World Asthma Day 2020: अस्‍थमा में संजीवनी बूटी की तरह काम करते हैं ये 7 हर्ब्‍स

आज वर्ल्‍ड अस्‍थमा डे के अवसर पर हम आज आपको अस्‍थमा के लक्षणों को कम करने वाले आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बता रहे है।

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अस्थमा एक क्रोनिक डिजीज है जो विंडपाइप में सूजन के कारण होती है। इस समस्‍या के होने पर विंडपाइप संकुचित हो जाती है। यह म्‍यूकस और सॉफ्ट पॉलेन ग्रेन से भरा होता है, जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है। अस्‍थमा में लक्षणों में चेस्‍ट भारीपन, खांसी, घरघराहट जैसे लक्षण देखने को मिलते है। जब भी अस्थमा से ग्रस्‍त व्यक्ति में ये लक्षण देखने को मिलते हैं, तो इसे अस्थमा का दौरा कहा जाता है। अगर इस हमले का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह रोगी को सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

आयुर्वेद में मौजूद विभिन्‍न हर्ब्‍स से आप अस्‍थमा के लक्षणों को ठीक या कम कर सकती है। डॉक्‍टर दिव्‍या हमें बताती हैं कि वासा, पुष्करमुला और यस्तीमधु जैसे कुछ जड़ी बूटी अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद हैं। आज वर्ल्‍ड अस्‍थमा डे के अवसर पर हम आज आपको अस्‍थमा के लक्षणों को कम करने वाले आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बता रहे है।

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मुलेठी की चाय

आधा चम्‍मच अदरक और एक चम्‍मच मुलेठी को मिलाकर चाय बना लें। इसे पीने से अस्‍थमा के लक्षणों को कम करने में हेल्‍प मिलती है। मुलेठी का प्रयोग श्‍वास नली को सुचारू रूप से चलाने, सांस को छोड़ने में होने वाली तकलीफ को दूर करने में किया जाता है। इसके अंदर ग्लिसराइजजिन एसिड की अधिकता होती है। यह अस्थमा के कारण शरीर के भीतर हो रही एलर्जी से बचाव करता है। आप चाहे तो मुलेठी के डंठल को चूस भी सकती हैं।

दालचीनी

एक कप पानी में थोड़ी एक चौथाई दालचीनी मिला लें। फिर इस मिश्रण को 10 मिनट तक उबालें। पीने से पहले इसमें एक चम्‍मच शहद मिला लें। अच्‍छे परिणामों के लिए इसे दो बार या तीन बार लें।

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हल्‍दी का जादू

यूं तो हल्दी भी बहुत सी बीमारियों में काम में लाई जाती है फिर वह सूजन हो या खांसी की समस्‍या। हल्दी अस्थमा के इलाज में भी बहुत असरकारक होती है। इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल तत्व अस्थमा से लड़ने में मदद करते हैं। हल्दी को आप खाने में या दूध के साथ ले सकते हैं या फिर कच्ची हल्दी के रस का सेवन भी किया जा सकता है। अस्थमा के हमलों की आवृत्ति को कम करने के लिए, डॉक्‍टर दिव्या ने एक गिलास दूध लेने का सुझाव भी दिया। जी हां एक गिलास दूध में एक चुटकी या दो हल्दी पाउडर के साथ उबाल लें। इसे दिन में दो बार लें।

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पिपली और शहद

एक चम्‍मच शहद और आधा चम्‍मच तेजपत्‍ता और चौथाई चम्‍मच पिपली लेकर उसे मिक्‍स कर लें। यह दिन में 3-4 बार लें। आपको राहत मिलेगी। शहद को अस्थमा में काफी लाभदायक माना जाता है। शहद बलगम को ठीक करता है, जो अस्थमा की परेशानी पैदा करता है। अस्थमा का अटैक आने पर शहद को सूंघने से भी लाभ मिलता है।

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लहसुन

डॉक्‍टर दिव्‍या ने आधे कप अदरक चाय में 3-4 कुचल लहसुन लौंग के साथ मिश्रित करने का सुझाव दिया। लहसुन के निरतंर प्रयोग से अस्थमा से छुटकारा पाया जा सकता है। लहसुन एक प्राकृतिक एंटी-बायोटिक भी है। इसमें एलिसिन नामक एंटी-बायोटिक का काम करते हैं। इसको आप कस कर या फिर छोटे टुकड़ों में काट कर और नींबू व नमक मिलाकर खा सकती हैं। इसके निरंतर सेवन के कारण बहुत ही जल्द आराम मिलने लगता है।

आयुर्वेदिक डॉक्‍टर के इन उपायों को अपनाने से आप अस्‍थमा के लक्षणों को कम कर सकती हैं।

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