इस आधुनिक युग में सभी अपनी अपनी लाइफ में बिजी हैं। किसी के पास खुद को रिलैक्स करने का वक्त नहीं है। ऐसे में तनाव और अवसाद जैसी बीमारियों ने लगभग सभी को अपने आगोश में ले रखा है। सुनने में इन बीमारियों के नाम इतने आम लगते हैं कि लोगों को इनसे डर नहीं लगता मगर सच्चाई यह है कि तनाव और अवसाद दोनों ही ऐसी बीमारियां हैं जो मनुष्य को दूसरी कई गंभीर बीमारियों के शिकंजे में फंसा देती है। वैसे तो इन बीमारियों से छुटकारा पाने के कई आधुनिक तरीके हैं। कई बार इन बीमारियों से निजात पाने के लिए महंगे इलाज तक से गुजरा पड़ता है। महिलाओं में तनाव और अवसाद की बीमारी ज्यादा होती है क्योंकि उन्हें दोहरी जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। अगर महिला वर्किंग है तो दफतर के काम के अलावा उसे अपने घर के काम भी निपटाने पड़ते हैं इस लिए वह ज्यादा स्ट्रेसफुल लाइफ बिताती हैं। स्ट्रेस न हो इसके लिए कई महिलाएं दवाएं भी लेती हैं। मगर क्या आपको पता है कि स्ट्रेस की दवाएं आपको दूसरी कई गंभीर समस्याओं का शिकार बना सकती हैं। बहुत कम महिलाओं को इस बात की जानकारी है कि ज्यादा दवाओं का सेवन भी उन्हें बीमार बना देता है। खैर, आप चाहें तो बिना दवाओं के ही अपने शरीर को स्ट्रेस और डिप्रेशन के शिकंजे से छुड़ा सकती हैं,मगर इसके लिए आपको आयुर्वेदिक तरीका अपनाना पड़ेगा । दरअसल, भारत में आयुर्वेदिक का महत्व आज भी खत्म नहीं हुआ है। इसी आयूर्वेद में तनाव और अवासद को कम करने और शरीर की दूसरी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए ‘धारा थैरेपी’ का जिक्र मिलता है। आज हम आपको इसी थैरेपी के बेनिफिट्स के बारे में बताएंगे।
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डिप्रेशन जैसी मानसिक अवस्थओं में राहत दिलाने का यह एक प्राचीन तरीका है। इस थेरेपी के द्वारा नर्वस सिस्टम पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। साथ ही यह नसों में दबाव भी बनाती हैं। अगर आपको तनाव, एंजायटी, डिप्रेशन जैसी दिक्कतें हैं तो आप को यह थैरेपी जरूर करानी चाहिए। इस थेरेपी को करने का तरीका कुछ ऐसे होता है।
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इस थेरेपी में तेल के स्थान पर बटरमिल्क का इस्तेमाल होता है। जिन महिलाओं को हाइपरटेशन, सिरदर्द, हार्ट डिसीज, आंख और कान से जुड़ी तकलीफ होती हैं वे इस थेरेपी को लेकर इन बीमारियों से निजात पा सकती हैं। यह थेरेपी निम्न तरीके से दी जाती हैं।इस थेरेपी में शरीर के जिस स्थान में तकलीफ होती है उस स्थान पर बटरमिल्क की धार से ट्रीटमेंट किया जाता है।
इस थेरेपी में मेडीकेटेड दूध और तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इस थेरेपी को देने की विधि भी शिरोधारा जैसी ही होती है। जिन महिलाओं को नींद न आने, सिर दर्द और शरीर में दर्द होने की समस्या होती है, वे यह थेरेपी ले सकती हैं।
यह ट्रीटमेंट स्पाइनल डिसऑर्डर, नयूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, आर्थिराइटिस, अस्थमा, स्पॉन्डिलायटिस जैसी बीमारियों से जूझ रही महिलाओं को आराम पहुंचाएंगी। इस थेरेपी में एक खास तरह के तेल को गर्म करके शरीर के कुछ अंगों में मसाज दी जाती है।
इस ट्रीटमेंट के दौरान 6 से 7 लीटर गर्म हर्बल तेल से पूरी बॉडी को नहलाया जाता है। इसके बाद पूरी बॉडी की मसाज होती है। इससे मस्क्युलर पेन, ज्वॉइंट स्टिफनेस, हार्मोनल इमबैलेंस जैसी समस्याएं ठीक हो जाती हैं। अगर आपको कोई स्किनडिसीज है तो वो भी इस ट्रीटमेंट से ठीक हो जाती है।
यह ट्रीटमेंट आंखों के लिए होता है। आंखों की समस्याओं को दूर करने के लिए इस ट्रीटमेंट में त्रिफला वॉटर से आखों को क्लीन किया जाता है। इसमें भी धारदार बर्तन से आंखों में त्रिफला वॉटर डाला जाता है।
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