शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं। बाला साहेब ठाकरे के बाद शिवसेना में नई जान फूंकने और उद्धव ठाकरे की राजनैतिक स्थिति मजबूत करने में रश्मि ठाकरे का बड़ा योगदान रहा। रश्मि ठाकरे ने ना सिर्फ उद्धव ठाकरे को सक्रिय राजनीति में बने रहने के लिए प्रेरित किया, बल्कि उन्होंने बेटे आदित्य को भी विधानसभा चुनावों के दौरान शिवसेना के लिए प्रचार करने का जिम्मा दिया। इन चीजों से रश्मि की काबिलियत बखूबी जाहिर होती है।
कई सालों से शिवसेना के लिए कर रही हैं काम
बीजेपी और शिवसेना ने लंबे वक्त तक मिलकर काम किया, लेकिन अब बीजेपी के साथ शिवसेना की बढ़ती दूरियों के बीच ये कयास लगाए जा रहे हैं कि यह रश्मि ठाकरे की मर्जी से हो रहा है। पिछले कई सालों से रश्मि पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। रश्मि शिवसेना की महिला विंग के कार्यकर्ताओं के साथ भी जुड़ी हुई हैं।
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उद्धव-रश्मि ठाकरे की लव स्टोरी है बेहद खूबसूरत
रश्मि ठाकरे की उद्धव ठाकरे से मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुई थी। डोंबिवली से ताल्लुक रखने वाली रश्मि ठाकरे के पिता माधव पाटनकर एक बिजनेसमैन हैं। 1987 में रश्मि ने एलआईसी में काम करना शुरू किया था। यहीं रश्मि की मुलाकात एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे की बहन जयजयवंती से हुई। इसके बाद रश्मि उद्धव से भी मिलीं। इनकी मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता गया और ये एक-दूसरे के करीब आ गए। लेकिन उस समय में उद्धव ठाकरे राजनीति में नहीं आना चाहते थे। रश्मि और उद्धव ठाकरे की शादी 13 दिसंबर 1989 को हुई थी।
उद्धव को सक्रिय राजनीति में बने रहने के लिए किया इंस्पायर
उद्धव ठाकरे की वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी में गहरी दिलचस्पी थी और वे इससे खुश भी थे। शादी होने के दो साल बाद तक यह कपल घर से अलग रहा, लेकिन इसके बाद वे मातोश्री लौट आए। उद्धव ठाकरे ने चौरंग नाम से एडवर्टाइजिंग एजेंसी शुरू की थी, लेकिन ये कुछ खास नहीं चली। इस बीच रश्मि ठाकरे अपने पति को सक्रिय राजनीति में बने रहने के लिए लगातार प्रेरित करती रहीं और इसका नतीजा ये रहा कि 40 की उम्र तक आते-आते उद्धव ठाकरे आखिरकार सक्रिय राजनीति में लौट आए।
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उद्धव इस तरह बनें बाला साहेब की विरासत के दावेदार
बाल ठाकरे की विरासत का हकदार बनने के लिए उनके भतीजे राज ठाकरे और बेटे उद्धव ठाकरे दोनों में लंबे समय तक जोर-आजमाइश चली। उस समय रश्मि ठाकरे ने उद्धव को प्रमुख दावेदार के रूप में स्वीकार करने के लिए माहौल बनाया। इसी के बाद राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ दी, पैतृक घर भी छोड़ दिया और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया।
रश्मि ठाकरे का शिवसेना की राजनीति में गहरा प्रभाव
जहां उद्धव ठाकरे का राजनीति में रुझान नहीं था, वहीं आदित्य ठाकरे महज 19 साल की उम्र से ही राजनीति में उतर गए। उन्होंने सेना की यूथ विंग का चुनाव लड़ा। दरअसल बेटे आदित्य को राजनीति में आगे बढ़ने के लिए मां रश्मि हर कदम पर उनकी मदद कर रही थीं। रश्मि ठाकरे ने बेटे को चुनाव प्रचार में भी मदद की। अक्सर उद्धव ठाकरे सोशल मीडिया में अपनी तस्वीरें शेयर करते हैं, जिनमें उनके साथ उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे भी साथ खड़ी नजर आती हैं।
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