आज के समय में मोटापा अधिकतर लोगों के लिए एक समस्या बन चुका है और इसलिए लोग वजन कम करने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं। अमूमन इस दौरान लोग लगातार वजन करने वाली मशीन पर अपना वजन चेक करते हैं। अगर उनका वजन कम नहीं होता है, तो वह निराश हो जाता है। लेकिन सिर्फ वजन कम करना ही खुद को स्वस्थ करने का तरीका नहीं है। दरअसल, अधिकतर लोग समझते हैं कि वेट लॉस का अर्थ है शरीर का वजन कम होना।
हालांकि, यहां आपको यह समझना चाहिए कि वेट लॉस और फैट लॉस के बीच एक बड़ा अंतर है और आपको कभी भी इन्हें एक समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। अधिकतर लोग फैट लॉस की जगह वेट लॉस के पीछे भागते हैं। जबकि, वजन कम करने से न केवल आपका मेटाबॉलिज्म धीमा होगा, बल्कि आपकी मांसपेशियां भी कमजोर होंगी। इसलिए आपको वेट लॉस नहीं, बल्कि फैट लॉस पर जोर देना चाहिए। यह आपकी मसल्स को प्रभावित नहीं करेगा और आपके मेटाबॉलिक रेट में वृद्धि करेगा। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको वेट लॉस और फैट लॉस के बीच मुख्य अंतर के बारे में बता रहे हैं, जिसे आपको भी जानना चाहिए-
जब आप खुद को स्लिम दिखाने की जद्दोजहद में जुटी है, तो यकीनन आप अपनी शरीर में जमा जिद्दी चर्बी को घटाना चाहती हैं। इसलिए आपको फैट लॉस पर जोर देना चाहिए। फैट लॉस का सीधा सा अर्थ है शरीर में जमा फैट को घटाना। जबकि वेट लॉस का अर्थ होता है शरीर का वजन कम करना। यहां आपको यह भी जानना चाहिए कि शरीर में मसल्स से लेकर वाटर वेट भी होता है। ऐसे में अगर आपका वजन कम हो रहा है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि आप फैट लॉस कर रही हों। बल्कि मसल्स लॉस होने पर भी वजन कम होना शुरू हो जाता है।
जब आप वेट लॉस प्रोसेस में होती हैं तो सबसे पहले बॉडी का वाटर वेट कम होना शुरू हो जाता है, जिसके बाद आपको अपना वजन कम होता हुआ नजर आता है। लेकिन अगर आप सच में फैट लॉस कर रही हैं, तो हो सकता है कि आपका वजन उतना ही रहे, लेकिन धीरे-धीरे आपको अपनी बॉडी लीन होती हुई नजर आएगी। इसका अंतर आप अपने रोजाना पहने जाने वाले कपड़ों की फिटिंग से भी लगा सकते हैं। वैसे बॉडी फैट लॉस मापने के लिए एक बॉडी फैट स्केल या स्किनफोल्ड कैलीपर का इस्तेमाल किया जा सकता है। (वजन कैसे कम करें)
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अब सवाल यह है कि वेट लॉस और फैट लॉस में से शरीर के लिए बेहतर ऑप्शन क्या है। यकीनन वेट लॉस करना आपके लिए अधिक हानिकारक होता है, क्योंकि इसमें शरीर के समग्र वजन में से मसल्स, पानी, ग्लाइकोजन और फैट लॉस होता है। वजन में उतार-चढ़ाव हार्मोनल असंतुलन, सोडियम का अलग-अलग सेवन, डायटरी फाइबर की अलग मात्रा और अन्य कई कारणों पर निर्भर करता है।
आमतौर पर वेट लॉस तब होता है जब आप एक्सरसाइज के साथ-साथ कम कैलोरी का उपभोग करते हैं। वहीं, फैट लॉस में एक केवल फैट शरीर में पहले से ही स्टोर बॉडी फैट को कम किया जाता है।
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यह अधिक स्पेसिफिक और हेल्थफुल ऑप्शन माना जाता है। इस दौरान आपका वजन कम हो सकता है, लेकिन मसल्स मास को मेंटेंन रखने की कोशिश की जाती है, जिसके कारण आपका शरीर अधिक टोन्ड व फिट नजर आता है। तो अब इस लेख को पढ़ने के बाद आपको समझ में आ गया होगा कि वास्तव में आपको वेट लॉस नहीं, बल्कि फैट लॉस करने की जरूरत है।
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