गीता ने जब युवावस्था में प्रवेश किया तब उसे वजन बढ़ता जा रहा था। उसे हर समय कार्बोहाइड्रेट खाने की इच्छा होती थी। यहां तक कि वह रात का खाना भी छोड़ देती थी, लेकिन उसका वजन हर महीने तेजी से बढ़ता जा रहा था। वजन बढ़ने के अलावा, उसे मुंहासे और हिर्सुटिज्म (चेहरे पर बालों का उगना) जैसी समस्याएं भी होने लगी थी। उसे कई बार चक्कर आना, कंपकंपी महसूस करना और अनियमित पीरियड्स की शिकायत भी होती थी। तब मैंने उसे डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उसके पीरियड्स को नियमित करने के लिए उसे बर्थ कंट्रोल पिल्स देनी शुरू की लेकिन सब बेकार था। बाद में, उसे हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या का पता चला। उसके डॉक्टर और उनके परिवार के सदस्यों ने अच्छी डाइट और एक्सरसाइज करने की सलाह दी।
गीता की शादी को अब दो साल हो चुके हैं और वह आप प्रेग्नेंट होने की प्लानिंग कर रही हैं लेकिन उसे कंसीव करने में काफी समस्या आ रही हैं। वह क्रोनिक हाइपोग्लाइसीमिया के साथ संघर्ष कर रही है, उसका सीरम ट्राइग्लिसराइड लेवल बढ़ गया है और बेहद दयनीय महसूस करती है। हालांकि, हाल ही में जब गीता ने एक रिप्रोडक्टिव एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से मिली तो उसे पता चला कि उसे पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) है।
गीता की तरह, कई युवा महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) से पीड़ित हैं और स्वस्थ जीवन जीने में असमर्थ हैं। ये स्थितियां उन जटिलताओं को सामने लाती हैं जो युवा महिलाओं में जीवन की गुणवत्ता को खराब करती हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर 5 में से एक महिला पीसीओएस से पीड़ित है। लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस आर्टिकल के माध्यम से कल्याण के फोर्टिेस हॉस्पिटल की सलाहकार प्रसूति और स्त्री रोग डॉक्टर सुषमा तोमर हमें कुछ टिप्स के बारे में बता रहे हैं।
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पीसीओएस और पीसीडी में अंतर
पीसीओएस
पीसीओएस के साथ महिलाओं में, उनकी ओवरीज सामान्य से अधिक एण्ड्रोजन का लेवल पैदा करते हैं, जो अंडे के विकास और रिलीज में हस्तक्षेप करते हैं। कुछ अंडे अल्सर में विकसित होते हैं - जो तरल से भरे हुए छोटी थैली होती हैं। ओव्यूलेशन के दौरान रिलीज़ होने के बजाय, ये सिस्ट ओवरी में बनते हैं और कई बार बड़े भी हो जाते हैं।
पीसीओडी
पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज) एक ऐसी स्थिति है जहां ओवरी बहुत अधिक अपरिपक्व या आंशिक रूप से परिपक्व अंडे छोड़ते हैं, जो अंततः अल्सर में बदल जाते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में पेट का वजन बढ़ना, अनियमित पीरियड्स, पुरुष पैटर्न बालों का झड़ना और इनफर्टिलिटी आदि दिखाई देता है। इस स्थिति में, ओवरीज आमतौर पर बढ़ी जाती हैं और बड़ी मात्रा में एण्ड्रोजन का स्राव करती हैं जो एक महिला की फर्टिलिटी और उसके शरीर के साथ कहर पैदा कर सकता है।
पीसीओडी और पीसीओएस को मैनेज करने के प्रभावी तरीके
मोटापे को इन स्थितियों में एक महत्वपूर्ण योगदान कारक है। इसलिए अपने वजन को कंट्रोल करने के लिए अपनी डाइट पर पूरा ध्यान रखें, रोजाना एक्सरसाइज करें। यहां तक कि सिर्फ 10 प्रतिशत वजन कम करने से ही हार्मोन असंतुलन को मैनेज और बॉडी मास इंडेक्स <25 लाने में काफी मदद मिलती है। यह मासिक धर्म संबंधी विकार, इनफर्टिलिटी, इंसुलिन प्रतिरोध, हिर्सुटिज़्म और मुंहासे में भी सुधार करता है।
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सही खाद्य पदार्थ खाने और कुछ कार्बोहाइड्रेट और फैट से बचने से लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद मिलती है। बिना चीनी वाले पूरे खाद्य पदार्थों का उपभोग करने की कोशिश करें, फल, सब्जियां साबुत अनाज और फलियां आदि को भी अपनी डाइट में शामिल करें। इसके अलावा, प्लांट बेस प्रोटीन और असंसाधित हाई कार्बोहाइड्रेट इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकते हैं। अपने आहार में अधिक फाइबर का उपभोग करने की कोशिश करें, कॉफी की खपत कम करें। सोया, हल्दी, दालचीनी विटामिन-D3, कैल्शियम, जिंक, प्राइमोसा ऑयल और कॉड लिवर ऑयल को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
इन टिप्स को अपनाकर आप भी पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या को आसानी से कंट्रोल कर सकती हैं। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
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