Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2024: गणेश चतुर्थी पर पढ़े ये व्रत कथा, आने वाला हर संकट होगा दूर

जहां एक ओर गणेश चतुर्थी पर गणेश पूजन किया जाता है तो वहीं, इस दिन गणेश चतुर्थी की व्रत कथा सुनने का भी विशेष लाभ मिलता है। 

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गणेश चतुर्थी का शुभारंभ 7 सितंबर, दिन शनिवार को हो रहा है। इस दिन गणेश जी की घर में स्थापना का विधान है। इसके अलावा, जहां एक ओर गणेश चतुर्थी पर गणेश पूजन किया जाता है तो वहीं, इस दिन गणेश चतुर्थी की व्रत कथा सुनने का भी विशेष लाभ मिलता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जाते हैं कि गणेश चतुर्थी की व्रत कथा के बारे में।

गणेश चतुर्थी की पहली व्रत कथा (Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2024)

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पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव ने देवी पार्वती को आश्वासन दिया और उनके आशीर्वाद से भगवान गणेश का जन्म हुआ।

गणेश जी का जन्म बहुत ही अद्भुत और चमत्कारिक था। एक दिन देवी पार्वती स्नान कर रही थीं, और उन्होंने अपने शरीर की सफाई के लिए एक बालक की रचना की। इस बालक को उन्होंने गंदगी से बनाए बिना ही निर्मित किया।

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जब गणेश जी बड़े हुए, तो एक बार भगवान शिव उनके पास आए। गणेश जी ने भगवान शिव को पहचाना नहीं और उन्हें द्वार पर रोक दिया। इस कारण शिवजी और गणेश जी के बीच संघर्ष हुआ और गणेश जी को भगवान शिव ने सिर काट दिया।

बाद में, देवी पार्वती की प्रार्थना पर भगवान शिव ने एक हाथी का सिर गणेश जी के शरीर पर जोड़ दिया और उन्हें पुनर्जीवित किया। जिस दिन गणेश जी को नया जन्म मिला उस दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। इसी कारण से इस दिन गणेश चतुर्थी मनाई जाती है।

गणेश चतुर्थी 2024 की दूसरी व्रत कथा

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एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह भगवान गणेश का बहुत बड़ा भक्त था। गणेश चतुर्थी के दिन, वह अपने घर में भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा करने के लिए तैयार हो गया। उसके पास पूजन के लिए बहुत कुछ नहीं था, लेकिन उसने मन से सच्ची भक्ति से पूजा की।

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उसी रात भगवान गणेश जी ने सपने में ब्राह्मण को दर्शन दिए और कहा कि उसकी भक्ति और श्रद्धा ने श्री गणेश को प्रसन्न किया है और वह उसकी पूजा को स्वीकार करते हैं। गणेश जी ने ब्राह्मण को वरदान दिया कि उसे भविष्य में समृद्धि और खुशहाली प्राप्त होगी।

अगले दिन ब्राह्मण ने देखा कि उसके घर में धन और ऐश्वर्य की भरपूरता आ गई थी। यह देखकर उसके गांववाले भी गणेश जी की पूजा करने लगे और सभी को सुख-समृद्धि प्राप्त हुई। इसके बाद से ही भाद्रपद शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी के इन गणेश जी की पूजा का विधान शुरू हुआ।

आप भी इस लेख में गणेश चतुर्थी की व्रत कथा के बारे में जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

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