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kya breastfeeding se cancer ka khatra kam hota hai

क्या ब्रेस्टफीडिंग सच में ओवरी कैंसर का खतरा कम करती है?

ओवरी कैंसर महिलाओं में होने वाली गंभीर बीमारी है, लेकिन क्या आप जानती हैं कि ब्रेस्‍टफीडिंग से इसका खतरा कम हो सकता है? इस आर्टिकल में डॉक्‍टर से विस्तार में जानते हैं कि किस तरह ब्रेस्‍टफीडिंग से महिलाओं को ओवरी कैंसर से सुरक्षा मिल सकती है?
Editorial
Updated:- 2025-09-23, 10:00 IST

क्या आप जानती हैं कि ब्रेस्‍ट‍फीडिंग न सिर्फ बच्चे के लिए, बल्कि मां की सेहत के लिए भी फायदेमंद है? यह बच्चे को पोषण और इम्‍यूनिटी देती है, वहीं मां के लिए कई गंभीर बीमारियों से बचाव में मददगार साबित होती है। रिसर्च और एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्रेस्टफीडिंग से महिलाओं में ओवरी कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है।

ब्रेस्टफीडिंग नेचुरल प्रोटेक्टिव फैक्टर की तरह काम करती है। यह महिलाओं के शरीर को हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने, पीरियड्स को कुछ समय रोकने और ओवरी पर पड़ने वाले तनाव को कम करती है। यही कारण है कि ब्रेस्‍टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा कम होता है। नई दिल्‍ली के गाइनिल एक्शन कैंसर हॉस्पिटल की डायरेक्‍टर जानी-मानी गाइनकोलॉजिस्ट डॉक्टर सारिका आज हमें ओवरी कैंसर के रिस्क फैक्टर्स और ब्रेस्टफीडिंग की प्रोटेक्टिव भूमिका के बारे में बताएंगी।

Dr-Sarika-Gupta

ओवरी कैंसर के रिस्क फैक्टर्स क्या है?

  • उम्र- 40 वर्ष के बाद इसका खतरा बढ़ जाता है और औसतन 65 वर्ष की उम्र में सबसे ज्यादा मामले देखे जाते हैं।
  • फैमिली हिस्‍ट्री- अगर परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर या ओवरी कैंसर हुआ है, तो खतरा ज्‍यादा होता है।
  • संतान न होना- जिन महिलाओं को संतान नहीं हुई है, उनमें खतरा बढ़ सकता है।
  • ब्रेस्टफीडिंग न कराना- जिन महिलाओं ने ब्रेस्‍टफीडिंग नहीं कराई, उनमें खतरा ज्यादा पाया गया है।
  • फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स- गर्भधारण के लिए दवाइयां लेने से खतरा कुछ हद तक बढ़ सकता है।
  • मोटापा- ज्‍यादा वजन भी रिस्क फैक्टर है।

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ब्रेस्टफीडिंग कैसे घटाती है ओवरी कैंसर का खतरा?

  • इसे समझने के लिए हमें ओवरी कैंसर के कुछ मुख्य रिस्क फैक्टर्स को समझना होगा। ओवरी कैंसर का प्रमुख कारण ओव्यूलेशन प्रोसेस है। जब महिला प्रेग्‍नेंट होती है और ब्रेस्‍टफीडिंग कराती है, तो पीरियड्स और ओव्यूलेशन का प्रोसेस कुछ समय के लिए रुक जाता है। ऐसा होने पर ओवरीज को 'आराम' मिलता है। ओवरीज को मिलने वाले इस आराम के कारण ओवरी की कोशिकाओं को दोबारा ठीक होने का समय मिल जाता है, जिससे असामान्य कोशिकाओं के विकसित होने का खतरा कम हो जाता है।
  • ब्रेस्टफीडिंग से शरीर का हार्मोनल बैलेंस सुधरता है और एस्ट्रोजन लेवल कंट्रोल में रहता है।
  • बच्चे को 6 महीने या इससे ज्यादा समय तक ब्रेस्‍टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में ओवरी कैंसर का खतरा काफी कम पाया जाता है।

ओवरी कैंसर के जोखिम को कम करने वाले अन्य कारक

डॉक्टर गुप्ता ने कुछ अन्य कारक भी बताए हैं, जो ओवरी कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।

ovarian cancer risk

  • प्रेग्‍नेंसी- जिन महिलाओं के बच्‍चे है, उनमें ओवरी कैंसर का खतरा कम होता है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान भी पीरियड्स रुक जाता है, जिससे ओवरीज पर तनाव कम होता है।
  • ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव्स- जो महिलाएं 5 साल से ज्‍यादा समय तक ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेती हैं, उनमें भी ओवरी कैंसर का खतरा कम पाया गया है।
  • नसबंदी (Tubal Ligation)- नसबंदी कराने से भी ओवरी कैंसर का खतरा कम हो सकता है, क्योंकि इस प्रोसेस में फैलोपियन ट्यूब्स को बांध दिया जाता है, जिससे ओवरी से यूट्रस तक का रास्ता रुक जाता है।
  • ट्यूबेक्टोमी- जिन महिलाओं की सर्जिकल ऑपरेशन से ट्यूब्स निकाल दी गई हैं, इससे भी ओवरी कैंसर का खतरा कम होता है।

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हालांकि, ये सभी रिस्क फैक्टर्स हर महिला पर लागू नहीं होते हैं। कई बार महिलाओं में कोई स्पष्ट रिस्क फैक्टर नहीं मिलता, फिर भी ओवरी कैंसर हो सकता है। इसलिए, अगर आपको बार-बार ब्‍लोटिंग, पेल्विक पेन, भूख कम लगना या जल्दी पेट भरना जैसी समस्याएं हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

यह ध्यान रखना जरूरी है कि ये सभी कारक सिर्फ खतरे को कम करते हैं, 100 प्रतिशत सुरक्षा की गारंटी नहीं देते। ओवरी कैंसर के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, जिनमें से कुछ अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं। हालांकि, लाइफस्‍टाइल में बदलाव और मेडिकल उपायों को अपनाकर आप इस गंभीर बीमारी के खतरे को कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठा सकती हैं।

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