बढ़ती उम्र के साथ हार्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। ऐसा ही पीरियड्स के साथ भी होता है। कुछ महिलाओं के पीरियड्स लंबे समय तक चलते हैं और ब्लीडिंग भी ज्यादा होती है, जबकि कुछ के पीरियड्स कम हो जाते हैं। 42 की उम्र के बाद महिलाओं को पीरियड सिर्फ 2 दिन क्यों होता है और इसके लिए क्या करना चाहिए? आइए इस बारे में फिटनेस एक्सपर्ट जूही कपूर बता रही हैं।
एक्सपर्ट का कहना है, ''हाल ही में एक महिला ने हमसे पूछा, मेरी उम्र 42 साल है और अब मेरे पीरियड्स सिर्फ 2 दिन के लिए ही आते हैं। इस दौरान मुझे सिर में तेज दर्द और आंखों में भी दर्द भी होता है। क्या यह नॉर्मल है? यह सवाल सिर्फ एक महिला का नहीं है, बल्कि 40 की उम्र के बाद हार्मोनल बदलावों से गुजर रही कई महिलाओं का है।'' लेकिन, आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां इस सवाल का जवाब और कुछ खास टिप्स दिए गए हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं।
जी हां, 42 साल की उम्र में पीरियड्स का छोटा होना और इसके साथ नए लक्षण जैसे सिरदर्द और आंखों में दर्द होना पेरिमेनोपॉज का संकेत हो सकता है। पेरिमेनोपॉज, मेनोपॉज से पहले का नेचुरल प्रोसेस है। इस उम्र में ऐसे बदलाव होना आम बात है, लेकिन यह आपके शरीर का संकेत है कि इसे अच्छी तरह से बैलेंस करने की जरूरत होती है।
पेरिमेनोपॉज वह समय होता है, जब आपके शरीर में मेनोपॉज़ के लिए हार्मोनल बदलाव शुरू होते हैं। यह आमतौर पर महिलाओं में 40 के बाद ही शुरू हो जाता है। इस दौरान एस्ट्रोजन का लेवल अनियमित होने लगता है, जिससे पीरियड्स में बदलाव आते हैं और कई अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
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अगर 42 की उम्र में आपके पीरियड कम दिन हो रहे हैं और सिर और आंखों में दर्द सता रहा है, तो राहत पाने के लिए आप ये 5 उपाय अपना सकती हैं।
पीरियड के दौरान और उसक आस-पास हार्मोनल तनाव और शरीर की गर्मी को शांत करने के लिए कूलिंग प्राणायाम जैसे चंद्र भेदन प्राणायाम बहुत फायदेमंद होते हैं।
सिर और आंखों के तनाव को दूर करने के लिए कुछ खास योगासन मदद कर सकते हैं। ये आसन शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को अच्छा करके आराम पहुंचाते हैं।
पीरियड के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखना बेहद जरूरी होता है। साथ ही, कुछ स्पेशल फूड्स शरीर को शांत और बैलेंस रखता है।
पीरियड्स के दिनों का कम होने का मतलब है कि आपके स्वास्थ्य ठीक नहीं है। कई बार आयरन की कमी के कारण भी पीरियड में ब्लीडिंग कम होती है। इसलिए, समय-समय पर आयरन लेवल चेक करवाएं। डाइट में आयरन से भरपूर फूड्स जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, गुड़, चुकंदर, अनार और ड्राई फूट्स आदि को शामिल करें। आयरन की कमी से थकान और सिरदर्द भी बढ़ सकता है।
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नींद और तनाव का सीधा संबंध हमारे हार्मोनल संतुलन से होता है। जब हम थके होते हैं या तनाव में होते हैं, तब हार्मोनल लक्षण और भी तेज हो सकते हैं।
ये सभी उपाय आपके लक्षणों को मैनेज करने और शरीर को बैलेंस करने में मदद करते हैं। हालांकि, यदि आपके लक्षण लगातार बने रहते हैं या बिगड़ते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
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