यह तो हम सभी जानते हैं कि बच्चों को विभिन्न तरह के खेल जरूर खेलने चाहिए। एक तो अलग-अलग तरह के खेल से बच्चों का मनोरंजन होता है। वहीं दूसरी ओर, खेल चाहे जो भी हो, वह बच्चे को फिजिकल एक्टिव बनाते हैं। अगर आप भी ऐसा ही सोचती हैं तो आप सही हैं, लेकिन पूरी तरह नहीं। जी हां, अलग-अलग तरह के स्पोर्ट्स खेलने से बच्चे को काफी कुछ नया सीखने को मिलता है और साथ ही वह एक्टिव भी होते हैं। लेकिन स्पोर्ट्स के जरिए वह और भी काफी कुछ सीखते हैं। जीवन के कुछ ऐसे जरूरी life lesson हैं जो बच्चे सिर्फ स्पोर्ट्स के जरिए ही सीख सकते हैं।
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अगर आप भी इस बात से अनजान हैं कि स्पोर्ट्स के जरिए बच्चे एक्टिव बनने के साथ और क्या-क्या सीख सकते हैं। तो चलिए आज हम आपको इस लेख में बता रहे हैं कि स्पोर्ट्स के जरिए बच्चे किस तरह जरूरी life lessons सीख सकते हैं-
टीम में काम करना
बहुत से स्पोर्ट्स ऐसे होते हैं, जिसमें बच्चे बतौर टीम प्ले करते हैं। ऐसे में उनका आपसी कम्युनिकेशन अच्छा होता है, तभी वह अच्छा परफार्म कर पाते हैं। आपको शायद अहसास ना हो, लेकिन इस तरह बच्चे दूसरों के साथ अच्छी तरह मैनेज करना और बतौर टीम काम करना सीखते हैं। जीवन के हर पथ पर उन्हें अक्सर टीमवर्क करना पड़ता है।
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भले ही स्कूल के लिए कोई प्रोजेक्ट तैयार करना हो या फिर बड़े होने के बाद ऑफिस में परफार्म करना। अगर उनका टीम कार्डिनेशन अच्छा होता है तो उन्हें सफलता हासिल होती है।
लीडरशिप क्वालिटी
स्पोर्ट्स केवल बच्चे को टीमवर्क में काम करना ही नहीं सिखाते, बल्कि इससे उनकी लीडरशिप क्वालिटी भी बेहतर होती है। दरअसल, कई बार टीम में खेलते हुए बच्चे को बतौर कैप्टन भी अपनी भूमिका निभानी होती है। ऐसे में उनकी लीडरशिप क्वालिटी डेवलप होती हैं। साथ ही हार के बाद वह उसकी जिम्मेदारी लेना भी सीखते हैं।
हार का सामना
आपको शायद पता ना हो, लेकिन बच्चों के लिए हार का सामना करना आना भी चाहिए। खेल में कभी जीत तो कभी हार होती है। हो सकता है कि शुरूआत में वह हार को लेकर उदास हों, लेकिन बाद में वह उस हार को हैंडल करना सीख जाते हैं। इतना ही नहीं, कई बार तो हार उन्हें और भी ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है। फिर वह आसानी से सफलता प्राप्त कर लेते हैं। इस तरह उनका यह व्यवहार उन्हें निराशा में भी आशा की किरण ढूंढना सिखाती है।
मेहनत की कद्र
अमूमन देखने में आता है कि लोग बिना मेहनत किए सफलता हासिल करना चाहते हैं, लेकिन जब उन्हें सफलता नहीं मिलती तो वह निराश हो जाते हैं। पर स्पोर्ट्स में जब उन्हें हार मिलती है तो वह अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित होते हैं। इस तरह उन्हें मेहनत की वास्तविक कद्र होती है। ऐसे में बड़े होकर भी वह मेहनत के जरिए सफलता हासिल करते हैं।
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दूसरों से सीखना
जरूरी नहीं है कि व्यक्ति पहले खुद गलती करे और फिर उस गलती से सीखे। जब गेम में बच्चे अपने साथ दूसरों को खेलते हुए देखते हैं, तो वह उनकी गलतियों से भी सीखते हैं और साथ ही दूसरे की स्ट्रेटेजी से भी उन्हें काफी कुछ सीखने को मिलता है। इस तरह वह दूसरे की अच्छाईयों और बुराईयों से भी सीख लेना सीख जाते हैं।
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