हिंदुस्तान में कई सालों तक कई बादशाहों या फिर राजाओं की हुकूमत रही है। मगर कुछ राज वंशज रहे हैं, जिनकी हुकूमत और कार्य प्रणाली काफी लोकप्रिय रही हैं जैसे- मुगल साम्राज्य, मौर्य वंश आदि। वैसे तो मुगल साम्राज्य का शासन का दौर काफी लंबा रहा है, जिसके बारे में विस्तार से बात कर पाना थोड़ा मुश्किल है। मगर हम आपको लेख के माध्यम से थोड़ा-थोड़ा बताने की भी कोशिश करते हैं।
इसी कड़ी में आज हम आपके लिए मुगल प्रशासन में मनसबदारी व्यवस्था क्या थी और इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। बता दें कि मनसबदारी व्यवस्था मुगल काल को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक अहम हिस्सा थी, जिसकी शुरुआत अकबर ने की थी। तो चलिए आज हम आपको मुगल मनसबदार और व्यवस्था के बारे में जानकारी देते हैं।
क्या थी मनसबदारी व्यवस्था?
मुगल काल में मनसबदारी व्यवस्था एक प्रशासनिक व्यवस्था थी, जिसमें दरबार को सुचारू रूप से चलाने के लिए सेनापति और शासकीय अधिकारी को नियुक्त किया जाता था। मनसबदारों की संख्या दरबार और उसकी कार्यप्रणाली पर निर्भर थी।
इसे ज़रूर पढ़ें- क्या था मुगल हरम? जहां काम करने के लिए नियुक्त किए जाते थे किन्नर
हम इस व्यवस्था को अच्छे से समझने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा का उदाहरण ले सकते हैं क्योंकि मनसबदारी व्यवस्था बिल्कुल आईएएस प्रणाली के सामान थी, जिसमें 'पद' या 'रैंक' सैनिकों की योग्यता के आधार पर नियुक्त किए जाते थे। इस व्यवस्था में मनसबदार के पद या उसके मुगल प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत उसके ओहदे को इंगित करता था।
आइए अब जानते हैं इसका थोड़ा-सा इतिहास
कहा जाता है कि मनसबदारी प्रणाली मुख्य रूप से एशिया से सम्बन्ध रखती थी। मगर भारत में उत्तरी क्षेत्र में लागू करने का श्रेय मुगल बादशाह बाबर को जाता है। कई इतिहासकारों का मानना है कि मनसबदारी प्रणाली को ठीक रूप से चलाने वाला मुगल सम्राट अकबर था, जिसने इस व्यवस्था को संस्थागत तौर पर मुगल प्रशासनिक व्यवस्था के नागरिक और सैन्य विभाग दोनों क्षेत्रों में लागू किया था।
मनसबदारी व्यवस्था कैसे चलाई जाती थी?
यह सब तो हम जाते हैं कि आईएएस की प्रणाली में कैसी होती है और यह कैसे काम करती है जैसे- इसमें एक हेड होता है और इसके नीचे योग्यता के अनुसार पद निर्धारित किए गए हैं। ठीक इसी तरह मुगल काल में मनसबदारी प्रणाली व्यवस्था थी, जिसे तीन श्रेणियों में बांटा गया था। पहली श्रेणी में 500 जात के नीचे पद वाले लोगों को नियुक्त किया जाता था, जिन्हें मनसबदार कहा जाता था।
इसे ज़रूर पढ़ें- मुगल हरम में कैसी थी हिन्दू बेगमों की स्थिति? जानें रोचक तथ्य
वहीं, दूसरी श्रेणी में 500 से ऊपर और 2500 से नीचे जात के लोगों को नियुक्त किया जाता था, जिन्हें अमीर मनसबदार कहा जाता था। तीसरी श्रेणी 2500 जात से ऊपर होती थी, जिसमें नियुक्त किए गए लोगों को अमीर-ए-उम्दा कहा जाता था। ये तमाम मनसबदार अपनी योग्यता के अनुसार काम करते थे। (बादशाह अकबर से जुड़े रोचक तथ्य)
भिन्न देशों से नियुक्त किए जाते थे मनसबदार
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मनसबदारी प्रणाली को चलाने के लिए मनसबदार मध्य एशियाई, तुर्क, फारसी और अफगान से नियुक्त किए जाते थे। भारतीय मूल के मनसबदारों की संख्या बहुत कम होती थी। इसके पीछे का कोई स्पष्ट कारण हमें तो नहीं पता है लेकिन कहा जाता है कि अकबर के शासनकाल में जो भी मनसबदार हुए उनकी उच्च एवं निम्न मनसब की श्रेणी 10 और 5000 जात की बीच सीमित थी।
उम्मीद है यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको इतिहास से जुड़ा कोई और किस्सा विस्तार से जानना है तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं और ऐसी अन्य जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Freepik)
क्या आपको ये आर्टिकल पसंद आया ?
आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।