
यह सच है कि आजकल लड़कियों में पहले की तुलना में काफी कम उम्र में ही प्यूबर्टी दिखाई देने लगी है, इसे हम अर्ली प्यूबर्टी (Early Puberty) भी कहते हैं। जहां पहले किशोरावस्था की शुरुआत ही 11 से 13 साल की उम्र में सामान्य मानी जाती थी, वहीं अब कई बच्चियों में 7 या 8 साल की उम्र में ही शारीरिक बदलाव दिखाई देने लगे हैं। यही नहीं कई बच्चियों को इसी उम्र में मासिक धर्म या पीरियड भी शुरू हो जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स के मन में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या 7 साल की इतनी छोटी उम्र में बच्चियों को पीरियड्स की जानकारी देनी चाहिए या नहीं? बहुत-से माता-पिता इस विषय पर असमंजस में रहते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं बच्ची इस तरह के किसी शारीरिक परिवर्तन के बारे में सुनकर डर न जाए, घबरा न जाए या उसकी मासूमियत प्रभावित न हो जाए। यही नहीं पेरेंट्स को यह भी डर होता है कि कहीं इसका प्रभाव बच्ची की पढ़ाई पर भी न पड़े। इस प्रश्न का सही जवाब जानने के लिए हमने डॉ. नीमा शर्मा,डायरेक्टर एवं यूनिट हेड, फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन धल्ल हॉस्पिटल और Jeevan Kasara, Chairman, Steris Healthcare से बात की। आइए इन एक्सपर्ट्स से जानें इस बारे में कि क्या 7 साल की बच्ची को पीरियड्स की जानकारी देना सही है?
डॉ. नीमा शर्मा का मानना है कि किशोरावस्था वह चरण है जब एक बच्चे का शरीर विकसित होकर वयस्क शरीर में बदलने लगता है। आमतौर पर यह उम्र लड़कियों में 8 से 13 वर्ष के बीच शुरू होती है। यह एक धीरे-धीरे होने वाली प्रक्रिया है, जिसमें कई साल लग सकते हैं। इस दौरान बच्ची का मस्तिष्क कुछ ऐसे हार्मोन सिक्रीट करता है जो शारीरिक बदलावों को शुरू करते हैं, उदाहरण के लिए ब्रेस्ट डेवलपमेंट, गुप्तांगों में बाल निकलना, भावनात्मक बदलाव होना और पीरियड की शुरुआत होना। यही नहीं इस दौरान बच्चों में मूड स्विंग जैसा बदलाव भी देखा जा सकता है। ऐसे में लड़कियों को अपने शरीर और रूप-रंग को लेकर अधिक जागरूकता होनी चाहिए।
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डॉ. नीमा शर्मा बताती हैं कि पेरेंट्स के लिए यह समझना बहुत ज़रूरी है कि यदि लड़कियों में 8 वर्ष की उम्र से पहले ही किशोरावस्था की शुरुआत हो जाए, तो यह असामान्य माना जाता है और इसे प्रिकॉशियस प्यूबर्टी (Precocious Puberty) भी कहा जाता है। ऐसी स्थिति में जांच और कारण के अनुसार उचित उपचार आवश्यक माना जाता है। वहीं अगर आप पीरियड्स के बारे में जानकारी देने के बारे में बात करें तो 7 साल की उम्र से ही बच्चियों को किशोरावस्था के बारे में और पीरियड्स के बारे में शिक्षा देना एक अच्छा विचार हो सकता है।
आजकल अर्ली प्यूबर्टी की वजह से कुछ बच्चियों में शुरुआती संकेत जैसे- स्तन का उभरना 7 से 8 साल की उम्र में भी दिखाई दे सकते हैं। ऐसे में अगर बच्चियों को अपने शरीर में होने वाले बदलावों की जानकारी होगी तो वो पीरियड्स आने पर अपने शरीर के बदलावों को समझ पाएंगी और उन्हें डर, भ्रम या शर्मिंदा जैसी भावनाएं नहीं महसूस होंगी। यही नहीं पेरेंट्स के इस कदम से बच्चियों में ज्यादा आत्मविश्वास आ सकता है और वो इन बदलावों को सहज रूप से स्वीकार कर सकती हैं।
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आप जब 7 साल की बच्ची को पीरियड के बारे में बता रही हैं तो सबसे पहले उन्हें शरीर की स्वच्छता जैसे बालों को साफ रखना, साफ कपड़े पहनना, मुख्य रूप से अंडरगार्मेंट्स साफ़-सुथरे पहनना जैसी बातों की जानकारी दें। बाद में आप धीरे-धीरे उन्हें पीरियड्स, भावनात्मक बदलाव और सेल्फरिस्पेक्ट के बारे में बता सकतीहैं। धीरे-धीरे दी गई यह शिक्षा बच्चों और पेरेंट्स के बीच भरोसा बढ़ा सकती है, शरीर संबंधी बदलावों के बारे में शर्म या डर को कम कर सकती है और गलत जानकारी या मजाक-उड़ाने जैसी समस्याओं को रोकने में मदद कर सकती है।

Steris Healthcare के Chairman, Jeevan Kasara का कहना है कि आजकल कम उम्र में ही लड़कियों में प्यूबर्टी आना काफी आम हो गया है। कई बच्चियों में सात या आठ साल की उम्र में ही शारीरिक बदलाव दिखाई देने लगते हैं। इस वजह से पेरेंट्स अक्सर उलझन में रहते हैं कि पीरियड के बारे में बात कब शुरू करनी चाहिए? हालांकि, 7 साल की बच्ची को पीरियड के बारे में वैज्ञानिक या बहुत विस्तृत जानकारी देने की जरूरत नहीं होती है, लेकिन उम्र के अनुसार शुरुआती और सरल जानकारी देना बच्ची को आत्मविश्वासी बनने में मदद करता है।
जब बच्चियां शुरुआत से ही शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में जान जाती हैं, तो वे पीरियड को एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में देखती हैं, न कि किसी डरावनी घटना की तरह। पेरेंट्स इस विषय को शांत और सरल तरीके से शुरू कर सकते हैं। उन्हें केवल इतना समझाना है कि जैसे-जैसे लड़कियां बड़ी होती हैं, उनके शरीर में कुछ बदलाव आते हैं और आगे चलकर उन्हें पीरियड का सामना भी करना पड़ता है, जो कि एक सामान्य प्रक्रिया है। पेरेंट्स और बच्चों के बीच खुला माहौल बनाए रखने से बच्ची अपने मन की बात या सवाल आसानी से पूछ सकती है, जिससे वो पहली बार पीरियड आने की स्थिति में घबराने से भी बच सकती है।
कम उम्र में ही पीरियड्स की जानकारी देना एक अच्छा निर्णय है, लेकिन आप इसके बारे में बच्चियों से बात करते समय पहले शरीर के शुरुआती लक्षणों के बारे में बताएं तो बेहतर होगा।
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