
'ब्रेस्टफीडिंग' मां के लिए यह अद्भुत अहसास होता है और नवजात शिशु के जन्म के बाद पहले छह महीनों तक पोषण का एकमात्र स्रोत भी।
ब्रेस्टफीडिंग से न सिर्फ मां और बच्चे के बीच इमोशनल रिश्ता गहरा होता है, बल्कि दोनों की सेहत भी अच्छी रहती है। यह शिशु की इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है और मां को प्रेग्नेंसी के बाद बढ़ा हुआ वजन कम करने में मदद करता है। हालांकि, यह भी जरूरी है कि मां का शरीर पर्याप्त मात्रा में ब्रेस्ट मिल्क बना सके, ताकि बच्चे को पूरा पोषण मिल सके।
कई महिलाओं को डिलीवरी के बाद दूध की मात्रा कम होने या बिल्कुल न बनने की समस्या होती है। ऐसे में वे अपने शिशु को पर्याप्त रूप से ब्रेस्टफीड नहीं करा पातीं, जिससे बच्चे में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
ऐसा ही अनुभव मेरी सहेली सीमा को हुआ था। डिलीवरी के बाद उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए क्या किया जाए, क्योंकि वे किसी भी तरह की दवा नहीं लेना चाहती थीं। तब उनकी दादी मां ने उन्हें जीरा और मेथी खाने की सलाह दी।
अगर आप भी डिलीवरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग में ऐसी ही परेशानी महसूस कर रही हैं, तो चिंतित न हों, क्योंकि आज हम आपके लिए लेकर आए हैं दादी मां का आजमाया हुआ आयुर्वेदिक नुस्खा, जो ब्रेस्ट मिल्क को नेचुरली बढ़ाने में मदद कर सकता है। इस जानकारी को डॉक्टर हनीश बजाज, डायरेक्टर, नारायणा मदर एंड चाइल्ड केयर, सिल्वर क्रेस्ट हॉस्पिटल, HCW फाउंडेशन और जिला संयोजक, चिकित्सक प्रकोष्ठ, बीजेपी गुरुग्राम ने भी शेयर की है।
डॉक्टर बजाज के अनुसार, जीरा और मेथीदाना दोनों ही ऐसी औषधीय जड़ी-बूटियां दूध की आपूर्ति को नेचुरली बढ़ाने के लिए वरदान माना जाता है। ये दोनों हर्ब्स मिल्क बनाने वाली नलिकाओं को उत्तेजित करके दूध के उत्पादन को तेजी से बढ़ाते हैं।
| हर्ब | फायदे | यह कैसे काम करता है? |
| मेथी | गैलेक्टागॉग से भरपूर | यह सबसे पुराना हर्बल उपचार है, जो सीधे ब्रेस्ट मिल्क के स्राव में सुधार करता है। यह मां को एनर्जी देता है और ब्लोटिंग को कम करता है। |
| जीरा | कैल्शियम और आयरन का स्रोत | यह दूध की मात्रा को बढ़ाता है, साथ ही मां के डाइजेशन को दुरुस्त करता है। जीरे का आयरन नई मां को थकान और एनीमिया से लड़ने में मदद करता है। |
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मेथी ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने का सबसे पुराना और अच्छा उपचार है। यह गैलेक्टागॉग का सबसे अच्छा स्रोत है, यानी ऐसी जड़ी-बूटी, जो ब्रेस्ट मिल्क के स्राव में सुधार करती है। मेथी में कई औषधीय गुण होते हैं और इसका इस्तेमाल पारंपरिक रूप से जोड़ों के दर्द और पाचन संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है।

भारत में ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को अनिवार्य रूप से मेथी के बीज और पत्तियों का सेवन करना चाहिए, ताकि स्वादिष्ट व्यंजनों के जरिए दूध की आपूर्ति को बढ़ावा मिल सके। यह आम पाचन संबंधी समस्याओं जैसे ब्लोटिंग आदि को भी कम कर सकती है।
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जीरा न सिर्फ ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाता है, बल्कि मां की रिकवरी में भी अहम भूमिका निभाता है। यह आपके डाइजेशन को सही करता है और कब्ज, एसिडिटी और सूजन को कम करता है, जो डिलीवरी के बाद होने वाली आम समस्याएं हैं।

जीरा कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन-बी) से भरपूर होता है। इसके अलावा, इसमें आयरन की भरपूर मात्रा होती है, जो नई मां को एनर्जी देने और खून की कमी को दूर करने का काम करती है।
यह मेरी दादी मां का आजमाया हुआ नुस्खा है, जिसके नियमित सेवन से दूध की क्वालिटी और मात्रा दोनों में सुधार आता है।
दूध में जीरा मिलाने से दूध में भी कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है, जो दूध बढ़ाने में सीधे सहायक होती है।
इन आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनी डाइट में शामिल कर आप बच्चे को भरपूर पोषण दे सकती हैं और स्वस्थ मातृत्व का आनंद ले सकती हैं! आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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