Ganesh Chaturthi 2025: कब से शुरू हो रहा है गणपति महोत्सव? गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व बारे में यहां लें पूरी जानकारी

हर साल गणपति महोत्सव की पूरे देश में धूम रहती है और भक्तजन उत्साह के साथ घरों और पंडालों में गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं। पूरे ग्यारह दिनों तक घर में पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस साल कब से शुरू हो रहा है यह महोत्सव और इसकी मुख्य तिथियों के बारे में यहां से पूरी जानकारी लें।
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गणपति महोत्सव भारत के सबसे भव्य और लोकप्रिय पर्वों में से एक माना जाता है, जिसकी शुरुआत हर साल गणेश चतुर्थी से होती है। यह पर्व विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता भगवान गणेश को समर्पित होता है, उन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता भी माना जाता है। इस दौरान भक्तजन पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा को घरों और पंडालों में स्थापित करते हैं और ग्यारह दिनों तक विधिवत पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस साल गणेश महोत्सव 2025 का शुभारंभ 27 अगस्त 2025, बुधवार को गणेश चतुर्थी से होगा और इसका समापन 06 सितंबर 2025, शनिवार को अनंत चतुर्दशी पर होगा। इस दौरान चारों ओर ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारों की गूंज होती है और वातावरण भक्तिमय बन जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में श्रीगणेश की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस उत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण उत्सव का समापन दिन गणेश विसर्जन माना जाता है जिसमें भक्त बड़ी धूमधाम और शोभायात्रा के साथ गणेश जी की प्रतिमा को जल में विसर्जित करते हैं। यह पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। आइए ज्योतिर्विद रमेश भोजराज द्विवेदी से जानते हैं इस साल गणपति महोत्सव के पर्व का आरंभ कब से हो रहा है? गणेश चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी कब हैं? साथ ही, इन तिथियों की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानें। गूगल ट्रेंड्स में भी गणपति महोत्सव की धूम है और इसका ट्रेंड दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

गणपति महोत्सव 2025 कब है? ( Ganesh Mahotsav 2025 Date)

इस साल गणपति महोत्सव का आरंभ गणेश चतुर्थी यानी कि 27 अगस्त, बुधवार से हो रहा है और इसका समापन अनंत चतुर्दशी यानी कि 06 सितंबर, शनिवार को होगा। चतुर्थी से चतुर्दशी तक कुल 11 दिन तक चलने वाला यह महोत्सव भक्तों को भक्ति, आनंद और आशीर्वाद से भरने वाला होता है और इस दौरान जगह-जगह पर गणपति पंडाल लगाए जाते हैं और घर में भी लोग गणपति की स्थापना करते हैं।

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गणेश चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है? (Ganesh Chaturthi Puja Shubh Muhurat)

  • हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है और इसी दिन से गणपति महोत्सव का आरंभ होता है। इस साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त, बुधवार को मनाई जाएगी।
  • हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन गणेश स्थापना और मध्यान्ह पूजन का शुभ मुहूर्त प्रातः 11:05 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक है।
  • गणपति की स्थापना और पूजा के लिए लगभग ढाई घंटे का समय मिलेगा। ऐसा माना जाता है कि विघ्नहर्ता गणेश का जन्म दोपहर के समय हुआ था, इसलिए इस समय उनकी पूजा करना विशेष रूप से फलदायी होता है।

गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री (Ganesh Chaturthi Puja Samagri)

गणेश चतुर्थी की पूजा के लिए विशेष सामग्री की भी आवश्यकता होती है। इस पूजा सामग्री से भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और पूजा का पूर्ण फल भी मिल सकता है। यहां जानें गणेश चतुर्थी की पूरी सामग्री के बारे में-

  • गणपति प्रतिमा: गणपति पूजन की सबसे मुख्य सामग्री गणेश जी की प्रतिमा होती है और इसके बिना पूजन ही अधूरा माना जाता है। गणपति की यह मूर्ति घर पर स्थापित की जाती है।
  • पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण होता है और इसे गणपति के स्नान के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
  • फल और मिठाइयां: गणपति पूजन में मिठाइयों और फलों का भी विशेष महत्व होता है। इसमें विशेष रूप से मोदक का भी विशेष महत्व होता है। मोदक गणपति को बहुत प्रिय होता है और भोग के रूप में उन्हें मोदक अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • आम और अशोक के: गणपति स्थापना के समय दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाना बहुत शुभ माना जाता है। ताजे आम के पत्तों को बहुत शुभ माना जाता है और इससे घर में शुभता आती है।
  • पुष्प और दूर्वा घास: गणपति को दूर्वा घास चढ़ाई जाती है और फूलों में लाल फूल अर्पित किए जाते हैं। गणपति को मुख्य रूप से गुड़हल का फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है।
  • धूप और दीपक: धूपबत्ती और दीपक को किसी भी पूजा की मुख्य सामग्री माना जाता है। धूपबत्ती जलाने से घर का वातावरण शुद्ध होता है। जिससे घर में शुभता का माहौल बना रहता है। गणपति पूजन में घी या तेल का दीपक जलाना अच्छा माना जाता है।
  • शंख: किसी भी पूजा में शंख बजाने को बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पूजा की शुरुआत हमेशा शंख की ध्वनि के साथ होती है। जब गणपति जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है तब शंख बजाकर ही होती है।
  • कुमकुम, चंदन, रोली: गणपति के मस्तक पर मुख्य रूप से कुमकुम का तिलक लगाया जाता है, इसलिए पूजा की मुख्य सामग्री में कुमकुम और रोली का होना भी आवश्यक होता है।
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गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja Vidhi)

  • गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले घर की सफाई करनी जरूरी होती है और इसके लिए भगवान गणेश की स्थापना करने से पहले एक चौकी रखें और उसमें लाल कपड़ा बिछाएं। भगवान गणेश की पूजा करने के लिए एक साफ स्थान तैयार करें।
  • भगवान गणेश की प्रतिमा को पवित्र स्थान पर स्थापित करें, ध्यान रखें कि आप जिस जगह गणपति की स्थापना कर रही हैं, उसके आस-पास कोई भी तरह की गंदगी न हो।
  • घर में गणपति की स्थापना के बाद नियमित सुबह और शाम उनकी पूजा और आरती करनी चाहिए। साथ ही, गणपति को मोदक या किसी अन्य प्रिय सामग्री का भोग लगाना चाहिए।
  • पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करना पूजा का मुख्य हिस्सा माना जाता है और नियमित जब आप पूजा शुरू और समाप्त करें तब शंख की ध्वनि करें।
  • नियमित पूजन के बाद आप भगवान गणेश से सुख, समृद्धि और बुराइयों से मुक्ति की प्रार्थना करें। यदि आप घर में गणपति की स्थापना कर रही हैं तो आपको नियमित सपरिवार उनकी पूजा गणपति पूजन की सही विधि से करनी चाहिए।

गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Ganesh Chaturthi Vrat Katha)

जो लोग गणेश चतुर्थी की पूजा करते हैं और घर गणपति की स्थापना करते हैं उन्हें गणेश चतुर्थी की व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। गणेश चतुर्थी की व्रत कथा के अनुसार भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती के शरीर से निकले मैल से हुआ है। ऐसी मान्यता है कि एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं और स्न्नान से पहले उन्होंने अपने पूरे शरीर में उबटन लगाया और उस उबटन से एक पुतले का निर्माण किया जिसे उन्होंने विनायक नाम दिया। माता पार्वती ने विनायक को मुख्य द्वार पर पहरेदार बनाकर खड़ा कर दिया और उन्हें आदेश दिया कि वो स्नान करने जा रही हैं और किसी को भी भीतर आने की अनुमति न दें। उसी समय भगवान शिव माता पार्वती से मिलने आए और विनायक ने उन्हें भी भीतर जाने से मन कर दिया। ऐसे में शिव जी ने क्रोध में आकर विनायक का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती को इस बात का एहसास हुआ तब उन्होंने शिव जी से विनायक को पुनर्जीवित करने के लिए कहा। उस समय शिव जी ने हाथी का मस्तक विनायक के सिर के स्थान पर लगा दिया और तभी से विनायक का नाम गणपति रख दिया गया। गणपति को प्रथम पूजनीय का स्थान प्राप्त हुआ। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन विनायक का गणपति के रूप में जन्म हुआ उसी दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाने लगा।

अनंत चतुर्दशी 2025 कब है? (Anant Chaturdashi Kab Hai)

अनंत चतुर्दशी हर साल गणेश चतुर्थी के दसवें दिन मनाई जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि अनंत चतुर्दशी भादो महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को होती है और इसे गणेश चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन गणपति का विसर्जन विधि-विधान से किया जाता है और बप्पा की विदाई की जाती है।

  • अनंत चतुर्दशी आरंभ- 06 सितंबर, प्रातः 3 बजकर 12 मिनट पर
  • अनंत चतुर्दशी समापन- 07 सितंबर मध्य रात्रि- 1 बजकर 41 मिनट पर
  • उदया तिथि के अनुसार इस साल अनंत चतुर्दशी 06 सितंबर, शनिवार को ही मानना शुभ होगा।
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गणेश चतुर्थी पूजा का महत्व (Ganesh Chaturthi Puja Ka Mahatva)

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे गणपति के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है और ऐसा कहा जाता है यदि आप किसी भी पूजा से पहले गणपति का आह्वान करते हैं तो पूजन सफल होता है। ऐसे ही यदि आप घर पर गणपति की स्थापना करने के साथ पूरे 11 दिनों तक उनका पूजन करती हैं तो इसका प्रभाव आपके पूरे परिवार पर होता है और पूरे साल खुशहाली बनी रहती है।

निष्कर्ष: गणपति महोत्सव केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि भक्ति और आस्था का मिला जुला रूप भी है। गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक चलने वाला यह उत्सव भक्तों के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और आपसी मेलजोल को बढ़ाता है। इस दौरान विधि-विधान से गणपति का पूजन फलदायी माना जाता है।

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Images: freepik. com

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