कर पॉटी करते समय अगर आपके एनल कनाल और रेक्टम का एंगल सही होता है तो कॉन्स्टिपेशन की समस्या में राहत मिलती है और इसलिए इसे बेहतर माना जाता है।
कुल मिलाकर अगर आप इस तरह से पॉटी करते हैं तो आपको ज्यादा फायदा मिल सकता है। अगर आपको मोशन से जुड़ी कोई गंभीर समस्या है तो पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। ये मोशन में मदद कर सकता है, लेकिन किसी हेल्थ इश्यू को ठीक नहीं कर सकता है।
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