आजकल गेहूं और इससे बनी चीजें, जैसे ब्रेड, पास्ता और अनाज, हमारी डाइट का अहम हिस्सा बन गई हैं। बहुत से लोगों को इन्हें छोड़ना बहुत मुश्किल लगता है, लेकिन, अब कई लोग अपनी सेहत के लिए गेहूं-मुक्त डाइट अपना रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गेहूं से कुछ लोगों को ग्लूटेन सेंसिटिविटी, वजन बढ़ना, ऑटोइम्यून बीमारियां और हाई ब्लड शुगर जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
डाइटिशियन सिमरन सैनी का कहना है कि एक महीने के लिए गेहूं छोड़ना एक अच्छा प्रयोग हो सकता है। यह समझने के लिए कि यह आपके शरीर पर कैसा असर डालता है, इसके फायदे और नुकसान दोनों को समझना जरूरी है। बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता कि उन्हें ग्लूटेन से एलर्जी है। ऐसे में, गेहूं छोड़ने से डाइजेशन में सुधार और वजन घटाने जैसे कई फायदे मिल सकते हैं।
गेहूं खाना छोड़ने से आपको कई फायदे मिल सकते हैं। बहुत-सी महिलाओं ने पाया है कि केवल एक महीने के लिए गेहूं छोड़ देने से ही उनके स्वास्थ्य में बड़े सुधार देखने को मिलते हैं। यह बदलाव शरीर, मन और जीवनशैली तीनों पर सकारात्मक असर डाल सकता है।
जब आप एक महीने के लिए गेहूं खाना बंद कर देती हैं, तब आपके शरीर में इंसुलिन स्पाइक्स और शुगर का लेवल कम हो सकता है।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि शरीर में शुगर का लेवल अचानक से नहीं बढ़ता, जिससे डायबिटीज जैसी बीमारियों को खतरा कम होता है। लंबे समय तक शुगर पर कंट्रोल रहने से दिल और किडनी की सेहत भी बेहतर बनी रहती है।
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गेहूं कुछ महिलाओं में सूजन संबंधी प्रतिक्रिया पैदा कर सकता है, इसलिए इसे छोड़ने से जोड़ों के दर्द और अकड़न में राहत मिल सकती है।
गेहूं में कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी ज्यादा होती है। इसे छोड़ने से आपका कैलोरी इनटेक कम हो जाता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है। खासकर पेट और कमर के आस-पास की चर्बी घटाने में यह असरदार साबित हो सकता है। इसलिए, अगर आप वजन कम करना चाहती हैं, तो गेहूं को डाइट से हटाकर अन्य विकल्प अपनाना अच्छा कदम हो सकता है।
कई महिलाएं इस बात से अनजान होती हैं कि उन्हें ग्लूटेन इनटॉलेरेंस है। ऐसे में गेहूं छोड़ने पर वे ब्लोटिंग, गैस और पेट दर्द जैसी समस्याओं से राहत महसूस करती हैं।
डाइजेस्टिव सिस्टम सही तरीके से काम करने लगता है और आंत का स्वास्थ्य सुधरता है। इसका असर एनर्जी लेवल, स्किन और मूड पर भी साफ दिख सकता है। लंबे समय में यह बदलाव शरीर को फिट रखने और इंच लॉस में मदद कर सकता है।
अगर आपको ग्लूटेन इनटॉलेरेंस या सीलिएक रोग है, तो ग्लूटेन हटाने से शरीर में सूजन कम होती है, जिससे एनर्जी बढ़ती है और मूड भी अच्छा होता है।
गेहूं की जगह आप इन हेल्दी और फाइबर से भरपूर मिलेट्स के आटे का इस्तेमाल कर सकती हैं:
ये विकल्प न सिर्फ पचने में आसान होते हैं, बल्कि शरीर को आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर भी देते हैं।
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हालांकि, आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गेहूं छोड़ना कुछ महिलाओं के लिए मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इससे खाने की तलब और इमोशनल परेशानियां हो सकती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि भोजन का हमारे मेंटल और इमोशनल हेल्थ से सीधा संबंध होता है। इस बदलाव से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना जरूरी है। इसलिए, अपने शरीर को समझकर और धीरे-धीरे बदलाव करना जरूरी है।
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