
भारत को विविधता का देश कहा जाता है। यहां आपको कोई न कोई चीज अनोखी जरूर देखने को मिलेगी। भारत में जितने भी राज्य हैं, उनकी कोई न कोई खासियत जरूर है। जिस तरह से आपको यहां घूमने-फिरने के लिए कई खूबसूरत जगहें मिल जाएंगी, उसी तरह यहां का खानपान भी बहुत यूनिक होता है। बिहार में जैसे लिट्टी चोखा, गुजरात में जैसे खांडवी और ढोकला खूब पसंद किया जाता है, ठीक उसी तरह साउथ में डोसा और इडली सांभर बड़े ही चाव से खाया जाता है।
आपने देखा होगा कि साउथ में ज्यादातर लोग केले के पत्ते पर खाना खाते हैं। चाहे शादी हो या कोई त्योहार, तो केले के पत्ते पर ही खाना सर्व किया जाता है, लेकिन क्या आप जानती हैं कि ऐसा क्यों होता है? इसकी वजह सिर्फ कोई ट्रेडिशन ही नहीं, बल्कि सेहत, सफाई और प्रकृति से जुड़ी हुई है। आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। आइए जानते हैं-
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केले के पत्ते पर खाना खाने की परंपरा भारत में बहुत पुराने समय से चली आ रही है। खासकर साउथ इंडिया में इसे बहुत ही प्योर माना जाता है। हमारे यहां घर में जब भी पूजा पाठ होता है तो केले के पत्ते का मंडप तो बनाया ही जाता है, साथ में भाेग भी उसी पत्ते पर लगाया जाता है। लोगों का मानना है कि केले का पेड़ और उसके पत्ते घर में पॉजिटिविटी लाते हैं।
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ये भी कहा जाता है कि केले के पत्ते पर खाना खाने से पेट से जुड़ी दिक्कतें जैसे कब्ज, गैस और अपच में राहत मिल सकती है। फोड़े-फुंसियों जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। दरअसल, ये पत्ता एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। ऐसे में जब इस पर गरमागरम खाना सर्व किया जाता है तो पत्ते के सारे तत्व खाने में आ जाते हैं।
केले के पत्ते पर सर्व की गई दाल श्स सब्जी फैलती नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये पत्ते वाटरप्रूफ होते हैं। थोड़ी-बहुत ग्रेवी या सांभर आराम से पत्ते पर टिक जाती है। यही कासरण है कि साउथ के लोग सांभर, रसम और सब्जियों के लिए केले का पत्ता ही चुनते हैं।
आज के समय में प्लास्टिक और थर्माकोल की प्लेट्स बहुत इस्तेमाल होती हैं, लेकिन आए दिन सरकार कैंपेन चलाती है कि ये हमारी सेहत और पर्यावरण, दोनों को ही नुकसान पहुंचाती है। इन्हें गलने में सालों लग जाते हैं। ऐसे में केले के पत्ते पूरी तरह नेचुरल और इको-फ्रेंडली होते हैं। ये आसानी से मिट्टी में मिल जाते हैं और खाद बन जाते हैं।
अगर आप बाहर से कोई प्लेट्स या कटोरियां खरीदेंगी तो इससे आपका ज्यादा खर्च हो सकता है। ऐसे में केले का पत्ता एक सस्ता ऑप्श है। शादी, त्योहार या बड़े आयोजन में इन्हें थोक में आसानी से खरीदा जा सकता है। इसकी खास बात ये भी है कि इसके लिए आपको कटोरियों की जरूरत नहीं पड़ती है। एक ही पत्ते पर पूरा खाना सर्व किया जा सकता है।
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केले के पत्तों पर धूल आसानी से नहीं चिपकता है। खाना सर्व करने से पहले इन्हें अच्छे से धो लिया जाता है, जिससे ये साफ और सेफ हो जाते हैं। वहीं प्लास्टिक या स्टील की प्लेट्स को धोने में साबुन और केमिकल का इस्तेमाल होता है, जो कई बार सेहत के लिए ठीक नहीं माने जाते हैं।
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साउथ इंडिया में इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है। इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं हैं कि नॉर्थ इंडिया में लोग इसे नहीं इस्तेमाल करते हैं। पूरे भारत में पूजा, भंडारे और खास मौकों पर केले के पत्ते पर खाना सर्व करने की परंपरा है।
तो केले के पत्ते पर भोजन करना सिर्फ एक ट्रेडिशन नहीं बल्कि सेहत, सफाई और नेचर से जुड़ा हुआ एक समझदारी भरा तरीका है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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