हर व्यक्ति के मन में कई तरह के भाव होते हैं, जिसमें खुशी व घृणा के अलावा डर भी शामिल होता है। अमूमन लोगों को कई चीजों से डर लगता है। वहीं, कुछ लोगों को कुछ खास चीज या स्थिति से फोबिया होता है। यह देखने में आता है कि लोग डर व फोबिया दोनों को एक ही समझने की भूल कर बैठते हैं। जबकि वास्तव में इन दोनों में काफी अंतर होता है।
हो सकता है कि आप भी अपने सामान्य डर को फोबिया समझते हों। लेकिन वास्तव में यह दोनों आपस में अलग हैं। ऐसे में आप इनके लक्षणों के आधार इनकी पहचान कर सकते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि डर और फोबिया के बीच क्या अंतर होता है-
डर क्या है?
डर वास्तव में एक इमोशनल रिस्पॉन्स है। जब एक व्यक्ति को किसी स्थिति में खतरे का आभास होता है तो ऐसे में प्रतिक्रिया के रूप में उसे डर लगता है। कभी-कभी कोई नेगेटिव एक्सपीरियंस भी व्यक्ति के डर को जन्म दे सकता है। मसलन, अगर बचपन में किसी व्यक्ति को कुत्ते ने काटा हो तो हो सकता है कि वह बड़े होने के बाद भी कुत्तों से डरता हो।
इसके अलावा, बच्चों के मन में कुछ चीजों के प्रति डर बड़ों को देखकर व उनकी बातें सुनकर भी पैदा हो सकता है। लेकिन एक बार जब व्यक्ति हिम्मत जुटाकर अपने डर का सामना करता है तो उसके मन का यह डर आसानी से निकल भी जाता है।
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फोबिया क्या है?
फोबिया में व्यक्ति को किसी ऐसी चीज से डर या भय लगता है, जिससे वास्तव में उसे कोई खतरा नहीं है। यही कारण है कि फोबिया को कभी-कभी बेवजह का डर भी कहा जाता है। फोबिया के प्रति प्रतिक्रिया इतनी इंटेंस होती है कि व्यक्ति इसके कारण अपने रोजमर्रा के काम भी ठीक ढंग से नहीं कर पाता है। व्यक्ति को किसी एक खास चीज या स्थिति से फोबिया हो सकता है और सिर्फ उसके बारे में सोचने से ही व्यक्ति को घबराहट या एंग्जाइटी हो सकती है।
मसलन, अगर किसी व्यक्ति को ट्रिपैनोफोबिया है तो वह व्यक्ति सुई से इतना डरता है कि इंजेक्शन से बचने के चक्कर में वह अपने जीवन को भी खतरे में डालने से गुरेज नहीं करता है। यहां तक कि इंजेक्शन के बारे में सोचने से ही उसका शरीर कांपने लगता है और पसीना आने लगता है।
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डर और फोबिया में अंतर
डर और फोबिया के बीच कुछ अंतर होते हैं। मसलन-
- डर एक नेचुरल इमोशनल रिएक्शन है, जबकि फोबिया एक तरह का एंग्जाइटी डिसऑॅर्डर होता है।
- डर के पीछे कोई खास वजह होती है, लेकिन फोबिया का कोई आधार नहीं होता है। यहां तक कि व्यक्ति खुद भी इस बारे में जानता है, परन्तु फिर भी वह अपने मन में बसे फोबिया को दूर नहीं कर पाता है।
- जब व्यक्ति किसी तरह के डर की गिरफ्त में होता है, तो वह खुद हिम्मत करके उसका सामना कर सकता है। लेकिन जब व्यक्ति को किसी खास चीज का फोबिया होता है तो वह चाहकर भी खुद से उससे बाहर नहीं आ पाता है। अपने मन के फोबिया को दूर करने के लिए व्यक्ति को मनोचिकित्सक की मदद की आवश्यकता होती है। यहां तक कि व्यक्ति को इससे बाहर आने में काफी वक्त लग सकता है।
- डर के कारण व्यक्ति की डे टू डे लाइफ इफेक्ट नहीं होती है, लेकिन फोबिया के कारण व्यक्ति अपनी दैनिक गतिविधियों को भी सही ढंग से नहीं कर पाता है। (नंबरों से लगता है डर?)
- तो अब आपको भी डर और फोबिया के बीच के अंतर के बारे में पता चल गया होगा। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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