अगर आप प्रेगनेंट हैं तो लेबर पेन के बारे में सोच-सोचकर आपको थोड़ी चिंता जरूर होती होगी। लेबर पेन का समय बेहद तकलीफ भरा होता है लेकिन ये पेन आपकी डिलीवरी के वक्त का एक बड़ा संकेत देते हैं। ये पेन अगर समय रहते ना आएं तो कॉम्प्लिकेशन बढ़ने की आशंका रहती है। ऐसे में आर्टिफिशियल पेन के जरिए कराई जाने वाली डिलीवरी कही ज्यादा कारगर मानी जाती है। साउथ फ्लोरिडा में हुई एक रिसर्च के अनुसार पहली बार मां बनी महिलाएं, जिनको 39वें हफ्ते में लेबर पेन इन्यूस किया गया, में सिजेरियन डिलीवरी का जोखिम कम हो गया और उन महिलाओं के मुकाबले कॉम्प्लिकेशन होने की आशंका कम हो गई, जिन्हें आर्टीफिशियल पेन 41वें हफ्ते में दिया गया।
ऑब्स्टीट्रीशियन्स आमतौर पर आर्टिफिशियल पेन इन्ड्यूस करने के लिए तब रिकमेंड करती हैं जब डिलीवरी में देरी होती है और प्लेसेंटा से बच्चे को जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलने में ज्यादा मुश्किल होने लगती है। ऐसे समय में अगर डिलीवरी में ज्यादा देती होती है तो गर्भ में ही बच्चे की मौत होने और मां के लिए जोखिम बढ़ने की आशंका होती है।

इस बारे में काफी अनिश्चितता जताई जाती रही है कि 39वें हफ्ते के बाद क्या होगा। इसीलिए शोधकर्ताओं ने 1,00,000 मरीजों के डाटा का एनालिसिस किया और पाया कि 41वें हफ्ते में लेबर पेन इन्यूस करने पर जो नतीजे सामने आए, उनमें सी सेक्शन बढ़ गए, मां प्रीक्लेंपसिया और यूट्रीन रप्चर जैसी समस्याओं से ग्रस्त पाईं गईं, नवजात शिशुओं की मौत के मामले सामने आए और बच्चों को जन्म के समय से ही कुछ बीमारियों जैसे कि रेस्पिरेटरी डिजीजेज और शोल्डल डिस्टोसिया ने घेर लिया। इस रिसर्च के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर चार्ल्स जे लॉकवुड का कहना है, प्राइमरी सिजेरियन डिलीवरी, गर्भ में बच्चे की मौत और दूसरी पेरीनेटल कॉम्प्लीकेशन चिंता का विषय हैं इसीलिए इनसे जज्जा और बच्चा को सुरक्षित रखने के लिए आर्टीफिशियल पेन इन्यूस करके डिलीवरी कराना कहीं बेहतर है। यह अध्ययन PLOS ONE जर्नल में प्रकाशित हुई हैं।
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