आज के समय में महिला सशक्तिकरण पर काफी ज़ोर दिया जा रहा है। महिलाओं के हक को लेकर लोग सचेत हुए हैं और अब उन्हें भी समान अवसर दिए जाने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर, महिलाओं ने भी अपने हुनर व काबिलियत का परिचय पूरे विश्व के सामने रखा है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक इस बात का इतिहास गवाह है कि महिलाएं समाज में किसी ना किसी स्तर पर अपना पूर्ण योगदान देती आई हैं। मुगल शासन हो या फिर आजादी की लड़ाई महिलाओं ने नीति-निर्माण में अहम भूमिका अदा की है।
जब हम मुगल साम्राज्य की बात करते हैं, तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में मुगल बादशाहों के नाम जैसे अकबर, शाहजहां, हुमायूं आदि के नाम आते हैं। बहुत कम लोग होंगे जिन्हें यह मालूम होगा कि इन बादशाहों के अलावा कुछ महिलाएं ऐसी भी थी जिनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने मुगल शासन में बादशाहों के अलावा नीति-निर्माण में एक अहम भूमिका अदा की है।
मुगल साम्राज्य का इतिहास
मुगल साम्राज्य का दौर लगभग सन 1526 से 1707 तक रहा, जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी। इसके बाद हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां आदि के बाद अंतिम मुगल शासक औरंगजेब था। जिन्होंने अपने शासन के दौरान समाज का निर्माण किया। इसके अलावा, कुछ महिलाएं भी थी, जिन्हें अपना योगदान नीति-निर्माण में दिया।
नूरजहां
जब बात मुगल साम्राज्य के इतिहास की आती है और उसमें नूरजहां का नाम ना लिया जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि यह मुगल बादशाह जहांगीर की पत्नी थी। उन्होंने मुगल शासन में एक अहम भूमिका अदा की है। वह एक खूबसूरत, बुद्धिमान, शील और विवेक सम्पन्न से पूर्ण महिला थी, जिन्हें साहित्य, कविता और ललित कलाओं से प्रेम था। उन्होंने जहांगीर से लगभग 1611 ई में शादी की थी। शादी के बाद उन्हें बादशाह बेगम बनाया गया, इसी दौरान उन्होंने कई कार्य भी किए। ऐसा कहा जाता है कि उस दौरान सिक्कों पर भी उसका नाम खोदा जाने लगा था। इसलिए उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
गुलबदन बानो बेगम
गुलबदन बानो बेगम के योगदान को भला कौन भूल सकता है, यह मुगल साम्राज्य की वह महिला हैं जिन्होने अपनी खूबसूरत लेखनी से मुगल साम्राज्य के कुछ अंश हुमायूं नामा के द्वारा हमें बताएं हैं। हुमायूं नामा में बादशाह हुमायूं और उनके शासन काल में उनके योगदान के अलावा मुगल परिवार में रोज़मर्रा की ज़िंदगी कैसी होती है इसका भी बखूबी चित्रण किया है। उन्होंने अकबर के सुझाव के पर हुमायूं नामा लिखी थी। आपको बता दें कि गुलबदन का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में साल 1523 में हुआ।
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मरियम उज जामनी
अकबर की पत्नी मरियम उज जामनी को जोधा बाई के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बादशाह अकबर के शासन काल में एक अहम भूमिका अदा की है। उन्होंने मुगल शासन को आगे बढ़ाने में एक विशेष योगदान दिया है। अकबर के लंबे इंतजार के बाद जब उन्होंने सलीम को जन्म दिया था। इसलिए अकबर ने उन्हें मरियम जमानी का खिताब भी दिया था, जो बाद में सलीम जहांगीर के नाम से जाना गया था।
इसके अलावा, आपको बता दें कि मरियम जमानी अजमेर के राजा भारमल कछवाहा की बेटी थी। उन्होंने अकबर के साथ 6 फरवरी 1562 को सांभर, हिन्दुस्तान में विवाह किया था। मरियम उज-जमानी की मृत्यु 1622 में हुई गई थी। आज भी उनका नाम और योगदान इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
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दिलरास बानो बेगम
दिलरास बानो बेगम मुगल साम्राज्य के आखिरी महान शहंशाह औरंगज़ेब की पहली बीवी थीं। लोग उन्हें मरणोपरांत खिताब राबिया उद्दौरानी के नाम से भी जानते हैं। बादशाह ने इनके नाम से कई स्मारक भी बनाई हैं। औरंगाबाद में स्थित बीबी का मकबरा, जो ताज महल की तरह खूबसूरत है, इन्हीं के लिए बनवाया गया था।
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