क्या आपने कभी अपने लिए कुकिंग ऑयल चुनते हुए उसके इंग्रीडिएंट्स पर ध्यान दिया है? अब आप सोच रही होंगी कि ऐसा क्यों जरूरी है। दरअसल, अच्छी सेहत के लिए जितना जरूरी संतुलित आहार और एक सक्रिय लाइफस्टाइल पर ध्यान देना है, उतना ही जरूरी है हेल्दी कुकिंग ऑयल को चुनना।
अब आपको यह तो पता ही होगा कि कुकिंग ऑयल फैट्स से बनते हैं। इनमें मौजूद बैड फैट हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस वजह से कुकिंग ऑयल चुनते हुए हमें और भी सतर्क रहना चाहिए। आइए इनके बारे में विस्तार से जानें
बाजार में कई तरह के कुकिंग ऑयल मौजूद हैं, इसलिए आपको पहले विभिन्न प्रकार के फैट्स के बारे में जानना जरूरी है। दोनों, अच्छे और बुरे फैट्स से बनकर ही कुकिंग ऑयल बनता है। इसलिए अगर आपको इनकी समझ होगी, तो अपने लिए कुकिंग ऑयल का चुनाव करना आसान होगा।
सैचुरेटेड फैट्स- इन फैट्स का जितना सेवन कम करें, उतना आपके लिए बेहतर होगा। आपकी डेली फैट्स कैलोरी का 7% से भी कम इन सैचुरेटेड फैट्स से आना चाहिए। सैचुरेटेड फैट्स मक्खन, क्रीम दूध, दही और पनीर, लार्ड, बेकन फैट, रेड मीट से होता है।
ट्रांस फैट्स- हाइड्रोजेनेटेड ऑयल वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहकर अपने आहार से ट्रांस फैट हटाया जा सकता है। कई पैक्ड या प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में ये तेल होते हैं, इसलिए इनका सेवन करने से पहले सोचें।
मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स: ऑलिव, एवोकाडो और नट्स से अच्छे फैट्स पाए जाते हैं। जितनी बार भी संभव हो एक्स्ट्रा वर्जिन ऑयल का उपयोग करें। अगर आप ज्यादा हीट पर कुकिंग और बेकिंग कर रही हैं, तो बादाम, एवोकाडो और मूंगफली का तेल अच्छा है।
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पॉलीअनसेचुरेटेड फैट्स (ओमेगा-6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड) : कोशिश करें, ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जिनमें अच्छी मात्रा में ओमेगा-3एस हो। ऑयली फिश (सैल्मन, हेरिंग, मैकेरल) को चुनें और अखरोट, चिया बीज और फ्लैक्ससीड का सेवन करें।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि कुकिंग ऑयल में ओमेगा-6 से ओमेगा-3 तक का अनुपात 5 और 10 के बीच होना चाहिए। यह आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा है।
विटामिन ए हमारी आंखों की रौशनी को बेहतर बनाता है और कोशिका विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं, विटामिन डी हमारी प्रतिरोधक क्षमता के लिए बहुत अहम है। यह हमारी हड्डियों को भी मज़बूत बनाता है। विटामिन ई, एक अहम ऐंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं और मांसपेशियों को बनाए रखता है।
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स्मोक पॉइंट वह तापमान होता है, जिससे ऑयल काफी गर्म (धुआं निकलने लगता है) होता है और उससे टॉक्सिक धुआं और फ्री रेडिकल्स निकलते हैं। चूंकि हर ऑयल अलग होता है, उसमें केमिकल मेकअप अलग होता है, इसलिए विभिन्न ऑयल का स्मोक पॉइंट भी अलग होता है। कुछ ऑयल्स उच्च तापमान पर खाना पकाने के लिए बेहतर होते हैं। आम तौर पर, तेल जितना रिफाइंड होता है, स्मोक पॉइंट उतना ही अधिक होता है। ध्यान दें कि स्मोक पॉइंट केवल ताजे तेल से संबंधित है। बार बार उपयोग में लाया गया तेल का स्मोक पॉइंट नहीं होता।
यह तेल डीप फ्राइंग के लिए अच्छे होते हैं- इनमें बादाम, एवोकाडो, हेजेलनट, पाम, सनफ्लावर और लाइट ऑलिव/रिफाइंड ऑलिव शामिल हैं।
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इल ऑयल्स का इस्तेमाल बेकिंग, अवन कुकिंग और स्टर फ्राई के लिए किया जाता है। कैनोला, मैकाडेमिया नट, लाइट वर्जिन ऑयल और मूंगफली ऑयल इसमें आते हैं।
ये सॉते करने के लिए और लो हीट बेकिंग में काम आते हैं। इनमें कॉर्न, हेंप, कद्दू के बीज, तिल, सोयाबीन और वर्जिन कोकोनट ऑयल शामिल हैं।
अब आप समझ ही गई होंगी कि यह डिप्स, सलाद ड्रेसिंग और मैरिनेड के काम आते हैं। फ्लैक्ससीड, व्हीट जर्म, और वॉलनट ऑयल इनमें शामिल हैं।
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