
शनि को हमेशा से ही कर्म दाता के रूप में देखा जाता है और उन्हें सभी राशियों के एक कठोर शिक्षक के रूप में देखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि साढ़े साती और शनि महादशा उनकी सबसे कठिन परीक्षाएं हैं। ज्योतिष में ये दोनों ही गहन परिवर्तनकारी काल हैं, लेकिन इनका प्रभाव अलग-अलग स्तरों पर होता है। एक भावों के माध्यम से, तो दूसरा संरचना के माध्यम से। ये दोनों मिलकर आपकी धैर्य, जिम्मेदारी और कर्म को संभालने की क्षमता की परीक्षा लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि की साढ़े साती और महादशा कई बार आपके जीवन में समस्याओं का कारण बन सकती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि शनि की साढ़े साती और महादशा में क्या अंतर होता है और इनमें से कौन सी ज्यादा समस्याओं का कारण बन सकती है।
साढ़े साती का शाब्दिक अर्थ है 'साढ़े सात', जो लगभग साढ़े सात वर्ष की उस अवधि को दिखाता है जब शनि आपकी चंद्र राशि से बारहवें, प्रथम और द्वितीय भाव में गोचर करता है। हालांकि, यह साढ़े सात साल का चक्र हमेशा एक सीधी रेखा में नहीं चलता है। शनि की गति वक्री या सीधी चाल के आधार पर, इसके प्रभाव जीवन में अलग तरह के रूप ले सकते हैं।

वैदिक ज्योतिष में साढ़ेसाती सबसे महत्वपूर्ण ग्रह चरणों में से एक मानी जाती है क्योंकि यह चंद्रमा को सीधे रूप में प्रभावित करती है, जो भावनाओं और मन का केंद्र होती है। इस गोचर के दौरान, शनि की धीमी और स्थिर ऊर्जा आपको भावनात्मक रूप से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। इस समय को दंड नहीं बल्कि आत्म-संयम, धैर्य और सहनशीलता सिखाने के लिए माना जाता है। साढ़ेसाती को तीन चरणों में विभाजित किया जाता है।
पहला चरण-आत्मनिरीक्षण और वैराग्य लाता है। आप दिनचर्या से दूर या अलग-थलग महसूस कर सकते हैं।
दूसरा चरण- यह चरण अक्सर भावनात्मक रूप से सबसे तीव्र होता है। इस दौरान जिम्मेदारियां बढ़ती हैं और सहनशक्ति की परीक्षा होती है।
तीसरा चरण-शनि परिवार, वित्त और आत्म-सम्मान के बारे में सबक सिखाता है। यह स्पष्टता, स्थिरता और ज्ञान के साथ समाप्त होता है।
जहां शनि की साढ़ेसाती भावनाओं पर केंद्रित होती है, वहीं शनि महादशा जीवन की व्यवस्था पर केंद्रित होती है। यह लगभग 19 वर्षों तक चलती है और किसी व्यक्ति के जीवन में सबसे लंबी ग्रह अवधियों में से एक मानी जाती है। शनि महादशा के दौरान, शनि किसी व्यक्ति की कुंडली का सबसे प्रमुख ग्रह बन जाता है और आपके जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करता है जैसे करियर, वित्त, रिश्ते और स्वास्थ्य। यदि शनि अच्छी स्थिति में होता है तो यह अवधि बड़ी उपलब्धियां और सम्मान ला सकती है। यदि यह कमजोर या पीड़ित हो, तो कार्यों में देरी और बाधाएं बनी रहती हैं। शनि महादशा के लिए 19 वर्षों का समय लगता है।
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इन दोनों दशाओं पर शनि का शासन होता है, लेकिन मुख्य अंतर इस बात में निहित होता है कि वो आपको किस प्रकार और कहां प्रभावित करती हैं। शनि की साढ़े साती के चंद्र राशि में गोचर के दौरान विशिष्ट क्षेत्रों को प्रभावित करती है। वहीं शनि महादशा एक लंबी अवधि के लिए जीवन की समग्र दिशा को नियंत्रित करती है। साढ़े साती जीवन में लगभग साढ़े सात साल तक चलती है वहीं शनि महादशा 19 सालों तक चलती है। आपकी जन्म कुंडली में चंद्रमा के चारों ओर शनि की गति पर निर्भर करती है।
साढ़े साती तब शुरू होती है जब शनि आपकी चंद्र राशि से पहले वाली राशि में प्रवेश करता है और तब समाप्त होती है जब वह चंद्र राशि के बाद वाली राशि से बाहर निकलता है। शनि महादशा आपकी जन्म कुंडली में शनि की स्थिति और बल से प्रेरित होती है।
शनि की साढ़े साती और महादशा दोनों का ही जीवन में मिले-जुले प्रभाव होते हैं, लेकिन इनके बीच के अंतर को जानते हुए ही जीवन में उसके अनुसार उपाय आजमाने चाहिए।
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