पीरियड की अनियमितता पीसीओएस या फिर पीसीओडी के कारण हो सकती है। ये दोनों ही समस्याएं महिलाओं के हार्मोन इंबैलेंस के कारण होती हैं। क्या आपको पता है कि इन दोनों कंडीशन में एक बड़ा अंतर है।
लाइफस्टाइल कोच डॉ. स्नेहल अळसुले ने इनके बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए इनके मुख्य अंतर शेयर किए हैं। पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि पीसीओडी का मतलब होता है पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज, जो एक हार्मोनल डिसऑर्डर है और यह ओवरीज को प्रभावित करता है। इस समस्या से पीड़ित महिलाओं की ओवरीज में कई सारी सिस्ट बन जाती हैं।
वहीं, पीसीओएस का मतलब पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है जो कई डिसऑर्डर दर्शाता है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के ओवरीज में सिस्ट भी हो सकते हैं लेकिन हार्मोनल असंतुलन प्राथमिक चिंता होती है, जिससे कई अलग लक्षण हो सकते हैं।
अगर इन दोनों को आप भी अब तक एक ही समझ रहे थे, तो चलिए डॉ. स्नेहल से जानें कि इनके बीच का मुख्य अंतर क्या है।
जैसा कि हमने ऊपर आपको बताया कि यह एक डिसऑर्डर है। इस स्थिति में, ओवरी में कई इमैच्योर एग्स होते हैं। ये एग्स अंतत: सिस्ट में बदल जाते हैं। जंक फूड, अधिक वजन, तनाव और हार्मोनल गड़बड़ी इस स्थिति को जन्म देते हैं। पीसीओडी के सामान्य लक्षण हैं अनियमित पीरियड्स, पेट के आसपास फैट बढ़ना, इंफर्टिलिटी और पुरुष पैटर्न हेयर लॉस। इस समस्या में अंडाशय आमतौर पर बड़े हो जाते हैं और बड़ी मात्रा में एंड्रोजन का स्राव करते हैं, जो महिला की प्रजनन क्षमता और उसके शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।
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पीसीओएस को एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर कहा जा सकता है, जो पीसीओडी से अधिक गंभीर समस्या है। इस स्थिति में अंडाशय पुरुष हार्मोन की अधिक मात्रा का उत्पादन करते हैं और इससे हर महीने अंडाशय में दस से अधिक फॉलिक्युलर सिस्ट बनते हैं। यह उन अंडों को रिलीज करने से रोकता है, जिससे एनोव्यूलेशन होता है। इसके लक्षणों में बालों का झड़ना, मोटापा और बांझपन शामिल (क्या है एनोवुलेटरी इन्फर्टिलिटी) हैं।
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पीसीओएस और पीसीओडी के बीच मुख्य अंतरों में से एक हार्मोन का स्तर है। पीसीओएस में एंड्रोजन हार्मोन का उच्च स्तर शामिल होता है, जबकि पीसीओडी में हार्मोनल असंतुलन शामिल नहीं होता है।
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जबकि दोनों स्थितियां अनियमित पीरियड्स और ओवेरियन सिस्ट का कारण बन सकती हैं, पीसीओएस को मुंहासे, बालों के झड़ने (बाल झड़ने के लक्षण) और चेहरे और शरीर पर बालों के अत्यधिक विकास जैसे अतिरिक्त लक्षणों के लिए जाना जाता है।
पीसीओएस के लिए, डॉक्टर्स कम से कम दो लक्षणों की तलाश करते हैं- अनियमित पीरियड्स, हाई एंड्रोजन लेवल और ओवरीज में सिस्ट। इनमें से यदि कोई लक्षण नजर आते हैं, तो मतलब आपको पीसीओएस है। इसी तरह पीसीओडी के लिए, ओवरीज में मल्टीपल सिस्ट और हार्मोनल असंतुलन के लक्षणों पर गौर किया जाता है।
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लक्षणों की गंभीरता और व्यक्तिगत जरूरतों के आधार पर उपचार अलग-अलग हो सकता है। हालांकि, पीसीओएस के लिए हार्मोन के स्तर को रेगुलेट करने पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है जबकि पीसीओडी के लिए अनियमित पीरियड्स और ओवेरियन सिस्ट जैसे लक्षणों के प्रबंधन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसके अलावा, इन दोनों कंडीशन्स में जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता ज्यादा होती है, जो इन दोनों का मूल कारण है।
ऐसी महिलाएं जो इन कंडीशन्स से गुजर रही हैं, उनके लिए ये शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से थकाने वाला होता है। आप हिम्मत न हारें और अपनी जीवनशैली को हेल्दी बनाएं। साथ ही, डॉक्टर की सलाह लेकर अपना ट्रीटमेंट जल्दी शुरू करें।
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