
कई बार ऑफिस या घर, परिवार या बच्चों की जिम्मेदारियों में खोई हुई महिलाएं व्यक्तिगत स्वास्थ्य के बारे में भूल जाती हैं या उन्हें अनदेखा करती रहती हैं। जब तक महिलाएं 20 साल की उम्र में होती हैं, शरीर युवा और फिट होता है और इसलिए बेहतर तरीके से मुकाबला करता है।
लेकिन, 30 के बाद जब आप अपनी अधेड़ उम्र के दरवाजे पर दस्तक दे रहे होते हैं, तब आपको वास्तव में अपनी शारीरिक जरूरतों पर ध्यान देने की जरूरत होती है। 30 की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं और 35 साल की उम्र के बाद ये ज्यादा दिखने लगते हैं। इनमें पीरियड्स में बदलाव, यूरिन का कंट्रोल न कर पाना, फाइब्रॉएड, प्रेग्नेंसी की कठिनाइयां, उम्र बढ़ने के प्रमुख लक्षण, धीमा मेटाबॉलिज्म जैसे नाम शामिल हैं।
ये प्राकृतिक परिवर्तन हर किसी के साथ होते हैं। आप इनसे बचने के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन एक हेल्दी लाइफस्टाइल और सही पोषक तत्वों के साथ आप इसे मैनेज करने के लिए स्टेप्स उठा सकते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे सप्लीमेंट्स के बारे में बता रहे हैं जो 30 की उम्र के बाद महिलाएं ले सकती हैं। इसकी जानकारी मैटरनल और चाइल्ड न्यूट्रिशनिस्ट डॉक्टर रमिता कौर के इंस्टाग्राम के माध्यम से शेयर की है। वह अक्सर डाइट से जुड़ी जानकारी शेयर करती रहती हैं।
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इसके कैप्शन में उन्होंने लिखा, 'बैलेंस डाइट लेना हेल्दी की कुंजी है। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे शरीर की आवश्यकताएं विकसित होती हैं और कभी-कभी आपको सप्लीमेंट्स से अतिरिक्त मदद की आवश्यकता होती है। लेकिन कई बार जिम्मेदारियों में खोई हुई महिलाएं पर्सनल हेल्थ को भूल जाती हैं और खुद को अनदेखा करती रहती हैं। लेकिन, शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के संतुलन को बनाए रखने के लिए महिलाओं को 6 सप्लीमेंट्स लेने चाहिए।
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आंत में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ावा देता है, वेट लॉस जर्नी में मदद करता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है। विटामिन-डी इस जरूरी मिनरल्स को प्राप्त करने में मदद करता है जहां इसे आपके शरीर को कैलबिंडिन नामक प्रोटीन बनाने में मदद करने की आवश्यकता होती है, जो आपकी आंतों की दीवार और आपके ब्लड फ्लो में कैल्शियम को स्थानांतरित करने के लिए काम करता है।
इसे साल में 3 बार लें (महीने में 4 डोज)
मैग्नीशियम की कमी वाली महिलाओं को मसल्स में ऐंठन, थकान, हाई ब्लडप्रेशर, अनियमित दिल की धड़कन, मतली और मसल्स में कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
मसल्स और नर्वस कार्य और एनर्जी उत्पादन का समर्थन करता है। मैग्नीशियम, विशेष रूप से मैग्नीशियम ग्लाइसीनेट, आपके दिमाग को शांत करने में मदद करता है और तनावग्रस्त मसल्स को शांत करता है, जिससे रात में आराम करना आसान हो जाता है।
अधिकांश लोगों को अकेले आहार से इस मिनरल्स की पर्याप्त मात्रा नहीं मिलती है, इसलिए सप्लीमेंट मददगार हो सकता है।

यह हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने में मदद करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। बढ़ती उम्र में यह और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है जो त्वचा, बाल और इम्यूनिटी लेवल में सुधार करने में मदद करता है।
हर 6 महीने में 1 महीने के लिए

सूजन और मेटाबॉलिक संबंधी बीमारियों की संभावना को कम करता है और एंग्जाइटी से लड़ता है। ओमेगा -3 एस (डीएचए और ईपीए) से फैटी एसिड को आवश्यक फैटी एसिड माना जाता है। इसका मतलब यह है कि इसे हमारा शरीर खुद से पैदा नहीं कर सकता है, इसलिए हमें डाइट या सप्लीमेंट से प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
प्रतिदिन 1 गोली
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आप डॉक्टर की मदद लें और अपने लिए निर्धारित सप्लीमेंट प्राप्त करें। अगर आपको भी हेल्थ से जुड़ी कोई समस्या है तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं और हम अपनी स्टोरीज के जरिए इसका हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik & Shutterstock
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