प्रेग्नेंसी किसी भी विवाहित कपल्स के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शुक्र है, आज के जमाने में कपल्स सोसाइटी के दबाव में आकर नहीं बल्कि अपनी इच्छा से बच्चे पैदा करने का निर्णय ले सकते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ बढ़ते इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम्स या जल्दी मिसकैरेज होने की समस्याएं भी बढ़-चढ कर हो रही है। लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि वास्तु टिप्स की मदद से आप इन समस्याओं से बच सकती हैं। क्या इन बढ़ती घटनाओं पर वास्तु दोषों का संबंध हो सकता है? इस बारे में जानने के लिए हमने मंजुश्री अहिरराव, सह-संस्थापक, वास्तु रविराज से बात की तब उन्होंने इसे ठीक करने के तरीके बताएं।
भारतीय मूल के आध्यात्मिक विज्ञान, वास्तुशास्त्र, निर्माण का एक विज्ञान है जो मानव जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन को संतुलित करता है। पांच मूल तत्व यानि अंतरिक्ष, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी के साथ आठ दिशाएं यानि उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम, उत्तर-पश्चिम, विद्युत- पृथ्वी की चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण बल, ग्रहों से निकलने वाली लौकिक ऊर्जा और साथ ही वायुमंडल और मानव जीवन पर इसके प्रभाव सभी को वास्तुशास्त्र में ध्यान में रखा जाता है।
प्रेग्नेंसी के लिए वास्तु टिप्स
- वास्तु दोषों को समझने से पहले हमें पांच प्राकृतिक तत्वों यानि जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और अंतरिक्ष के तर्क को समझना चाहिए क्योंकि वास्तु शास्त्र इन पांच प्राकृतिक तत्वों पर आधारित है। प्रेग्नेंट होने के लिए सभी तत्वों को संतुलित होना बेहद जरूरी होता है। यौन संबंधों के लिए जिम्मेदार तत्व अग्नि तत्व है जो दक्षिण पूर्व दिशा में पाया जाता है। अग्नि तत्व महिला के प्रेग्नेंट और परिपक्व करने के लिए भी जिम्मेदार है। एक उचित संबंध और एक अच्छा यौन जीवन पाने के लिए कपल्स को दक्षिण पश्चिम दिशा में सोना चाहिए।
- घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में एक विशेष ऊर्जा क्षेत्र होता है, जिसका नाम परजन्या है जो निश्चित रूप से प्रेग्नेंट होने में सहायक है। यह ऊर्जा क्षेत्र शरीर और मस्तिष्क को ठंडा और स्थिर रखने में मदद करता है। प्रेग्नेंट होने के बाद महिला को अपने बच्चे की स्थिरता के लिए उत्तर पूर्व कोने से दक्षिण-पश्चिम दिशा में जाना चाहिए।
- अगर बेडरूम दक्षिण और दक्षिण पश्चिम दिशा के बीच है यह क्षेत्र निपटान का होता है जो प्रेग्नेंट होने में मुश्किलें पैदा कर सकता है। इसी तरह, अगर बेडरूम पूर्व और दक्षिण पूर्व या पश्चिम और उत्तर पश्चिम के बीच है, तो प्रेग्नेंट होने में बाधाएं आ सकती हैं।
- प्रेग्नेंट महिला को सोते समय अपना सिर दक्षिण की ओर और पैर उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए और कभी भी अंधेरे कमरे में या किसी अंधेरी जगह पर नहीं रहने दें, हमेशा सुनिश्चित करें कि उसके आसपास पर्याप्त रोशनी हो।
- दक्षिण-पश्चिम में बॉथरूम है या अगर यह दिशा कमजोर है तो बच्चे होने की संभावना कम हो जाती है। अगर घर में अग्नि तत्व कमजोर है तो पुरुष की फर्टिलिटी खराब हो सकती है, इसके अलावा अगर दक्षिण पूर्व दिशा के दक्षिण के मध्य में कोई बॉथरूम है या उत्तर-पूर्व क्षेत्र में किचन है तो यह फर्टिलिटी को बाधित कर सकता है। घर के केंद्र में कोई सीढ़ी या भारी चीज नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे प्रेग्नेंसी में विभिन्न जटिलताएं हो सकती हैं।

कुछ चीजों का ध्यान रखें
- अगर आप बगीचे के दक्षिण पूर्व दिशा में फलदार पौधों को उगा सकती हैं तो यह बहुत सही रहता है।
- पलंग के पास या उत्तर-पश्चिम दिशा में बालकृष्ण की छोटी मूर्ति या तस्वीर रखना अत्यधिक उचित है।
- घर में सकारात्मक माहौल रखने के लिए हमेशा ताजे फूलों को रखें।
- बेडरूम में गुलाबी क्रिस्टल रखना चाहिए।
- बेडरूम में दर्पण या तो पूरी तरह से ढके होने चाहिए या हटा देना चाहिए।
कुछ चीजें से बचना बचें
- एक प्रेग्नेंट महिला को कुछ भी निराशाजनक जैसे फिल्में, टीवी शो आदि देखने से बचना चाहिए।
- युद्ध, हिंसा, क्रूरता आदि जैसे नकारात्मक मूड को चित्रित करने वाली पेंटिंग से बचना चाहिए।
- प्रेग्नेंट महिला को काले या गहरे लाल रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
- घर में बोन्साई या कांटेदार पौधों को रखने से बचें।
- प्रेग्नेंट महिला को कभी भी बीम के नीचे नहीं सोना चाहिए।
- इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि प्रेग्नेंट महिला की भावनाओं को कभी चोट न पहुंचे।
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से बहुत अधिक रेडिएशन निकलती है जो जटिलताओं का कारण बन सकता है। इसलिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए।
अगर आपको भी प्रेग्नेंट होने में परेशानी हो रही हैं तो इन वास्तु टिप्स को जरूर अपनाएं। वास्तु से जुड़ी और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
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