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माइक्रोडाइट क्या होती है और वेट लॉस में किस तरह मदद करती है? जानिए

माइक्रोडाइट के बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है। हालांकि, अगर आप वेट लॉस करना चाहती हैं तो ऐसे में माइक्रोडाइट से आपको काफी फायदा मिल सकता है।
Editorial
Updated:- 2025-11-09, 10:00 IST

वेट लॉस करना आज के समय में अधिकतर लोगों के लिए एक बहुत बड़ा चैलेंज बन गया है। अमूमन लोग वजन कम करने के लिए कई तरह की जद्दोजहद करते हैं। कभी-कभी तो वे इसके लिए अपना खाना स्किप भी करते हैं। उन्हें लगता है कि इससे उन्हें वजन कम करने में मदद मिलेगी। हालांकि, इससे होता बिल्कुल उलट है। खाना स्किप करने से बाद में बहुत तेज भूख लगती है और फिर उल्टा सीधा खाया जाता है। साथ ही साथ, खाना स्किप करने से मेटाबॉलिज्म स्लो हो सकता है और फिर वेट लॉस करना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है। इस परेशानी से बचने में काफी मददगार है माइक्रो डाइट।

माइक्रोडाइट का फंडा बेहद ही सिंपल है कि इसमें तीन हैवी मील लेने की बजाय दिनभर में 5-6 छोटे-छोटे मील खाएं। हर मील भले ही छोटा हो, लेकिन पोषक तत्वों से भरा हुआ हो और एनर्जेटिक फील करवाने के साथ-साथ क्रेविंग्स को भी कंट्रोल में रखें। माइक्रो डाइट से मेटाबॉलिज्म को पूरे दिन एक्टिव रखने में भी मदद मिलती है। तो चलिए आज इस लेख में मुदितम आयुर्वेद की क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट नेहल जोशी आपको बता रही हैं कि माइक्रो डाइट क्या होती है और उससे वेट लॉस में किस तरह मदद मिलती है-

माइक्रो डाइट क्या है

माइक्रो डाइट का नाम सुनकर अधिकतर लोगों को लगता है कि उन्हें भूखा रहना पड़ेगा या फिर मार्केट से तरह-तरह के प्रोडक्ट्स लेकर उन्हें खाना पड़ेगा, जबकि ऐसा नहीं है। माइक्रो डाइट वास्तव में खाना खाने का तरीका है जिसमें हम छोटे-छोटे, बैलेंस पोर्शन में खाते हैं, जिससे दिन भर शरीर को एनर्जी मिलती है। इसमें एकदम से हैवी मील लेने की जगह उसे 5-6 छोटे मील्स में बांट दिया जाता है। इस लिहाज से अगर देखा जाए तो माइक्रोडाइट का मकसद कम खाना नहीं, बल्कि स्मार्ट तरीके से खाना है। इसमें हर मील में प्रोटीन, कॉम्प्लेक्स कार्ब्स, फाइबर और हेल्दी फैट्स का सही बैलेंस रखा जाता है, जिससे मेटाबॉलिज्म हमेशा एक्टिव रहता है।

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वजन घटाने में किस तरह मददगार है माइक्रो डाइट

  • अगर माइक्रो डाइट को सही तरह से फॉलो किया जाए तो यह वजन कम करने में काफी मददगार साबित हो सकती है-
  • चूंकि इसमें 2-3 घंटे में हम खाना खाते हैं, जिससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट रहता है। इस तरह आप दिन भर ज्यादा कैलोरी बर्न करती हैं और वो भी बिना किसी एक्स्ट्रा मेहनत के।
  • जब हम लंबे समय तक भूखे रहते हैं तो बार-बार क्रेविंग्स होती है और फिर हम ओवरईटिंग करते हैं। लेकिन माइक्रो डाइट में शरीर को लगातार फ्यूल मिलता रहता है, इसलिए आपको स्नैक्स या जंक फूड की क्रेविंग नहीं होती है।
  • छोटे व रेग्युलर मील्स हार्मोन्स और ब्लड शुगर बैलेंस करते हैं। जिससे सेहत को फायदा मिलता है और वजन भी कम होता है।
  • जब हर मील्स में प्रोटीन रिच फूड को शामिल किया जाता है, तो इससे वजन कम करने के साथ-साथ मसल्स को बनाए रखने में मदद मिलती है।

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Image Credit- Freepik

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