मोनोपॉज तब होता है जब महिला की प्रजनन करने की क्षमता खत्म हो जाती है। मेनोपॉज के बाद कोई भी ब्लीडिंग नहीं होनी चाहिए। मेनोपॉज का सीधा सा मतलब है उसकी पीरियड साइकल का खत्म हो जाना दूसरे शब्दों में उसे 12 महीने तक पीरियड न आना। मेनोपॉज के बाद किसी भी तरह की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग आम बात नहीं है। आपको तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए ताकि इसका कारण पता किया जा सके।
यूट्रस की यूट्रीन वॉल में किसी भी तरह की अस्वाभाविक सेल ग्रोथ को यूट्रीन पॉलिप्स कहा जाता है। ये यूट्रस (गर्भाश्य) के अंदरूनी हिस्से में होती है और ये गर्भाश्य छिद्र (यूट्रीन कैवेटी) तक फैल सकती है। यह टिशू ग्रोथ गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) में पाया जा सकता है। इनकी वजह से ब्लीडिंग हो सकती है।
पॉलिप्स कैंसर में नहीं बदलती हैं, लेकिन अगर इनकी वजह से कोई परेशानी हो रही है या ब्लीडिंग हो रही है तो इन्हें निकलवा देना चाहिए। ये पॉलिप्स कई बार कैंसर के रिस्क का कारण जरूर बन सकती हैं। इन्हें D&C (dilation and curettage) प्रक्रिया से निकाला जा सकता है। इसमें सर्विक्स को थोड़ा सा खींचकर बढ़ाया जाता है और पॉलिप्स को हटा दिया जाता है। या फिर हिस्टरोस्कोपी की जा सकती है जिसमें एक पतले सर्जिकल औजार जैसे कैंची को वेजाइना में डाला जाता है और हिस्टेरोस्कोप की मदद से पॉलिप्स को हटाया जाता है।
मेनोपॉज के बाद हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसके कारण यूट्रीन कैवेटी में मौजूद परत एंडोमेट्रियम कई बार ज्यादा पतली या मोटी हो जाती है। इसके कारण ब्लीडिंग हो सकती है।
कैंसर संबंधी परिवर्तन को रोकने के लिए असामान्य एंडोमेट्रियल बदलावों को ठीक करना जरूरी है। हिस्टेरोस्कोपी के साथ, एंडोमेट्रियल की दीवारों की असामान्य ग्रोथ को निकाला जा सकता है। इसी के साथ, अगर हार्मोनल थेरेपी दी जाए तो ये बदलाव आसानी से मैनेज किए जा सकते हैं।
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एस्ट्रोजन हार्मोन के शरीर में घटने के कारण मेनोपॉज के बाद वेजाइना की दीवार पतली हो सकती। हार्मोनल थेरेपी के साथ हार्मोन लेवल को ठीक किया जाए तो वेजाइना को वापस स्वस्थ बनाया जा सकता है।
सर्वाइकल कैंसर, एंडोमेट्रियल कैंसर जैसा प्रजनन अंगों में होने वाला कोई कैंसर अगर हो रहा है या बढ़ रहा है तो वो भी ब्लीडिंग का कारण बन सकता है।
हिस्टेरेस्कोमी के साथ कीमोथेरेपी इसके साथ/ या सिर्फ रेडियोथेरेपी की जरूरत पड़ती है एंडोमेट्रियल या सर्वाइकल कैंसर को ठीक करने के लिए। इस सर्जरी में यूट्रस या सर्विक्स को हटा दिया जाता है। कई बार ओवरी या फेलोपियन ट्यूब को हटाना भी जरूरी होता है ताकि कैंसर न फैले।
कई बार हार्मोनल थेरेपी में दी जाने वाली कुछ दवाओं के कारण खून पतला हो जाता है और ब्लीडिंग होने लगती है। इन दवाओं को लेते समय बहुत ध्यान रखने की जरूरत होती है। अगर दवाओं की वजह से ब्लीडिंग हो रही है तो डॉक्टर कोई अन्य दवा या उसी दवा का कम डोज दे सकता है।
क्लेमिडिया, गोनोरिया या हर्पीज जैसी किसी बीमारी के कारण भी ब्लीडिंग हो सकती है। इन बीमारियों में ट्रीटमेंट और सही हाईजीन की जरूरत होती है।
इसीलिए अगर मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग हो रही है तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए ताकि समय पर इसकी जांच हो सके और इलाज की शुरुआत की जा सके।
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