एक महिला को मेंस्ट्रुएशन से लेकर मेनोपॉज होने तक अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और अपने आहार में आयरन रिच फूड को शामिल करना चाहिए। इस दौरान महिला के शरीर से बहुत ब्लड होता है और ब्लड हीमोग्लोबिन और आयरन से बनता है। इसलिए हमें आयरन रिच फूड्स लेने की सलाह दी जाती है। अब सिर्फ आयरन ही नहीं , बल्कि प्रोटीन, विटामिन्स आदि की भी सही खुराक लेनी चाहिए। ऐसे समय में यूट्रस मसल कॉन्ट्रैक्ट करती हैं तो उसे कंफर्ट करने के लिए हमें ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए। यह कहना है जानी-मानी न्यूट्रिशनिस्ट सीमा सिंह का, जो मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान हेल्दी फूड खाने की सलाह देती हैं।
ब्लड लॉस की भरपाई के लिए तिल, गुड़, पालक और नॉन वेजिटेरियन फूड आइटम को महीने के दौरान आहार में सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही एक महिला को सिट्रस फ्रूट्स जिससे विटामिन्स की भरपाई होती है, जैसे नींबू या आंवला का सेवन भी करना चाहिए। हमें यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि हमें न्यूट्रिशन का एक भरपूर कॉम्बिनेशन की भी आवश्यकता है। अगर सिर्फ आयरन और प्रोटीन लेते रहे और विटामिन्स नहीं लिया तो आपके शरीर को पूरा पोषण नहीं मिलेगा।
पीएमएस के दौरान मूड स्विंग होना और क्रेविंग्स होना सामान्य है, क्योंकि उनमें आपसी संबंध है। आपकी साइकिल के हर स्टेज में हार्मोन में बड़ा उतार-चढ़ाव होता है और कुछ खाद्य पदार्थ उन स्टेज के दौरान दूसरों की तुलना में अधिक मदद कर सकते हैं। आइए ऐसे फूड्स के बारे में न्यूट्रिशनिस्ट सीमा सिंह से ही जानें।
फॉलिक्युलर फेज
यह वह स्टेज होती है, जब आपके हार्मोन धीरे-धीरे बढ़ते हैं, खासतौर से फॉलिक्युलर-स्टिमुलेटिंग हार्मोन जो आपके शरीर को गर्भाधान के लिए तैयार करने में मदद करते हैं। यदि आपको गर्भधारण करने में परेशानी हो रही है, खासकर अगर यह एंडोमेट्रियोसिस या फाइब्रॉएड के कारण है, तो आपके शरीर में बहुत अधिक एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ सकती है। ऐसे में उन खाद्य पदार्थों का सेवन करें जो आपके फॉलिक्युलर डेवलपमेंट के साथ एस्ट्रोजन को मेटाबॉलाइज करने में भी आपकी सहायता करें। यह 1 से 14 दिन की स्टेज एस्ट्रोजन-डॉमिनेंट होता है तो ऐसे में पालक, ड्राई फ्रूट्स, लहसुन अलसी और पंपकिन सीड्स, दालें आदि का सेवन करना मददगार होता है। इन आइटम्स में फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं और यह एस्ट्रोजन जैसा कंपाउंड आपके एस्ट्रोजन के स्तर को स्वाभाविक रूप से बढ़ाने में मदद करते हैं।
ओव्यूलेशन फेज
इस फेज के दौरान हमारा Luteinising हार्मोन अपने चरम पर होता है, जो महिलाओं को फर्टाइल बनाता है। इस फेज का आकलन करने के लिए अपने पीरियड्स के अंतिम दिनों पर गौर करें। अगर आपके वेजाइनल डिस्चार्ज में थोड़ा सा बदलाव है, तो इसका मतलब आपका ओव्यूलेशन पीरियड शुरू हो गया है। ऐसे समय पर फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट रिच फूड्स का सेवन करना चाहिए। रास्पबेरी, नारियल, अमरूद जैसे फल ग्लूटाथिओन को उत्तेजित करते हैं। और लीवर में बढ़ते हार्मोन और डिटॉक्सिफिकेशन का समर्थन करते हैं।
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Luteal फेज
यह मेंस्ट्रुअल साइकिल का एक दूसरा फेज है, जो ऑव्यूलेशन के बाद और पीरियड्स शुरू होने से पहले होता है। इस दौरान आपके यूट्रस की लाइनिंग थिक होने लगती है, जो प्रेगनेंसी के लिए यूट्रस को प्रीपेयर करती है। ऐसे समय में आपका एस्ट्रोजन लेवल गिरता है और प्रोजेस्टेरोन बढ़ता है। आपका मूड स्विंग होता है और क्रेविंग्स होती हैं। इस दौरान डार्क चॉकलेट्स, पालक, बेरी, चिकन, कॉलीफ्लावर, आदि का सेवन करना चाहिए। (मेनोपॉज के दौरान होने वाले हार्मोनल असंतुलन के बारे में जानें)
प्रोटीन और विटामिन्स के कॉम्बिनेशन का ध्यान रखें
जब आप दाल खा रही हैं तो उसे हमेशा सीरियल के साथ कंबाइन करें, जैसे चावल या रोटी के साथ, ताकि हमें कंप्लीट पोषण और प्रोटीन मिले। इसी तरह से विटामिन्स आपकी लो इम्यूनिटी के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि विटामिन सी आपके शरीर को आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है। विटामिन-सी के स्रोत जैसे नींबू, संतरा, आंवला, अमरूद, टमाटर, अंकुरित दालें जैसे खाद्य पदार्थ का सेवन करें।
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दर्द में राहत देने के लिए आहार में शामिल करें ड्राई फ्रूट्स
ड्राई फ्रूट्स की तासीर गर्म होती है इसलिए पिस्ता, मुनक्का, बादाम, अखरोट, मेथी का पानी आदि का सेवन करना आपको राहत दे सकता है। इन ड्राई फ्रूट्स में विटामिन-ई का अच्छा स्रोत होता है, जो स्वेलिंग और ब्रेस्ट्स के आसपास होने वाले दर्द में भी राहत पहुंचा सकता है। चिया और फ्लैक्स सीड्स भी पीरियड क्रैम्प्स में मदद करते हैं।
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जैसा कि न्यूट्रिशनिस्ट सीमा सिंह ने कहा सिर्फ पीरियड्स के दौरान ही नहीं बल्कि अपने स्वास्थ्य का ख्याल आपको हमेशा रखना चाहिए। लेकिन महीने के उन दिनों अपने साथ-साथ अपने खानपान का ध्यान रखना भी जरूरी है।
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