महिलाएं प्रेग्‍नेंसी और पीरियड्स के दौरान कर सकती हैं ये 3 योग

आज हम आपको योग के कुछ ऐसे आसन के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी और पीरियड्स के दौरान करना चाहिए।

Pooja Sinha
yoga during pregnancy and periods by expert

योग एक समग्र और सुरक्षित अभ्यास है जिसे उम्र या लिंग की परवाह किए बिना कोई भी कर सकता है। हालांकि, पीरियड्स और प्रेग्‍नेंसी के दौरान, ऐसे योगासन करने चाहिए जो स्वभाव से कोमल हों। साथ ही यह महत्वपूर्ण है कि किसी एक्‍सपर्ट के मार्गदर्शन में योग का अभ्यास करें।

इस समय के दौरान कुछ आसनों से बचने की आवश्यकता होती है जिसमें उलटा, लापरवाह स्‍ट्रेच, पीठ का झुकना, पेट में मरोड़ और तीव्र आसन शामिल हैं। प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती दिनों में कार्डियो और हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज रूटीन से बचें। यह मतली की स्थिति को बढ़ा सकता है और भ्रूण के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

इन शांत और दृढ आसनों का पालन करें जो आसान प्रसव की अनुमति देने के साथ-साथ शरीर में किसी भी दर्द को समाप्त कर सकते हैं। प्रेग्‍नेंसी और पीरियड्स के दौरान महिलाएं सक्रिय रहने के लिए इन निम्नलिखित आसनों को चुन सकती हैं। इन आसनों के बारे में हमें योग मास्टर, स्पिरिचुअल गुरु और लाइफस्टाइल कोच, ग्रैंड मास्टर अक्षर जी बता रहे हैं। आइए इसे करने के तरीके और फायदों के बारे में आर्टिकल के माध्‍यम से विस्‍तार में जानें। साथ ही कुछ सावधानियों के बारे में भी जानते हैं।

पीरियड्स और प्रेग्‍नेंसी के दौरान किये जाने वाले योगासन

1. मार्जरीआसन

Adho Mukhi Marjari Asana

उर्ध्व मुखी मार्जरी आसन

  • धीरे-धीरे सहारा लें और घुटनों को नीचे रखें।
  • हथेलियों को कंधों के नीचे और घुटनों को कूल्हों के नीचे संरेखित करें।
  • श्वास अंदर लें और ऊपर देखने के लिए रीढ़ को मोड़ें।

अधोमुखी मार्जरी आसन

  • सांस छोड़ें और रीढ़ को झुकाएं।
  • फिर नाभि को देखते हुए गर्दन को नीचे आने दें।

2. बद्ध कोणासन

  • पैरों को फैलाकर बैठें।
  • पैरों को मोड़ें और पैरों के तलवों को एक साथ लाएं।
  • यहां पर रुकें और सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे माथे को फर्श की ओर लाएं।

3. सुखासन

Sukhasana during pregnancy

  • बेझिझक बैठने के लिए कुशन तकिए और अन्य प्रॉप्स का सहारा लें।
  • पैरों को आगे बढ़ाएं और धीरे से दाहिने पैर और बाएं पैर को टखनों पर पार करते हुए मोड़ें।
  • पीठ को सीधा रखें और धीरे से आंखें बंद करें।
  • हथेलियों को घुटनों पर ऊपर की ओर रखें।

बीज ध्यान/ आरंभ ध्यान

हमें अपने पालन-पोषण और पारिवारिक वातावरण के आधार पर वातानुकूलित तरीके से प्रतिक्रिया करने की आदत है। जीवन की परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करने का यह तरीका हमारे विकास और व्यक्तिगत सफलता के लिए बेहद प्रतिकूल है। आरंभ ध्यान या बीज ध्यान इस स्वचालित प्रतिक्रिया प्रणाली को नियंत्रित और परिवर्तित करता है जो हमारे भीतर निहित है।

सिद्धोहम क्रिया

इस ध्यान तकनीक के कई फायदे हैं। यह मन को शांत करता है और शरीर को फिर से जीवंत करता है, तनाव और चिंता से राहत देता है। यह हमें स्वस्थ रखते हुए रक्तचाप को भी संतुलित करता है। नियमित अभ्यास से हमारी एकाग्रता और रचनात्मकता आदि में सुधार होता है। योग और आध्यात्मिकता हमें सक्रिय रखती है और आशावादी बने रहने में मदद करती है।

सावधानी

इस बात का ध्‍यान रखें कि कि प्रेग्‍नेंसी के दौरान किसी भी प्रकार के योगासन का अभ्यास करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती दिनों में, बहुत अधिक कूदने और तेज पोज करने से बचने की सलाह दी जाती है। इसके पीछे कारण यह है कि कूदना या कार्डियो-आधारित गतिविधियां अधिक मिचली ला सकती हैं।

इसकी बजाय, चिकित्सीय योग चुनें जो कि पुनर्स्थापनात्मक और ग्राउंडिंग हो सकता है। सुखासन, वज्रासन, बद्ध कोणासन आदि आसन इस समय के दौरान लाभकारी होते हैं। ये ऐसे आसन हैं जो भ्रूण के विकास में मदद करते हैं और विभिन्न जटिलताओं को दूर रखते हैं।

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उन सभी योग आसनो से बचें, जिनमें शरीर को अत्यधिक खिंचाव की आवश्यकता होती है, जैसे कि उष्ट्रासन, मत्स्यासन, चक्रासन आदि। दूसरे या तीसरे तिमाही के दौरानगहरे खिंचाव से स्नायुबंधन या पेल्विक जोड़ों में चोट लग सकती है। महिलाओं को दूसरी या तीसरी तिमाही में इनवर्जन पोज जैसे शोल्डर स्टैंड, हैंडस्टैंड, व्हील पोज़, प्लो पोज़, हेडस्टैंड, डाउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज का अभ्यास करने से भी बचना चाहिए।

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