
अगर आप भी एक मां हैं तो कई बार आपको अपने आस-पास ऐसी कई घटनाएं सुनने या देखने को मिलती होंगी जो ये सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं कि क्या आप अपने बच्चे की परवरिश ठीक से कर रही हैं? ऐसे ही यह सवाल कि बच्चों सेक्स एजुकेशन किस उम्र में देना ठीक है? क्या इस तरह की शिक्षा के लिए 8 साल की उम्र सही है? बदलते परिवेश, बढ़ते डिजिटल एक्सपोजर और समाज में तेजी से हो रहे बदलावों के बीच यह समझना बहुत जरूरी है कि बच्चों को सही उम्र में इस बारे में जानकारी दी जाए, जिससे ये कोई गलत कदम न उठाएं। 8 साल की उम्र वह दौर है जब बच्चे अपने आस-पास की चीजों को लेकर ज्यादा जिज्ञासु होते हैं। ऐसे में अगर उन्हें समय पर सही और सहज तरीके से गुड टच और बैड टच की जानकारी दी जाए, तो वो न केवल खुद को सुरक्षित रख पाते हैं बल्कि गलत संगति से भी दूर रहते हैं। वहीं यदि बच्चों को सही गाइडेंस नहीं मिलती है तो वो गलत राह पर भी जा सकते हैं। इसके बारे में जानकारी लेने के लिए हमने Fortis Hospital की Clinical Psychologist Mimansa Singh Tanwar से बात की। आइए उनसे जानते हैं कि क्या बच्चों को इस उम्र में Sex Education देना ठीक है? साथ ही, ये भी जानते हैं कि बच्चों को इसके बारे में शिक्षा देने की सही उम्र क्या हो सकती है।
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मीमांसा सिंह बताती हैं कि आठ साल एक ऐसी उम्र है जिसमें बच्चा डेवलपिंग स्टेज में होता है। इस दौरान उसका मानसिक और शारीरिक विकास होता है। बच्चे अपने आस-पास जिस तरह का माहौल देखते हैं उसी में ढलने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को हर तरह की शिक्षा दें।

जब बात बच्चों को 8 साल की उम्र में सेक्स एजुकेशन देने की आती है तब एक्सपर्ट के अनुसार यह उम्र इस तरह की शिक्षा के लिए बहुत छोटी है। वास्तव में आप बच्चों को इसी चीज को दूसरे तरीके से समझाने का अप्रोच कर सकती हैं। इस उम्र में आप उन्हें सेफ अनसेफ टच के बारे में समझा सकती हैं। आप उन्हें यह बताएं कि शरीर के कौन से ऐसे अंग हैं, जिनकी प्राइवेसी बहुत जरूरी है। कंफर्टेबल और अनकंफर्टेबल टच क्या होता है उनके बीच का डिफरेंस बच्चों को समझाएं। इस उम्र में बच्चों को उनकी सेफ्टी और सिक्योरिटी के बारे में बताना जरूरी है, लेकिन सेक्स एजुकेशन के लिए ये उम्र ठीक नहीं है।
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जब बच्चे हम बात करते हैं कि पेरेंट्स के साथ होते हैं एक मां का टच, एक पिता का टच किस तरीके से होता है और जब वही टच अगर कोई कोई अजनबी जैसे कोई अंकल, कोई आंटी या कोई और करता है तो क्या हो सकता है। ऐसे लोग जिसे बच्चा ठीक से जानता भी नहीं है अगर वही बच्चे को बैड टच करता है तो इसके बारे में बच्चे को समझ होनी चाहिए कि वो पेरेंट्स को बताए। इस टच को हम बच्चों को अलग- अलग तरीके से समझा सकते हैं। स्कूलों में इन चीजों के बारे में बातचीत होनी चाहिए। घर और स्कूल में एक्टिविटी के माध्यम से हम बच्चों को इन चीजों के बारे में समझा सकते हैं। आप उन्हें यह बताएं कि पेरेंट्स को बच्चे इन चीजों के बारे में जरूर बताएं जिससे बच्चों के साथ कोई भी ऐसी घटना न हो। उन्हें अपनी कोई भी ऐसी घटना जो उसके साथ घटित हुई हो उनको एक तरीके के इमोशनल एक्सपीरियंस में लेकर जा रहा है। जहां पर उन्हें अच्छा नहीं लग रहा। ऐसे में एक हीन भावना बच्चे के अंदर आ सकती है। पेरेंट्स को हमेशा बच्चों से इन चीजों के बारे में बात जरूर करनी चाहिए।

जब कभी बच्चे के साथ बैड टच हुआ उस चीज के बारे में माता पिता और स्कूलों को दोनों को बच्चों के साथ बात करनी चाहिए। उसी के साथ-साथ अगर बच्चों के कई ऐसे सवाल हैं जो उनके मन में हैं तो उनके जवाब देना भी आपकी जिम्मेदारी है। पेरेंट्स को एप्रोप्रियेट तरीके से बच्चों में इस सवाल का जवाब देने की जरूरत है। किसी भी तरह की एजुकेशन बच्चे को देने की एक सही उम्र होती है। आप किसी भी उम्र में बच्चे को शिक्षा से सकती हैं, लेकिन उम्र के हिसाब से उसका लेवल अलग हो जाता है। जैसे 8 साल के बच्चे को सेक्स शब्द का मतलब भी नहीं पता होता है और न ही उसे इसके बारे में बहुत ज्यादा बताने की जरूरत है, लेकिन उसे गुड और बैड टच के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। बच्चे की उम्र के हिसाब से जो भी प्रश्न हों उसको एक एजुकेशनल तरीके से भी हम बच्चों को समझा सकते हैं जिससे उनकी उम्र के हिसाब से वह उस चीज को समझ पाए।
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अगर हम सेक्स एजुकेशन की बात करें तो बच्चे को इसके बारे में बताने की सही उम्र 13 साल है। जब बच्चा तीन एज में एंटर करता है तब उसको इस तरह की एजुकेशन दी जा सकती है। मेरी ही कलीग पूजा सिन्हा जो खुद दो बच्चों की मां हैं वो भी बताती हैं कि वास्तव में 8 साल की उम्र ऐसी होती है जिसमें बच्चे को सही गलत की जानकारी भी नहीं होती है और वो चीजों को समझ भी नहीं सकता है। ऐसे ही जब वो टीन एज में आता है तब उसे इस बारे में जानकारी देना ठीक होगा। अगर हम उस रेप केस की बात करें जो एक 12 साल के बच्चे ने किया और उसका 8 साल का दोस्त उसी जगह पर इस घटना को देखता रहा, तो एक्सपर्ट मीमांसा सिंह का मानना है कि उस बच्चे को इस शब्द का मतलब भी नहीं पता है। वो शायद कभी टीवी या अन्य किसी वीडियो में ऐसी चीजों को देखता है और उसे असल जीवन में अमल में लाता है। ऐसे में पेरेंट्स की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यही है कि बच्चे टीवी या मोबाइल में किस तरह का कंटेंट देख रहे हैं इसके बारे में आपको पता जरूरर होना चाहिए।
हर तरह की शिक्षा की एक सही उम्र निर्धारित है और आपको उस सही उम्र में ही बच्चे को इसके बारे में शिक्षित करना चाहिए। इसी तरह से सेक्स एजुकेशन के लिए 8 साल की उम्र बिलकुल ठीक नहीं है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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