स्मार्टफोन एडिक्शन को लेकर बहुत सारी रिसर्च पहले भी हो चुकी है, लेकिन क्या आप जानती हैं कि स्मार्टफोन में क्या काम ज्यादा करने से एंग्जाइटी जैसे हालात हो सकते हैं? दरअसल, हाल ही में एक स्टडी की गई है जिसमें कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। वैज्ञानिकों ने ये बताया है कि स्मार्टफोन में वीडियो गेम नहीं बल्कि एक खास काम सबसे ज्यादा एंग्जाइटी का कारण बन सकता है। ये असल में वो काम है जो लगभग हर कोई करता है।
क्या खुलासा हुआ रिसर्च में-
स्मार्टफोन का इस्तेमाल ज्यादा करना या कम करना ये तो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। पर कुछ खास काम व्यक्ति की एंग्जाइटी बढ़ाने का काम करते है। अगर आपको भी Anxiety की समस्या है तो हो सकता है कि उसका कारण स्मार्टफोन में सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल हो। रिसर्च में सामने आया है कि सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल के कारण लोगों में एंग्जाइटी की समस्या बढ़ जाती है।
ये स्टडी Canadian Journal of Psychiatry में पब्लिश की गई है। इसमें ये बात सामने आई है कि मानसिक तनाव का एक कारण सोशल मीडिया भी हो सकता है। ये उन लोगों के लिए है जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल तय समय से ज्यादा करते हैं।
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वीडियो गेम से भी खतरनाक हो सकता है सोशल मीडिया-
वैसे तो कई रिसर्च पहले ही वीडियो गेम को खतरनाक बता चुके हैं, लेकिन ये वाली स्टडी कहती है कि सिर्फ Anxiety या घबराहट बढ़ाने में सोशल मीडिया का हाथ वीडियो गेम से ज्यादा हो सकता है।
Anxiety को दूर करने का ये तरीका-
कनाडा की ही University of Montreal की रिसर्च टीम ने ये बताया कि लोगों की घबराहट कम करने का एक तरीका ये भी हो सकता है कि उनका सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम कर दिया जाए। ये तरीका खास तौर पर टीनएज वाले बच्चों पर काम करता है।
वैसे ऐसा नहीं कि एक या दो दिन सोशल मीडिया का इस्तेमाल ज्यादा किया जाए तो ही बेचैनी की समस्या होगी। ये बहुत लंबे समय तक करने पर शुरू होगी और धीरे-धीरे और भी तरह की चीज़ें आपके सामने आने लगेंगी।
1 साल तक स्टडी के बाद आया नतीजा-
इस स्टडी में खास तौर पर टीनएज बच्चों के ऊपर रिसर्च की गई और पाया गया कि 1 साल तक अगर उस व्यक्ति का सोशल मीडिया इस्तेमाल ज्यादा होता है और बाकी चीज़ों में कम तो उसका Anxiety लेवल भी बढ़ जाएगा। इतना ही नहीं, अगर उस व्यक्ति का सोशल मीडिया इस्तेमाल कम हो रहा है या फिर टीवी और कम्प्यूटर का इस्तेमाल काफी कम हो रहा है तो Anxiety लेवल भी कम हो जाएगा।
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इतने लोगों पर की गई रिसर्च-
इस रिसर्च के लिए 4000 कनाडाई टीनएजर्स को लिया गया जिनकी उम्र 12-16 साल के बीच थी। हर साल उनपर स्टडी की गई और कई सवालों के आधार पर ये निष्कर्ष निकाले गए। इसमें स्क्रीन पर कितना इस्तेमाल किया, क्या किया, सोशल मीडिया ज्यादा देखा, टीवी ज्यादा देखा, कम्प्यूटर ज्यादा देखा, वीडियो गेम ज्यादा खेला ये सब सवाल पूछे गए।
हालांकि, इसपर अभी और भी ज्यादा रिसर्च हो रही है, पर फिर भी शुरुआती नतीजे यही बताते हैं। अगर ये बहुत ज्यादा हो रहा है तो स्वास्थ्य को लेकर समस्याएं भी हो सकती हैं।