
इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग होना किसी भी महिला को डर या चिंता में डाल सकता है। मेडिकल भाषा में इसे पोस्टकॉइटल ब्लीडिंग कहा जाता है। कई बार यह हल्की और सामान्य कारणों जैसे ज्यादा रफ इंटरकोर्स, पर्याप्त लुब्रिकेशन की कमी या हल्की चोट से होता है। कभी-कभी यह हेल्थ से जुड़ी समस्याओं जैसे इंफेक्शन, हार्मोनल बदलाव, सर्विक्स की परेशानी या किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
डॉक्टर काजल सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट, एनआईआईएमएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) के अनुसार, यह समस्या किसी भी उम्र की महिलाओं में देखी जा सकती है, चाहे वह युवती हों, नई शादीशुदा या मिड-एज और मेनोपॉज के बाद की महिलाएं।
डॉक्टर ने बताया कि कई महिलाएं इस ब्लीडिंग को नजरअंदाज कर देती हैं, लेकिन सही समय पर कारण समझना और चेकअप करवाना जरूरी है। इससे यह पता चलता है कि ब्लीडिंग सामान्य कारणों से हुई है या फिर यह किसी ऐसे समस्या की ओर इशारा कर रही है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
इंटरकोर्स के बाद वजाइना से ब्लीडिंग होना ही पोस्टकॉइटल ब्लीडिंग कहलाता है। यह कोई बीमारी नहीं, बल्कि लक्षण है। ब्लड कभी-कभी सिर्फ हल्का स्पॉटिंग जैसा होता है और कभी थोड़ा ज्यादा। आइए इंटरकोर्स के बाद होने वाली ब्लीडिंग के कारणों के बारे में जानते हैं।

गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) बेहद नाज़ुक होता है। यदि इसमें सूजन, इंफेक्शन या पॉलीप्स (छोटे मांस के उभार) हों, तो इंटरकोर्स के बाद हल्का ब्लड आ सकता है।
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सर्दियों में मेनोपॉज या ब्रेस्टफीडिंग के समय वजाइना में नेचुरल लुब्रिकेशन कम हो जाता है। लुब्रिकेशन की कमी इंटरकोर्स के दौरान घर्षण बढ़ता है और वजाइना में छोटे-छोटे कट लग जाते हैं, जिससे ब्लड आ जाता है।
क्लैमाइडिया, गोनोरिया या ट्राइकोमोनास जैसे STIs से वजाइना और सर्विक्स में सूजन होने लगती है। सूजन के कारण टिश्यु ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं और इंटरकोर्स के बाद ब्लड आने लगता है।

बर्थ कंट्रोल पिल्स, हार्मोनल उतार-चढ़ाव या अनियमित पीरियड्स, वजाइना और सर्विक्स के टिश्यु को पतला बना देते हैं, जिससे ब्लीडिंग को खतरा बढ़ जाता है।
बहुत कम मामलों में, यह ब्लीडिंग सर्विक्स या वजाइना कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है। इसलिए, लगातार होने वाली ब्लीडिंग को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
डॉक्टर अमिता शाह के अनुसार, इन स्थितियों में तुरंत गायनेकोलॉजिस्ट से मिलें।
इंटरकोर्स के बाद हल्का ब्लीडिंग होने से हमेशा बड़ी समस्या नहीं होती, लेकिन अगर यह बार-बार हो रहा है या दर्द, बदबू या असुविधा के साथ है, तो इसे नजरअंदाज न करें। रेगुलर गायनेकोलॉजिकल चेकअप आपके रिप्रोडक्टिव हेल्थ को सुरक्षित रखते हैं और समस्याओं का समय पर इलाज हो सकता है।
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