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    प्राणायाम से जुड़े इन मिथ्स को ना मानें सच

     प्राणायाम करना सेहत के लिए बेहद अच्छा है। लेकिन कुछ लोग इससे जुड़े मिथ्स को ही सच मान लेते हैं। लेकिन आज इन मिथ्स की सच्चाई के बारे में जान लीजिए।
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    • Mitali Jain
    • Editorial
    Updated at - 2023-02-09,13:59 IST
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    pranayama tips

    कहते हैं कि पहला सुख निरोगी काया। अर्थात् अगर व्यक्ति स्वस्थ है। उसे किसी तरह की शारीरिक या मानसिक परेशानी नहीं है तो ऐसा व्यक्ति बेहद सुखी है। अमूमन खुद को स्वस्थ रखने के लिए हम सभी कई तरीके अपनाते हैं, लेकिन प्राचीन समय से जिस उपाय को लोग सबसे अधिक महत्व देते आ रहे हैं, वह है योग, ध्यान व प्राणायाम। प्राणायाम करना संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। इसका नियमित अभ्यास आपकी कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर कर देता है। साथ ही साथ, कई रोगों से बचाव भी करता है।

    हालांकि, आज भी लोग प्राणायाम से जुड़ी कुछ भ्रांतियों को सच मान बैठते हैं। ऐसे में वे या तो प्राणायाम करते ही नहीं है या फिर इन भ्रांतियों के कारण इसका अभ्यास गलत तरीके से करते हैं। तो चलिए आज इस लेख में योगा विशेषज्ञ और वुमन हेल्थ रिसर्च फाउंडेशन की प्रेसिडेंट डॉ नेहा वशिष्ट कार्की आपको प्राणायाम से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथ्स के बारे में बता रही हैं- 

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    मिथ 1- प्राणायाम सिर्फ सांसों से जुड़ा व्यायाम है

    सच्चाई- किसी भी प्राणायाम का अभ्यास करते हुए सांसों पर अधिक फोकस किया जाता है। इसलिए अधिकतर लोग यह समझते हैं कि यह सिर्फ एक तरह की ब्रीदिंग एक्सरसाइज है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। इसका सीधा संबंध हमारे हार्मोन से है। जब हम प्राणायाम के दौरान सांस को होल्ड करते हैं तो उस दौरान बॉडी में हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं। ये हार्मोन हमारी बॉडी के सिम्पेथेटिक मैकेनिज्म को ठीक करते हैं, जिससे तनाव से छुटकारा मिलता है।

    मिथ 2- हर बीमारी के लिए एक ही प्राणायाम पर्याप्त है

    सच्चाई- इस बात में कोई दोराय नहीं है कि प्राणायाम का अभ्यास करते हुए आपकी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खुद ब खुद ठीक हो जाती हैं। लेकिन अगर आप यह सोचती हैं कि हर बीमारी के लिए आप एक ही प्राणायाम करके सभी लाभ प्राप्त कर लेंगी तो ऐसा नहीं है।

    हर प्राणायाम शरीर पर अलग तरह से काम करता है और इसलिए अपनी स्वास्थ्य समस्या को ध्यान में रखकर प्राणायाम करना चाहिए। मसलन, अगर किसी को हार्मोन से जुड़ी समस्या है, तो उसके लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम काफी अच्छा है। लेकिन अगर आपको थायरॉयड की समस्या है तो ऐसे में उज्जायी प्राणायाम अधिक प्रभावशाली होगा।

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    मिथ 3- गलत मुद्रा में बैठने से प्राणायाम के साइड इफेक्ट होते हैं

    सच्चाई- प्राणायाम करते हुए ब्रीदिंग के साथ-साथ आपके बैठने के तरीके व हाथों की मुद्रा पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाता है। अमूमन लोग सोचते हैं कि अगर प्राणायाम करते हुए वे गलत मुद्रा बनाते हैं तो ऐसे में उनकी बॉडी पर प्राणायाम का नेगेटिव इफेक्ट पड़ सकता है। हालांकि, वास्तव में ऐसा कभी भी नहीं होता है। प्राणायाम से आपको कभी कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसलिए कभी भी इस गलतफहमी को सच मानने की भूल ना करें।

    मिथ 4- प्राणायाम सिर्फ सुबह ही करना चाहिए

    सच्चाई- प्राणायाम से जुड़ा यह एक बेहद ही कॉमन मिथ है। बहुत से लोगों को लगता है कि प्राणायाम का संपूर्ण लाभ उठाने के लिए उसे सुबह के समय ही करना चाहिए। अगर शाम के समय इस प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है तो इससे कोई भी लाभ नहीं मिलता है।

    आप किसी भी समय प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। बस आपको इस बात का ध्यान रखना है कि आप खाना खाने के तीन घंटे बाद ही प्राणायाम का अभ्यास करें। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि आप शाम के समय कुछ एग्रेसिव प्राणायाम जैसे कपालभाति या भस्त्रिका प्राणायाम आदि से बचने की कोशिश करें।

    तो अब आप भी अपने मन से प्राणायाम से जुड़े इन मिथ्स को दूर करें और इसके नियमित अभ्यास से खुद को स्वस्थ रखें।  

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    Image Credit- freepik

     
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