प्राणायाम का मतलब सांस को ध्यान से नियंत्रित करना है। अगर आप योग में नए हैं, तो रोज थोड़ा-थोड़ा प्राणायाम करना बहुत अच्छा होता है। इससे मन शांत होता है और आप ज्यादा ताजगी महसूस करते हैं। प्राणायाम की शुरुआत हमेशा धीरे-धीरे करनी चाहिए और इसे रोज करने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके।
प्राणायाम की शुरुआत कैसे करें, इसे रोजाना कितनी देर करना चाहिए, प्राणायाम से हमारे शरीर और मन को क्या-क्या फायदे होते हैं और दिन के किस समय प्राणायाम करना सबसे अच्छा रहता है? यदि आपके मन में ऐसे कई सवाल हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित होगा।
हमने इस विषय पर गहराई से जानकारी लेने के लिए योग विशेषज्ञ, लेखक, कॉलमिस्ट और अक्षर योग केंद्र के संस्थापक हिमालयन सिद्ध अक्षर से खास बातचीत की है। उन्होंने प्राणायाम की शुरुआत से लेकर इसके रोजाना अभ्यास और इसके फायदे तक सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला है। इस आर्टिकल में आप पाएंगे कि कैसे प्राणायाम आपकी जिंदगी में संतुलन, शांति और स्वास्थ्य लेकर आता है और कैसे आप इसे सही तरीके से अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकती हैं।
तो चलिए, जानते हैं प्राणायाम की सही शुरुआत, रोजाना करने का सही समय, ध्यान देने योग्य बातें और यह भी कि कैसे प्राणायाम से आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत में सुधार होता है।
रोजाना 10-15 मिनट प्राणायाम करें। ये आपके लिए पर्याप्त होगा। जैसे-जैसे आपकी आदत बने, समय बढ़ाकर 20-30 मिनट कर सकती हैं। ज्यादा जरूरी है नियमित होना, ज्यादा देर तक करना नहीं।
प्राणायाम से तुरंत मन को शांति मिलती है। आप कम चिंतित महसूस करेंगी और दिमाग साफ रहेगा। रोजाना करते रहने पर ध्यान बेहतर होगा, भावनाएं मजबूत होंगी और सेहत भी सुधरेगी।
भ्रमरी प्राणायाम (भंव करने जैसी सांस) और अनुलोम विलोम (एक नाक से सांस लेना, फिर दूसरी से) से जल्दी आराम मिलता है। भ्रमरी माथे और मन की टेंशन हटाता है, जबकि अनुलोम विलोम ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करता है और नर्वस सिस्टम को स्थिर करता है। कुछ मिनट धीमी और स्थिर सांस लेने से शरीर रिलैक्स हो जाता है।
हां, रात को सोने से पहले हल्का प्राणायाम करें, जैसे चंद्र भेदी (बाईं नाक से सांस लेना) या भ्रमरी। इससे नींद अच्छी आती है। तेज प्राणायाम जैसे कपालभाति या भस्त्रिका रात में न करें, क्योंकि वे ऊर्जा बढ़ाते हैं और इससे नींद खराब हो सकती है।
अच्छा रहेगा कि प्राणायाम खाली पेट या खाना खाने के 3 घंटे बाद करें। इससे सांस लेने में कोई परेशानी नहीं होती और शरीर हल्का महसूस करता है।
सांस की गति पर ध्यान लगाएं। सांस गिनें या कोई अच्छा शब्द या मंत्र सोचें। इससे आपका मन भटकता नहीं है और शांति मिलती है।
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सुबह 3 बजे से 6 बजे के बीच का समय (ब्रह्म मुहूर्त) सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय हवा साफ होती है, वातावरण शांत होता है और मन स्वाभाविक रूप से शांति में होता है, जो गहरी सांस लेने के लिए अच्छा होता है।
धीरे-धीरे सांस लें, जोर न लगाएं। सांस ज्यादा देर तक रोकना ठीक नहीं। सही तरीका सीखने के लिए किसी योग गुरु से मदद लें।
सांस धीरे-धीरे और आराम से चले। प्राणायाम के बाद हल्का और शांत महसूस हो। अगर थकान या बेचैनी हो, तो सांस लेने के तरीके को सुधारना चाहिए।
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अगर कभी दिन छूट जाए तो चिंता न करें, लेकिन रोज थोड़ा-थोड़ा करते रहना जरूरी है। जी हां, व्यस्त दिन में भी पांच मिनट ध्यानपूर्वक सांस लेने से अभ्यास चलता रहता है।
प्राणायाम से जीवन में शांति और ताजगी आती है। धैर्य और मेहनत से अभ्यास करते रहें, आपकी हर सांस आपको बेहतर बनाएगी। यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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