
आज के समय में ज्यादातर लोग वजन बढ़ने की समस्या से परेशान हैं। वजन जितनी तेजी से बढ़ जाता है, उसे कम करना उतना ही मुश्किल होता है। इसके लिए लोग जिम करते हैं, स्ट्रिक्ट डाइट रूटीन फॉलो करते हैं। वहीं डाइट में प्रोटीन से भरपूर चीजों को शामिल करते हैं। प्रोटीन की बात जब भी आती है, तो लोग अंडे को प्राथमिकता देते हैं। आमतौर पर लोग उबला हुआ अंडा खाना पसंद करते हैं।
अंडे को हमेशा से एक हेल्दी और पौष्टिक खाना माना जाता है। इसमें प्रोटीन, अच्छे फैट और कई जरूरी विटामिन होते हैं, लेकिन अक्सर लोग कंफ्यूज रहते हैं कि अंडे को कैसे खाया जाए, बॉयल्ड, पोच्ड या ऑमलेट बनाकर? इसी सवाल का जवाब मिलता है एक स्टडी से जो American Chemical Society (ACS) के Journal of Agricultural and Food Chemistry में प्रकाशित हुई है।
इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने ये समझने की कोशिश की कि बॉयल्ड, पोच्ड और ऑमलेट जैसे अलग-अलग तरीकों में पकाए गए अंडों की डाइजेशन क्षमता और पोषक तत्वों की मौजूदगी कैसे बदल जाती है।
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जब हम अंडे को उबालते हैं, पोच करते हैं, या ऑमलेट बनाते हैं, तो सिर्फ उसका स्वाद ही नहीं बदलता, बल्कि उसकी अंदर की बनावट (माइक्रोस्कोपिक संरचना) भी बदल जाती है। उबला अंडा बहुत सख्त और घनी (compact) बनावट वाला होता है। वहीं, पोच्ड अंडा (Poached Egg) नरम और हल्का जेली जैसा होता है। ऑमलेट में पीला पार्ट (जर्दी) और सफेद भाग अच्छे से मिल जाते हैं और तेल/मक्खन के कारण ये फूला हुआ (spongy) बन जाता है।
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अंडे की ये अलग-अलग बनावट हमारे डाइजेशन पर असर डालती है। हर तरह के अंडे की बनावट अलग है, इसलिए हमारे शरीर के डाइजेशन एंजाइम उन पर अलग-अलग तरह से काम करते हैं। इसी वजह से ये फर्क पड़ता है कि अंडे में मौजूद कितना प्रोटीन, फैट और विटामिन हमारे शरीर को पूरी तरह से मिल पाता है।
ये जानने के लिए कि अंडा शरीर में कैसे डाइजेस्ट होता है, ACS की रिसर्च ने लैब में एक नकली पाचन प्रणाली तैयार की थी। ये सिस्टम बुजुर्गों के पेट जैसी थी, क्योंकि उनकी पाचन शक्ति थोड़ी कम होती है। शोधकर्ताओं ने देखा कि अलग-अलग तरह से पकाए गए अंडे कितनी आसानी से टूटते हैं और उनके पोषक तत्व शरीर को कितनी आसानी से मिल पाते हैं। पोच्ड अंडा (Poached Egg) सबसे बेहतर रहा। इसका प्रोटीन और फैट सबसे अच्छी तरह से टूटा, यानी शरीर के लिए इसके पोषक तत्वों को पाना सबसे आसान था।
वहीं उबला अंडा (Boiled Egg) भी अच्छे से डाइजेस्ट हुआ, लेकिन ये पोच्ड अंडे जितना आसान नहीं था, यानी पचाने में थोड़ा-सा ज्यादा समय लगा। ऑमलेट को डाइजेस्ट होने में सबसे ज्यादा समय लगा। कमजोर डाइजेशन वाले पेट में इसका प्रोटीन 37% तक कम टूटा। इसका मतलब है कि ऑमलेट से पोषक तत्वों को निकालना शरीर के लिए सबसे कठिन होता है।
विटामिन A तीनों तरह के अंडों में स्टेबल रहा, लेकिन विटामिन डी3 की मौजूदगी कमजोर डाइजेशन की कंडीशन में थोड़ी कम हो गई।
इस स्टडी में सीधे तौर पर वजन घटाने को नहीं मापा गया, पर इसके नतीजे वजन कंट्रोल (Weight Management) के लिए बहुत जरूरी हैं। वजन कम करने के लिए दो चीजें सबसे खास होती हैं, प्रोटीन का सही इस्तेमाल और कम कैलोरी खाना।
शोधकर्ताओं ने पाया कि पोच्ड और उबला अंडा (Boiled Egg) आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है और उनका प्रोटीन अच्छे से टूटता है। जितना अच्छा प्रोटीन टूटता है, उतनी देर तक हमारा पेट भरा रहता है, जिससे हमें जल्दी भूख नहीं लगती। ये वजन कंट्रोल करने में मदद करता है। ऑमलेट को पचाना थोड़ा मुश्किल होता है।
पोच्ड और उबले अंडे को बनाते समय तेल या मक्खन का इस्तेमाल नहीं होता है, इसलिए इनमें कैलोरी कम होती है। ऑमलेट में अक्सर तेल, मक्खन या चीज डाला जाता है, जिससे उसकी कैलोरी बढ़ जाती है।
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विटामिन ए और डी जैसे जरूरी पोषक तत्व, जो अंडे से मिलते हैं, हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म (जिससे शरीर एनर्जी बनाता है) और ऊर्जा के सही इस्तेमाल में मदद करते हैं।
अगर आप अपना वजन कंट्रोल में रखना चाहते हैं, तो अंडा को कम तेल में बनाएं। इससे डाइजेशन भी अच्छा रहेगा।
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