केला एक ऐसा फल है जो हर सीजन में हम खाते हैं और इसे हमेशा ही पसंद किया जाता है। अब तो केले से जुड़ी कई डिशेज भी बनने लगी हैं और मिल्क शेक से लेकर बनाना ब्रेड तक सभी इसे पसंद करते हैं। अगर आपसे पूछा जाए केला खाने का सही तरीका क्या होता है तो शायद आप चौंक जाएं, लेकिन यकीन मानिए केला खाने के लिए भी सही और गलत तरीका हो सकता है।
यहां हम उस तरीके की बात कर रहे हैं जिससे केला आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। कच्चा केला, पका हुआ केला, भूरा हो चुका केला या एकदम पीला केला, किस फ्रूट को किस तरह से इसे खाना चाहिए ये जानना भी बेहद जरूरी है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस बारे में जानकारी शेयर की है और ये बताने की कोशिश की है कि आखिर किस तरह से आप अपनी डाइट में सही तरह से केला एड कर सकते हैं।
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सबसे पहले तो बात करते हैं कि केला खाने का सबसे अच्छा समय क्या होता है? इसकी तासीर ठंडी होती है और हर समय खाने के लिए ये सही नहीं है।
भले ही बनाना शेक काफी लोकप्रिय आहार है, लेकिन डॉक्टर दीक्षा का कहना है कि ये आयुर्वेद के मुताबिक विरुद्ध आहार होता है और इससे आपको परेशानी हो सकती है।
आयुर्वेद में हमेशा ताज़ा फल सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि ये हल्का होता है और डाइजेस्ट करने में आसान होता है। ये बाकी फूड्स के मुकाबले काफी हल्का होता है और ये इसलिए इसे हेवी फूड्स के साथ खाने से मना किया जाता है। दरअसल, जब भी हम फलों को हेवी फूड्स के साथ खाते हैं तो ये पेट में ज्यादा लंबे समय तक रहता है और ऐसे में हमारे पेट के अंदर के डाइजेस्टिव जूस इसे और भी ज्यादा पका देते हैं। ये फरमेंट होने लगता है और ये हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता है। उदाहरण के तौर पर आप किसी फलों से भरी टोकरी को सूरज की धूप में रख दें तो इसका असर काफी खराब होगा।
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आयुर्वेद के अनुसार अगर ये ओवरकुक्ड और फर्मेंटेड फूड्स पेट में टॉक्सिन्स के तौर पर बनते हैं और ये हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को खराब कर सकते हैं। इससे न्यूट्रिएंट्स भी सही तरह से शरीर में एब्जॉर्ब नहीं होते और साथ ही साथ अपच जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
इसलिए फूड्स को हमेशा अकेला खाना चाहिए ना कि किसी तरह के अन्य मील्स के साथ या फिर दूध आदि के साथ नहीं खाना चाहिए। आपको फल हमेशा खाने के 1 घंटे पहले या 2 घंटे बाद में खाना चाहिए।
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दूध और फलों को मिक्स करने के लिए आप बहुत मीठे या पके हुए फल चुन सकते हैं। उदाहरण के तौर पर पका हुआ और मीठा आम दूध के साथ मिलाया जा सकता है। एवोकाडो, किशमिश, खजूर, अंजीर आदि दूध के साथ लिए जा सकते हैं।
किसी भी तरह की बेरीज जैसे स्ट्रॉबेरी आदि को दूध के साथ मिलाना बंद करें। इससे पेट के अंदर दूध के फटने की गुंजाइश रहती है।
केले बहुत मीठे होते हैं फिर भी इन्हें दूध के साथ नहीं मिलाना चाहिए। ये दूध के साथ अच्छे से डाइजेस्ट नहीं हो पाते हैं।
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अगर अब हम बात करें केला खाने की तो डॉक्टर दीक्षा का कहना है कि जितना पका हुआ केला होगा वो सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद होगा। पर केला अलग-अलग स्टेज में अलग फायदे देता है वो ये हैं-
कच्चा केला: आंतों के लिए अच्छा होता है और प्रोबायोटिक होता है।
कम पका केला: इसमें फाइबर बहुत होता है और शुगर कंटेंट कम होता है।
पका हुआ केला: इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स बहुत होते हैं और इसमें फाइबर कंटेंट भी बहुत अच्छा होता है।
ज्यादा पका केला: ये पोटेशियम का अच्छा सोर्स होता है और ये डाइजेस्ट करने में सही होता है।
बहुत ज्यादा पका केला: इस तरह का केला एंटी-कैंसर सब्सटेंस प्रोड्यूस करता है। हां, ये काफी मीठा होता है और शुगर कंटेंट भी इसमें ज्यादा होता है।
कुल मिलाकर आपको केला अपनी हेल्थ कंडीशन के हिसाब से खाना चाहिए। अगर आपको इसे लेकर कोई कन्फ्यूजन लगता है तो आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
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