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महिलाओं में Fatty Liver और PCOS की वजह से बढ़ सकता है Diabetes का खतरा, जानें कैसे करें बचाव

डायबिटीज के मामले आजकल 20-30 साल की महिलाओं में भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। पीसीओएस और फैटी लिवर भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। दरअसल, इन दोनों कंडीशन्स में होने वाला इंसुलिन रेजिस्टेंस टाइप 2 डायबिटीज के लिए जिम्मेदार हो सकता है।  
Editorial
Updated:- 2025-11-18, 01:07 IST

डायबिटीज के मामले आजकल युवा महिलाओं में भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इसके पीछे गलत खान-पान और खराब जीवनशैली समेत कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि फैटी लिवर और पीसीओएस भी डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इन दोनों कंडीशन्स में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है और इसके कारण टाइप-2 डायबिटीज हो सकती है। ये दोनो हेल्थ कंडीशन्स कैसे डायबिटीज के खतरे को बढ़ाती हैं और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए, चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं। इस बारे में Dr. Pranav Ghody, Consultant Endocrinologist & Diabetologist, Wockhardt Hospitals, Mumbai Central जानकारी दे रहे हैं।

 पीसीओएस और फैटी लिवर कैसे बढ़ा सकता है डायबिटीज का खतरा?

diabetes controlling tea to balance blood sugar levels

  • एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आपको फैटी लिवर या पीसीओएस है, तो इसकी वजह से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। ऐसा इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण होता है। दरअसल, इंसुलिन हार्मोन, जो ब्लड से ग्लूकोज को सेल्स में पहुंचाने में मदद करता है और शरीर में एनर्जी बनाए रखने के लिए जरूरी होता है।
  • जब सेल्स इंसुलिन के लिए सही रिस्पॉन्स नहीं देती हैं, तो हमारा शरीर, ब्लड शुगर के लेवल को बनाए रखने के लिए इंसुलिन का ज्यादा सीक्रेशन रहता है। जब ऐसा लंबे समय तक होता है, तो इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बनता है। इस प्रोसेस में होने वाले इंबैलेंस की वजह से फैटी लिवर और पीसीओएस हो सकता है।
  • फैटी लिवर में, गलत खान-पान, ज्यादा मीठा खाने और एक्सरसाइज की कमी के कारण, लिवर सेल्स में चर्बी जमने लगती है।
  • अधिक वसा, इंसुलिन और ब्लड शुगर रेगुलेशन के मामले में लिवर के काम में बाधा डालती है। इसी तरह पीसीओएस में इंसुलिन का हाई लेवल, ओवरीज में अधिक मेल हार्मोन बनाने के लिए प्रेरित करता है। इंसुलिन प्रतिरोध के साथ होने वाला यह हार्मोनल इंबैलेंस, डायबिटीज के खतरे को बढ़ा दता है।
  • फैटी लिवर, शरीर में प्रो-इंफ्लेमेटरी केमिकल पैदा करता है, जो बॉडी को इंसुलिन रेजिस्टेंस बना देता है। जब फास्टिंग ब्लड शुगर बढ़ना शुरू हो जाती है, तो प्री-डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। फैटी लिवर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि शुरुआत में आमतौर पर इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं।
  • पीसीओएस एक मेटाबॉलिज डिजीज है। यह रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी होती है। पीसीओएस आमतौर पर महिलाओं में मेटाबॉलिज इंबैलेंस की तरफ इशारा करती है। इस स्थिति के कारण शरीर के लिए रक्त शर्करा को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है और मोटापे व उच्च कोलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ जाता है।
  • पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में टाइप-2 मधुमेह होने की संभावना अन्य महिलाओं की तुलना में कई गुना ज्यादा हो सकती है।

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फैटी लिवर और पीसीओएस को मैनेज करने के लिए क्या करें?

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  • रोजाना कम से कम 30-45 मिनट एक्सरसाइज करें ताकि इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार हो।
  • बैलेंस मील खाएं। डाइट में फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को शामिल करें।
  • रिफाइंड शुगर कम से कम खाएं।
  • ब्लड शुगर, लिवर फंक्शन और हार्मोनल इंबैलेंस की जांच करवाएं।
  • अगर अचानक से वजन बढ़ने लगे या थकान महसूस हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

 

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फैटी लिवर, डायबिटीज और पीसीओएस तीनों को ही मैनेज करने के लिए, सही डाइट और लाइफस्टाइल बहुत जरूरी है। हर जिंदगी के वेलनेस सेक्शन में हम इसी तरह अपने आर्टिकल्स के जरिए स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में आप तक सही जानकारी पहुंचाने की कोशिश करते रहेंगे।
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Image Credit:Freepik

 

 

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