हिंदुस्तान पर कई सालों तक राज करने वाले मुगल साम्राज्य का दौर काफी लंबा रहा है, जिससे जुड़े किस्सों, कहानियों को आज भी याद किया जाता है। हालांकि, मुगल साम्राज्य में कई बादशाहों की हुकूमत रही है, जिसके बारे में विस्तार से बात कर पाना थोड़ा मुश्किल है।
मगर कहा जाता है कि मुगल इतिहास में बाबर के बाद सबसे ज्यादा इंटरेस्टिंग अगर कोई शख्स है तो वो अकबर है। 13 साल की उम्र में बादशाह बनने वाला, अंदरूनी और बाहरी तौर पर राजनीति में फंसा अकबर अपने आप में एक एरा है। हालांकि, कई तरह का विवाद और कोरा झूठ मुगलों को लेकर चलता रहता है।
इसलिए लोग मुगल शासन से जुड़ी चीजों को जानने में रुचि रखते हैं खासतौर पर मुगल हरम और इससे जुड़ी महिलाओं के बारे में। इसलिए आज हम आपको मुगल हरम की हिंदू महिलाओं से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं, जिसे जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।
मुगल हरम क्या है? What is Mughal Harem
मुगल हरम एक शाही कमरा या महल है, जहां खास महिलाएं या बेगम स्थाई रूप से रहा करती थीं। यानि महल में शाही महिलाओं के लिए रहने की अलग से कमरों की व्यवस्था को ही मुगल हरम कहा जाता था। बता दें कि मुगल हरम अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है एक छुपा हुआ कमरा जहां पुरूषों को आने की इजाजत नहीं थी। (हरम में रहने वाली महिलाओं की शाही रकम)
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हरम में हिंदू बेगमों का रहन-सहन
इतिहास की कई किताबों में उल्लेख मिलता है कि मुगल साम्राज्य के कई ऐसे बादशाह रहे हैं, जिन्होंने राजपूत से लेकर हिंदू महिलाओं के साथ भी निकाह किया था जैसे- हरखा बाई, हीर कुंवर, जगत गोसाई आदि। वहीं, अबुल फजल की किताब के मुताबिक मुगल साम्राज्य का हर बादशाह अपने महल में हिंदू से लेकर मुस्लिम बेगमों के लिए हरम बनवाया करते थे।
इसलिए हरम में हिंदू महिलाओं की स्थिति या रहन-सहन भी अन्य महिलाओं की तरह होता था। मगर कहा जाता है कि महिलाओं को पर्दा करना पड़ता था। साथ ही, एक बार जो महिला हरम में प्रवेश कर लेती थी फिर बाहर बादशाह की मर्जी से ही जाती थी।
इस हिंदू बेगम के आगे झुकता था हरम
अबू फजल द्वारा लिखी गई 'अकबरनामा' में उल्लेख मिलता है कि बादशाह अकबर के समय हरम में 5 हजार महिलाएं रहा करती थीं। इसमें बेगमों के साथ वो महिलाएं भी शामिल थीं, जो बगैर शादी के भी रहा करती थीं। कहा जाता है कि हरम में रहने वाली हरखा बाई अकबर की सबसे खास बेगमों मे से एक थीं, जिनके लिए खास व्यवस्था की जाती थी। साथ ही, हरम की सारी महिलाएं हरखा बाई के आगे झुका करती थीं और उन्हें 'मरियम-उज़-ज़मानी' का दर्जा देती थीं।
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आखिर क्यों की जाती थी किन्नरों की नियुक्ति?
हम आपको बता चुके हैं कि हरम केवल महिलाओं के लिए बनवाया जाता था। इसलिए हरम की रखवाली करने के लिए किन्नरों की नियुक्ति की जाती थी। किन्नर हरम का न सिर्फ शाही महिलाओं की देखरेख करते थे बल्कि सारा काम भी देखते थे।
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