
सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण व्रत है जो सोमवार और प्रदोष काल के योग से बनता है। यह व्रत रखने से माना जाता है कि व्यक्ति के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे लंबी आयु तथा अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा और उपवास करने से वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं जिससे जीवन में शांति और कल्याण बना रहता है। प्रदोष व्रत जिस दिन पड़ता है वह उसी वार के नाम से जाना जाता है। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि नवंबर 2025 में पड़ने वाले दोनों प्रदोष व्रत सोमवार के दिन रखे जाएंगे, ऐसे में यह दोनों ही सोम प्रदोष कहलाएंगे। तो चलिए जानते हैं कि नवंबर का पहला सोम प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व?
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 3 नवंबर, सोमवार के दिन सुबह 5 बजकर 7 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 4 नवंबर, मंगलवार के दिन रात 02 बजकर 5 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि और प्रदोष काल के अनुसार नवंबर का पहले प्रदोष व्रत 3 नवंबर को रखा जाएगा।
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प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा के लिए 'प्रदोष काल' का समय सबसे शुभ माना जाता है। यह वह समय होता है जब सूर्यास्त होता है और रात शुरू होने वाली होती है। ऐसे में पूजा का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर को शाम 05 बजकर 34 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इस समय में शिव जी प्रसन्न मुद्रा में होते हैं।

इसके अलावा, धार्मिक कार्यों से लेकर दान आदि तक के लिए भी कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। 3 नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:51 बजे से 05:43 बजे तक है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:42 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक है, अमृत काल सुबह 10:27 बजे से 11:56 बजे तक है और विजय मुहूर्त दोपहर 01:54 बजे से 02:38 बजे तक है।
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प्रदोष व्रत विशेष रूप से लंबी आयु और रोगों से मुक्ति के लिए रखा जाता है। माना जाता है कि सोम प्रदोष का व्रत रखने वाले को भगवान शिव और चंद्रदेव का आशीर्वाद मिलता है, जिससे स्वास्थ्य उत्तम रहता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी अधूरी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं। भगवान शिव अपने भक्तों पर असीम कृपा करते हैं और उन्हें जीवन में हर तरह की सफलता प्रदान करते हैं।

सोमवार का दिन चंद्र देव का भी होता है, इसलिए यह व्रत कुंडली में मौजूद चंद्र दोष को शांत करने में बहुत प्रभावी होता है। इससे मानसिक शांति मिलती है और मन स्थिर होता है। सोम प्रदोष व्रत परिवार में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और खुशहाली लाता है। यह घर के वातावरण को पवित्र करता है और सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है।
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