महिलाओं के शरीर का सबसे चमत्कारी फैक्ट तो यही होता है कि वो एक बच्चे को जन्म दे सकती हैं। यकीनन एक नई जिंदगी को इस दुनिया में लाना आसान नहीं होता है। एक महिला का शरीर न जाने कितनी मुश्किलों से गुजरता है तब जाकर कहीं ऐसा होता है। महिलाओं के शरीर को लेकर बहुत सारी बातें हम जानते हैं। पीरियड्स कैसे होते हैं, किस तरह से महिलाओं के शरीर में क्रैम्प्स होते हैं, किस तरह बायोलॉजिकली उनका शरीर पुरुषों के मुकाबले में अलग होता है ये सारी बातें तो अधिकतर देखने और सुनने को मिलती हैं।
पर अगर आपसे पूछा जाए कि महिलाओं के शरीर के बारे में कुछ अनोखे फैक्ट्स बताएं तो वो क्या होंगे? हमने इस बारे में फिटनेस कोच, मिनिस्ट्री ऑफ आयुष में योगा इंस्ट्रक्टर, न्यूट्रिशनिस्ट और योगाप्लानेट न्यूट्रिनेचुरल्स की फाउंडर ज्योति गर्ग से बात की। उन्होंने हमें कुछ खास बातों की जानकारी दी है।
महिलाएं अगर शराब पिएं तो उनपर अल्कोहल का असर बहुत ज्यादा होता है और इसके पीछे भी एक कारण होता है। दरअसल, महिलाओं के शरीर में वाटर टिशू पुरुषों के मुकाबले कम होते हैं। इसलिए वो शराब ज्यादा हजम नहीं कर पाती हैं।
इसे जरूर पढ़ें- Personal Experience: कोविड-19 वैक्सीन का ऐसा हुआ मुझपर असर
एवरेज देखा जाए तो महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम पसीना आता है। यहां भी वाटर टिशू ही जिम्मेदार होते हैं। दरअसल, एक अडल्ट पुरुष के शरीर में 65% पानी होता है और महिलाओं के केस में ये 55% ही होता है। खून के रेगुलेशन से लेकर, यूरिन, फीटस के बनने, स्पाइनल कॉर्ड से लेकर सलाइवा के बनने तक यही जिम्मेदार होता है। कम वाटर टिशू होने के कारण ही उन्हें पुरुषों के मुकाबले कम पसीना आता है।
यह विडियो भी देखें
खा लेने से हमारा मतलब सीधे दांतों से चबा लेना नहीं बल्कि ये स्किन के एब्जॉर्ब करने का तरीका है। लिपस्टिक लगाने के कुछ घंटों बाद उसके हल्के हो जाने का ये कारण भी होता है भले ही आपने कुछ भी खाया-पिया न हो। ये हमारी स्किन की एब्जॉर्बिंग पावर की वजह से होता है।
एक औसत धारणा है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा जीती हैं और ऐसा इसलिए है क्योंकि महिलाओं के हार्मोन्स किसी भी तरह के इन्फेक्शन से लड़ने में ज्यादा मददगार साबित होते हैं। महिलाओं के शरीर का हार्मोन oestrogen इस काम में मदद करता है। वैसे महिलाओं को बच्चे पैदा करने होते हैं और उस दौरान शरीर बहुत सारे प्रोसेस से होकर गुजरता है। यही कारण है कि महिलाओं का इम्यून सिस्टम ज्यादा मजबूत हो जाता है।
महिलाओं के यूट्रस का साइज शुरुआती दौर में एक नींबू के आकार का होता है और प्रेग्नेंसी के नौ महीनों के दौरान ये एक तरबूज़ के बराबर हो जाता है। जी हां, इतना बड़ा अंतर बहुत भारी साबित होता है और महिलाओं को इस दौरान बहुत दर्द से गुजरना पड़ता है। इस दौरान उनका ब्लैडर पर से कंट्रोल भी कम हो जाता है और इसलिए कई बार यूरिन बिना कंट्रोल पास हो जाती है।
इसे जरूर पढ़ें- चावल के पानी से दूर हो सकती है सफेद डिस्चार्ज और पीरियड्स की समस्या, जानें कैसे
महिलाओं का शरीर पुरुषों के मुकाबले ज्यादा फ्लेक्सिबल होता है। सबसे पहले तो महिलाओं की रीढ़ की हड्डी ज्यादा बेहतर काम करती है क्योंकि इसे चाइल्ड बर्थ के लिए तैयार होना होता है। दूसरा ये कि महिलाओं के शरीर में इलास्टीन (Elastin) ज्यादा होता है। ये एक सेल्स को जोड़ने वाला प्रोटीन होता है जो शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाता है।
ये सारे फैक्ट्स महिलाओं के शरीर को बहुत यूनीक बनाते हैं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।