1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है। पूरी दुनिया में इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यकीन मानिए इस बीमारी को लेकर कई मिथकों पर लोग यकीन करते हैं। एड्स के मरीजों के साथ तो कई जगह पर ऐसा व्यवहार किया जाता है कि उन्हें अछूत मान लिया जाता है। एड्स जैसी बीमारी घातक होती है और लोगों के लिए जिंदगी भर का दुख बन जाती है। इस बीमारी के कारण कई लोग अपनी जिंदगी खो देते हैं, तो कई परिवार टूट जाते हैं।
लेकिन इस बीमारी के मरीजों को तोड़ने के लिए कुछ मिथक ही काफी होते हैं जिन पर आंख बंद कर लोग यकीन करते हैं। इस बीमारी से ग्रसित लोगों को साथ की जरूरत होती है। वर्ल्ड एड्स डे पर हम बात करते हैं ऐसे मिथकों की जिन पर किसी को यकीन नहीं करना चाहिए।
यकीन मानिए ऐसा कई लोग मानते हैं। Centers for Disease, Control, and Prevention अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 36.7 मिलियन लोग HIV के साथ जी रहे हैं और इस वायरस से रोज़ाना लड़ रहे हैं। अगर किसी के शरीर में HIV वायरस एक्टिव हो गया है तो मुमकिन है कि उसे सही दवाओं के साथ खुशहाल जिंदगीजीने का मौका मिले। इसके लिए antiretroviral therapy (ART) ट्रीटमेंट इस्तेमाल होता है।
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ये बिलकुल गलत है और अगर कोई इंसान HIV के संपर्क में आता है तो उसके शरीर में जो लक्षण होते हैं वो लगभग नजरअंदाज किए जा सकते हैं। HIV इन्फेक्शन के साथ जो लक्षण होते हैं वो किसी सर्दी-खांसी के लक्षणों जैसा ही होता है। साथ ही शुरुआती चीज़ें सिर्फ कुछ हफ्तों तक ही दिखती हैं। आपका स्वास्थ्य बिगड़ेगा और फिर ठीक होने लगेगा।
इस मिथक को लेकर तो बाकायदा सरकार ने विज्ञापन बनाया है और बताया है कि ऐसा कुछ भी नहीं है। HIV ना ही छूने से फैलता है, न ही आंसू, थूक, पसीने या यूरिन के जरिए। तो अगर आप एक ही जैसा टॉयलेट इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें छू रहे हैं, एक ही जगह से पानी ले रहे हैं, एक ही बर्तन में खाना खा रहे हैं तब भी HIV नहीं फैलेगा। सबसे ज्यादा खतरा संक्रमित व्यक्ति के खून से होता है।
ये बिलकुल गलत है, एड्स किसी को भी हो सकता है भले ही उसकी सेक्शुएलिटी कुछ भी हो। ये किसी भी तरह के असुरक्षित यौन संबंध, इन्फेक्टेड सुई आदि से फैल सकता है।
Antiretroviral drugs यानी ART ट्रीटमेंट यकीनन ऐसे मरीज़ों की समस्या कम कर देगा। उन्हें लंबे समय तक जिंदा रखेगा और उन्हें साधारण जिंदगी जीने में मदद करेगा, लेकिन ये ड्रग्स काफी महंगा होता है और कुछ लोगों में इसके साइड इफेक्ट्स भी देखे गए हैं। इसी के साथ, अभी तक ऐसी कोई दवाई नहीं बनी जो इसे पूरी तरह से ठीक कर सके।
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ऐसा नहीं है अगर किसी महिला को HIV है तो भी वो अपने आने वाले शिशु को इस बीमारी से बचा सकती है। वो ART ट्रीटमेंट ले सकती है।प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए भी ये सुरक्षित है, हालांकि कब और कैसा डोज लेना है वो लोगों को डॉक्टरी सलाह के बाद पता करना चाहिए। अगर ट्रीटमेंट सही लिया तो 1% से भी कम चांस रह जाएगा । अगर किसी पुरुष को HIV है तो उसे डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए और पहले ART ट्रीटमेंट लेना चाहिए उसके बाद ही उसे बच्चों के बारे में सोचना चाहिए।
अक्सर ये मिथक लोगों के दिमाग में रहता है। AIDS काफी जानलेवा और खतरनाक है, लेकिन HIV के बाद भी लोग आम तरह से जिंदगी जी सकते हैं। HIV ऐसा इन्फेक्शन है जिससे AIDS होता है, लेकिन हर HIV मरीज को AIDS होगा ऐसा जरूरी नहीं है। किसी भी बीमारी का इलाज जल्दी किया जाए तो उसका असर शरीर पर कम हो जाता है ऐसे ही HIV इन्फेक्शन को ठीक तौर पर इलाज किया जाए तो इससे बचा जा सकता है।
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