पूरी दुनिया आपके साथ कैसा व्यवहार करती है, इसे सुनिश्चित करना आपके बस की बात नहीं है और ना ही आप लोगों की सोच व व्यवहार को बदल सकती हैं। हालांकि जो लोग आपसे सही तरह व्यवहार नहीं करते या फिर आपके लिए मानसिक तनाव का कारण बनते हैं, आप उनके लिए बॉउंड्री जरूर सेट कर सकती हैं। ऐसा करना बेहद आवश्यक भी है। दरअसल, अगर आप अपने आसपास ऐसे नेगेटिव लोगों का प्रभाव खुद पर बढ़ने देती हैं तो इससे आप हमेशा ही खुद को बिना किसी वजह के मानसिक रूप से परेशान करती हैं। इसका असर आपकी पर्सनल व प्रोफेशनल लाइफ पर भी नजर आता है।
हालांकि हम लोग ऐसा नहीं करते, बल्कि जो लोग हमसे नाखुश हैं या सिर्फ हमारी कमियां निकालते हैं, हम उन्हें संतुष्ट करने के रास्ते ढूंढते रहते हैं। ऐसे में सामने वाला व्यक्ति चाहे खुश हो या ना हो, लेकिन उसे pleased करने के चक्कर हमारी खुद की खुशी कहीं गायब हो जाती है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपनी सीमाओं को स्मार्ट तरीके से सेट करें ताकि उनका प्रभाव आपके जीवन पर कम से कम हों और उन्हें भी आपके व्यवहार से किसी प्रकार का दुख ना हो। तो चलिए जानते हैं कि मानसिक तनाव देने वाले व्यक्तियों के लिए कैसे सेट करें बॉउंड्री-
करें एनालाइज
सीमाएं तय करने से पहले आपको खुद का एनालाइज करना होगा। आमतौर पर, दूसरों द्वारा मानसिक तनाव देने के दो कारण होते हैं- पहला, लोग आदतन ऐसा करते हैं, वह दूसरों को खुद से बेहतर नहीं देख सकते और दूसरों को परेशान करके उन्हें आनंद मिलता है। दूसरा, जो लोग आपके well-wisher होते हैं, वह भी आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकते हैं। हो सकता है कि आप कुछ ऐसा कर रही हों, जो आपके लिए अच्छा ना हो और इसलिए सामने वाला व्यक्ति आपको रोकना चाहता हो। इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले खुद का विश्लेषण करें और खुद को स्वयं के नजरिए से देखने की जगह सामने वाले व्यक्ति के नजरिए से देखें, इससे आप स्थिति को बेहतर तरीके से समझेंगी।
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गुस्से में नहीं
क्रोध आपसे ऐसे काम करवा सकता है, जिनके बारे में आपने कभी सोचा नहीं होगा। जब आप गुस्से में होती हैं, तो उस समय लिए गए फैसले पर बाद में हमेशा ही पछताना पड़ सकता है। हो सकता है कि सामने वाले व्यक्ति की किसी हरकत से आप नाराज या गुस्से में हों और आप उससे दोस्ती तोड़ दें। इससे आपने सीमा तो तय कर दी, लेकिन आपने एक अच्छे दोस्त को भी खो दिया। इसलिए हमेशा शांत दिमाग से ही फैसला लें और आगे बढ़ें।
ना कहना सीखें
इमोशनल अटैचमेंट कई बार खुद के लिए स्टैंड लेना मुश्किल कर देता है। लोगों के प्रति सेंसेटिव होना अच्छा है, लेकिन जब लोग अपनी सीमा पार करके आपकी जिन्दगी में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी करने लगेंगे तो उन्हें ना कहना सीखना भी बेहद जरूरी है। जब आप नहीं कहना सीख जाती हैं, तो आप अपना काम आसान कर देती हैं। इतना ही नहीं, उस वक्त आपके लिए लोगों, परिस्थितियों व समस्याओं को संभालना आसान काफी आसान हो जाता है।
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जितना जरूरी हो, उतना बोलें
यकीनन जब लोग एक-दूसरे से खुले होते हैं, तो रिश्ते काफी बेहतर होते हैं। लेकिन इस तरह लोग आपकी मानसिक परेशानी की वजह भी बन सकते हैं। इसलिए दूसरों के लिए सीमा तय करने के लिए पहले खुद पर नियंत्रण रखना सीखें। जहां पर जितना जरूरी हो, उतना ही बोलें। इससे पहले कि आप दूसरों के लिए एक खुली किताब बनें, पहले आप उन्हें अपने जीवन में वह स्थान अर्जित करने दें। सिर्फ दोस्ती होने पर ही पूरी तरह दिल खोलकर रख देना सही नहीं है। इससे लोगों को आपका फायदा उठाने का मौका मिल जाता है।
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