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खुशियों की चाबी है भगवद गीता के ये 5 महामंत्र, आज ही अपना लें; सुखमय हो जाएगा जीवन

भगवद गीता स‍िर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्‍क‍ि ये हमें जीवन जीने की कला भी सि‍खाती है। इसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए हैं, वे सिर्फ युद्ध के मैदान के लिए नहीं, बल्कि हमारी ज‍िंदगी पर भी पूरी तरह से लागू होते हैं। अगर आपने इन्‍हें अपना ल‍िया तो आपकी ज‍िंदगी आसान हो जाएगी।
Editorial
Updated:- 2025-11-26, 18:10 IST

आज की भागदौड़ और तनाव भरी ज‍िंदगी में हर कोई खुशी और शांति पाने की तलाश में लगा हुआ है। हम सुख-सुविधाओं के पीछे भागते हैं, लेकिन मन की बेचैनी कम होने का नाम नहीं लेती है। ऐसे में, भगवद गीता के शाश्वत ज्ञान से बेहतर मार्गदर्शक कोई नहीं हो सकता है। ये ग्रंथ केवल धर्म की किताब नहीं है, बल्कि ये हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। महाभारत के युद्धभूमि में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए हैं, वे सिर्फ युद्ध के मैदान के लिए नहीं, बल्कि हमारे रोजमर्रा के जीवन के लिए भी उतने ही जरूरी हैं।

ये हमें कर्म, भय, मोह और असफलता से निपटने का सही तरीका बताते हैं। गीता में बताए गए कुछ ऐसे महामंत्र हैं, जिन्हें अपना लेने से जीवन की हर उलझन दूर हो सकती है और आप एक सुखमय और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में भगवद गीता के ऐसे ही 5 अनमोल सूत्र बताने जा रहे हैं, जो आपके लिए खुशियों की चाबी साबित हो सकते हैं। आइए जानते हैं-

gita mantras for a blissful life (1)

फल की चिंता छोड़ो, कर्म पर ध्यान दो

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।' इसका मतलब ह‍ै क‍ि इंसान को सिर्फ अपने कर्म करने का अधिकार है, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। जब हम परिणाम की जगह काम पर ध्यान देते हैं, तो मन शांत रहता है और चिंता दूर हो जाती है।

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मन ही सबसे बड़ा दोस्त और दुश्मन

गीता का ये मंत्र 'उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्' हमें बताता है क‍ि खुशी और दुख का असली कारण बाहरी दुनिया नहीं, बल्कि हमारा मन ही है। इंसान को अपने मन की मदद से खुद का उद्धार करना चाहिए, न कि खुद को नीचा दिखाना चाहिए। अपने मन को नियंत्रित करना ही सफलता और शांति की कुंजी है। अगर मन आपके कंट्रोल में है, तो ये आपका सबसे बड़ा मित्र है। अगर नहीं है तो ये सबसे बड़ा दुश्‍मन बन जाता है, जो आपको चिंता और भय से भर देता है।

जो हुआ, वो अच्छा हुआ

अगर हम इस नजर‍िए से जि‍ंदगी को जीते हैं तो अतीत के पछतावे और भविष्य की चिंता से मुक्त हो सकते हैं। गीता में साफ ल‍िखा गया है- क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है और न मरती है। अध्याय 2 से लिया गया ये भाव हमें सीख देता है क‍ि जीवन में जो भी घटनाएं होती हैं, वे किसी न किसी कारण से होती हैं और ये हमारे भले के लिए ही होती हैं। अतीत के अनुभवों को स्वीकार करें और उनसे सीख लेकर आगे बढ़ें। ये समझ आपको शांत रहने में मदद करती है।

gita mantras for a blissful life (2)

सफलता और असफलता में समान रहो

जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं। गीता का ये मंत्र 'समत्वं योग उच्यते' हमें बताता है क‍ि हर परिस्थिति में एक समान रहना ही हमारी सबसे बड़ी जीत है। जब हम जीत में ज्यादा खुश और हार में ज्यादा दुखी नहीं होते, तो मन हमेशा हल्का और खुश रहता है।

सही मार्ग पर चलो

जीवन में सही रास्‍ता (धर्म) चुनना बहुत जरूरी है। जब हम ऐसे काम करते हैं जो हमारे मन को शांत और हमारी अच्छी सोच से मेल खाते हैं, तो दिल में खुशी अपने आप आ जाती है।

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अगर आपने भी अपने जीवन में गीता के इन महामंत्रों को अपना लि‍या, तो आपकी ज‍िंदगी आसान हाे सकती है। साथ ही अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Image Credit- Freepik/AI Generared

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