आज सुबह उगते हुए सूरज को देखकर सभी ने छठी मैया का आशीर्वाद ले लिया होगा। पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण करके लोगों ने व्रत खोला होगा। छठ का आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य कहलाता है। भक्त नदियों के किनारे इकट्ठा होते हैं, हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं और मंत्रों का जाप करते हुए उगते सूर्य को जल और प्रसाद चढ़ाते हैं। यह अनुष्ठान एक आशावादी शुरुआत का प्रतिनिधित्व करता है, जो कृतज्ञता और शुद्धिकरण का प्रतीक है।
प्रसाद में लोग अक्सर नई-नई चीजें बनाई जाती है। इस मौके पर गन्ने का बड़ा महत्व है। गन्ना मिठास, प्रचुरता और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। छठ के दौरान, प्रकृति द्वारा उपहार में दी गई भरपूर फसल के प्रति आभार प्रकट करने के लिए अन्य फलों, सब्जियों और मिठाइयों के साथ गन्ना चढ़ाया जाता है। इसकी मजबूत संरचना और प्रत्येक फसल के बाद फिर से उगने की क्षमता, निरंतरता का प्रतीक है, जो इसे ईश्वरीय आशीर्वाद बनाता है। यही कारण है कि गन्ने के बिना छठ की पूजा अधूरी मानी जाती है।
वैसे तो लोगों ने सुबह-सुबह प्रसाद ग्रहण कर लिया होगा मगर शाम को भी घर पर पूजा की जाएगा। ऐसे में आप गन्ने की मीठी रोटी प्रसाद में बना सकते हैं। इसे भोग लगाकर खुद ग्रहण करने से आपको छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त होगा। चलिए आपको बताएं कि इसकी रेसिपी क्या है।
गन्ने की मीठी रोटी बनाने का तरीका-
आप जैसे गुड़ या चीनी से मीठी रोटी बनाते हैं, इसे भी वैसे ही बनाना है। सबसे पहले परात में गेहूं का आटा, सौंफ, घी और गुड़ पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।
अब गन्ने का फ्रेश रस लें। ध्यान रखें कि उसमें किसी भी तरह की मिलावट नहीं होनी चाहिए। आटे में धीरे-धीरे गन्ने का रस डालें, मिश्रण को तब तक गूंथें जब तक कि यह नरम आटा न बन जाए। गन्ने के रस के कारण आटा रंग में थोड़ा भूरा हो जाएगा, लेकिन कोई बात नहीं बस आटा चिपचिपा नहीं होना चाहिए।
आटे को 10 मिनट के लिए ढककर रख दें। आटी सही ढंग से गूंथना चाहिए। इसके बाद फिर एक मिनट के लिए आटा गूंथें और इसकी मोटी लोई बना लें।
चकले में थोड़ा आटा छिड़ककर लोई रखकर उसे मोटा-मोटा बेल लें। ध्यान रखें यह बहुत ज्यादा मोटी या एकदम पतली न हो।
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मध्यम आंच पर तवा गरम करें और उसमें थोड़ा घी डालें। रोटी को गरम तवे पर रखें और तब तक पकाएं जब तक उसमें छोटे-छोटे बुलबुले न दिखने लगें।
रोटी को पलटें और दूसरी तरफ से भी पकाएं। रोटी पर थोड़ा घी लगाएं। दोनों तरफ से सुनहरा भूरा और थोड़ा कुरकुरा होने तक उसे सेंक लें।
ऐसे ही 3-4 मीठी रोटी बना लें। इसके बाद सभी रोटियों को 2-4 हिस्सों में बांट लें और इसे प्रसाद के रूप में छठी मैया को भोग लगाएं।
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