हमारे देश में ऐसी कई महिलाएं हैं जो पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) से ग्रसित हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर 5 में से 1 महिला पीसीओएस से ग्रस्त है। यह एक ऐसी स्थिति है जो महिला के हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है।
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के शरीर में सामान्य से अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन का उत्पादन होता है। इस हार्मोन के असंतुलन की वजह मेंस्ट्रुअल साइकिल प्रभावित होती है।
पीसीओएस के लक्षण अक्सर प्यूबर्टी के दौरान, पहले मासिक धर्म के समय के आसपास विकसित होते हैं। हालांकि कभी-कभी यह बाद में वजन बढ़ने और जीवनशैली में बड़े बदलावों के कारण भी हो सकता है।
FAAD बोर्ड सर्टिफाइड डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. जयश्री शरद ने इसके कारण और ट्रीटमेंट के बारे में अपने सोशल मीडिया पर विस्तार से समझाया है। उन्होंने पोस्ट में बताया है, 'पीसीओएस महिलाओं में सबसे आम एंडोक्राइन डिसऑर्डर है, जो 8% से 13% महिलाओं को प्रभावित करता है। यह एंडोजन नामक पुरुष हार्मोन के बढ़े हुए स्तर के कारण होता है। पीसीओएस के संभावित कारण आनुवंशिकी, एपिजेनेटिक्स, मोटापा और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली हैं।'
अब सवाल है कि इसके संकेत क्या हैं? हमें कैसे पता चलेगा कि हम इस समस्या से ग्रस्त हैं? पीसीओएस के 3 मुख्य कारण डॉ. शरद ने बताए हैं। इसके साथ उन्होंने अन्य संकेतों को भी साझा किया है। इस समस्या से कैसे निदान पाने में मदद मिल सकती है, वो भी डॉ. शरद ने विस्तार से बताया है।
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पीसीओएस कई सारे लक्षणों का एक समूह है जो ओवरी और ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है। ओवरी में सिस्ट, पुरुष हार्मोन के स्तर में बढ़ोतरी और अनियमित पीरियड्स के कारण यह होता है।
पीसीओएस में कई सारी छोटी-छोटी फ्लुइड-फिल्ड सैक बनने लगते हैं। ये सैक दरअसल फॉलिकल होते हैं, जिनमें अपरिपक्व अंडा होता है। ये अंडे कभी इतना मैच्योर नहीं होते कि ओव्यूलेशन को ट्रिगर कर सकें।
ओव्यूलेशन न होने की वजह से एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, FSH और LH के लेवल में गड़बड़ी हो जाती है। प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होते हैं और एंड्रोजन लेवल बढ़ जाने से मेंस्ट्रुअल साइकिल प्रभावित होने लगती है। इसी कारण से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को कम पीरियड्स होते हैं।
अगर आपको पीसीओएस है तो शरीर में तरह-तरह के बदलाव होने लगते हैं। आपका शरीर आपको किसी न किसी तरह से संकेत देता रहता है। अगर आपके शरीर में ये 3 बदलाव बड़े स्तर पर दिख रहे हैं, तो हो सकता है कि आपको पीसीओएस हो-
चेहरे पर मुंहासों का होना- पीसीओएस से मुंहासे हो सकते हैं क्योंकि यह अंडाशय को एण्ड्रोजन नामक अधिक हार्मोन का उत्पादन करने का कारण बनता है, जो त्वचा में तेल के उत्पादन को उत्तेजित करता है। पीसीओएस वाले किसी व्यक्ति के चेहरे, पीठ, गर्दन और छाती पर मुंहासे हो सकते हैं।
बहुत ज्यादा बालों का झड़ना- क्या पीसीओएस के कारण बाल झड़ते हैं? इसका जवाब है- हां, बालों का झड़ना पीसीओएस के लक्षणों में से एक है। यह ज्यादातर एंड्रोजेनिक हार्मोन की अधिकता के कारण होता है जो पीसीओएस वाले लोगों में अक्सर होता है। इस वजह से मुंहासे, पतले बाल और बालों के झड़ने जैसी समस्या हो सकती है। इसी कारण से बाल कमजोर होने लगते हैं और आसानी से टूटने भी लगते हैं।
शरीर पर बालों की अत्यधिक होना- इस समस्या को हिर्सुटिज्म कहते हैं। पीसीओएस के साथ हिर्सुटिज्म और अनचाहे पीसीओएस चेहरे के बाल बहुत आम हैं। हिर्सुटिज्म को मोटे, काले बालों के रूप में देखा जा सकता है जो चेहरे, छाती, पेट, पीठ, ऊपरी बाहों या ऊपरी पैरों पर दिखाई दे सकते हैं। हिर्सुटिज्म एंड्रोजन नामक हार्मोन से जुड़े चिकित्सा विकारों का एक लक्षण है।
इसके अलावा शरीर में दिखने वालों बदलावों में अनियमित पीरियड्स, वजन का अचानक बढ़ना, बालों का पतला होना और बालों का झड़ना, आदि भी शामिल है।
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पीसीओएस का ट्रीटमेंट कई सारे फैक्टर पर भी निर्भर करता है। इसके साथ ही यह आपकी आपकी उम्र, आपके लक्षण और आपके ओवरऑल हेल्थ पर निर्भर करता है।
इसका ट्रीटमेंट आमतौर पर लाइफस्टाइल बदलावों जैसे वेट लॉस, डाइट और एक्सरसाइज पर काम करके शुरू होता है। अगर आप 5 से 10% भी वजन घटा लेती हैं तो भी मेंस्ट्रुअल साइकिल काफी हद तक ठीक हो जाती है। डॉ. शरद ने भी इसके ट्रीटमेंट के बारे में बताती हैं-
कई बार अनियमित पीरियड्स के कई कारण हो सकते हैं। हेयर फॉल की समस्या और वजन बढ़ने के भी कई कारण हैं, लेकिन यह समस्याएं अगर बढ़ रही हैं और गंभीर हो रही हैं तो आपको डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
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अगर आप भी अपने शरीर में ऐसे बदलाव देख रही हैं या ऐसी किसी भी समस्या से गुजर रही है, तो अपने डॉक्टर की सलाह लें। डाइट में किसी भी तरह का नया बदलाव खुद से करने की बजाय न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह लें।
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