आमतौर पर शिशु ज्यादा समय तक सोते और कम समय तक जागते है। लेकिन वह रात को कम दिन में ज्यादा देर सोते है। शिशु का स्लीपिंग पैटर्न जन्म के 6 महीने तक ऐसा ही रहता है। वह अपनी इच्छा से सोते और इच्छा से जागते है। लेकिन अगर आपका शिशु रात को बिल्कुल नही सोता या बार-बार जाग जाता है और जिसके चलते आप भी ठीक तरह से सो नहीं पाती हें तो परेशानी का कारण बन सकता है। इसके कारण ना केवल आपका शिशु बलिक आप भी चिड़चिड़ा महसूस कर सकती हैं। इसलिए इसके सही कारणों को जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। आइए आज हम आपको ऐसे की कुछ कारणों के बारे में बताते हैं जिसके चलते आपका बच्चा रात में ठीक से सो नहीं पाता है।
जब शिशु इस दुनिया में जन्म लेता है तो वह अपने अनुभवों से दुनिया को महसूस करने लगता है। नया सीखने की प्रक्रिया में शिशु चीजों को महसूस करने लगता है जिससे कई बार शिशु को असहज भी महसूस होता है, नतीजन, शिशु शुरूआती महीनों में अकसर नींद में असहज महसूस करता है।
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शिशु के रात को ठीक से नहीं सोने के पीछे सबसे नॉर्मल कारण भूख हो सकती है। शिशु को जल्दी ही भूख लग जाती है इसलिए वह भूख के कारण रोने लगते हैं। शुरुआत में शिशु को थोड़े-थोड़े समय में फीड कराने की जरुरत होती है। चाहे आप उसे फॉर्मूला मिल्क दे रही हैं या ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, हर 3 घंटे में अपने शिशु को फीड कराएं। ऐसा ना होने पर शिशु को रात में भूख लग सकती है जिसके कारण वह सो नहीं पाता।
शिशु हर छोटी चीज को लेकर बहुत सेंसेटिव होते हैं। पेट में दर्द के चलते ज्यादातर शिशु रात को ठीक से सोते नहीं है। पेट में दर्द के अलावा एसिड, कोल्ड या कफ, और अन्य किसी भी तरह के पेन के कारण शिशु को असुविधा हो सकती हैं जिससे वह रात में सो नहीं पाता है। अगर आपको लग रहा है कि शिशु बीमार है तो उसे डॉक्टर को दिखाएं। शिशु खुद से आपको नहीं बता सकता कि उसे क्या परेशानी है। इसलिए यह आपको खुद ही समझना होगा कि उसे क्या परेशानी है।
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कई बार शिशु बिस्तर गीला कर देता है तो भी वह रोने लगता है। तो कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि शिशु को नींद में ही यूरीन आता है जिससे वह असहज हो जाता है और नींद में ही जोर-जोर से रोने लगता है। हालांकि ऐसी स्थिति में आप शिशु के लिए डाइपर का इस्तेमाल कर सकती हैं। जी हां बहुत लंबे समय तक या नींद में शिशु को गीला डाइपर परेशान कर सकता है जिससे शिशु नींद से उठकर रोने लगता है।
कहते है कि बहुत ज्यादा थकान हो जाए तो भी रात को नींद नहीं आती है। ऐसा ही कुछ शिशु के साथ भी होता है। शिशु दिनभर तरह-तरह की एक्टिविटी करता है और ऐसा करने के बाद उसे भरपूर नींद की जरूरत होती है। शिशु को रात को 11 घंटे की नींद चाहिए होती है। अगर उसे यह नींद नहीं मिल पाती है या वह थक जाता है और रात में सो नहीं पाता।
कई बार शिशु के रोने का कारण शारीरिक परेशानियां होती है। इतना ही नहीं कई बार शिशु के आसपास का तापमान बहुत गर्म या फिर बहुत ठंडा होता है जिससे शिशु की नींद में खलल पड़ने लगता है और बच्चा नींद से जगकर रोने लगता है। कई बार शिशु के सोने की जगह ठीक नहीं होती यानी शिशु सोते हुए सहज नहीं होता तो भी वह नींद से जगकर रोने लगता है।
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अब तो आपकेा समझ में आ ही गया होगा कि आपका शिशु नींद में उठकर अचानक से क्यों रोने लगता है।
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