
भारतीय विवाह परंपरा में 'तिलक', 'रोका' और 'सगाई' तीनों ही प्रमुख रस्में हैं, लेकिन इनके अर्थ, महत्व और किए जाने के तरीके में बड़ा अंतर होता है जिसे अक्सर लोग एक जैसा मान लेते हैं। ये तीनों ही रस्में शादी से पहले रिश्ते को औपचारिक रूप से पक्का करने का काम करती हैं, मगर हर एक का अपना विशिष्ट स्थान और सामाजिक महत्व है। ऐसे में आइये जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि तिलक, रोका एवं सगाई में क्या अंतर होता है?
रोका जिसे कहीं-कहीं 'छेका' या 'ठाका' भी कहा जाता है, शादी की दिशा में पहला और सबसे शुरुआती कदम है। इसका शाब्दिक अर्थ है 'रोकना'। इस रस्म का मुख्य उद्देश्य यह घोषणा करना है कि लड़का और लड़की दोनों के परिवारों ने अब अपने बच्चों के लिए जीवनसाथी की तलाश बंद कर दी है।
रिश्ते पर दोनों परिवारों की शुरुआती और औपचारिक सहमति जताना। यह एक बहुत ही साधारण और निजी समारोह होता है जिसमें केवल करीबी रिश्तेदार शामिल होते हैं। इसमें वधू पक्ष के लोग वर के माथे पर रोली और चावल लगाते हैं और उसे शगुन के तौर पर कुछ उपहार या नकद राशि देते हैं।
सगाई रोका के बाद का और शादी से ठीक पहले का चरण है। यह रस्म शादी का पहला आधिकारिक वादा है। दूल्हा और दुल्हन को भावनात्मक और सामाजिक रूप से एक-दूसरे के प्रति बांधना। यह रोका से अधिक भव्य और विस्तृत समारोह होता है जिसमें बड़ी संख्या में मेहमानों को आमंत्रित किया जाता है।
इसकी सबसे महत्वपूर्ण रस्म अंगूठी पहनाना है, जहां लड़का और लड़की एक-दूसरे को अंगूठी पहनाकर अपने रिश्ते को स्वीकार करते हैं। इस रस्म में भी अक्सर वर और वधू दोनों का तिलक किया जाता है। साथ ही गोद भराई और अन्य छोटे अनुष्ठान भी होते हैं।
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तिलक स्वयं में एक पूरा समारोह भी हो सकता है और रोका या सगाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी। 'तिलक' शब्द का अर्थ माथे पर रोली-चावल लगाने की रस्म से है, जो शुभकामना, सम्मान और स्वीकृति का प्रतीक है। कुछ क्षेत्रों में तिलक को एक अलग समारोह के रूप में भी मनाया जाता है जिसे 'टीका' या 'लग्न' भी कहते हैं।

इस समारोह में, दुल्हन के घर से पुरुष सदस्य दूल्हे के घर जाते हैं, उसका तिलक करते हैं और उसे शगुन देकर विवाह की रस्में आगे बढ़ाने की आधिकारिक शुरुआत करते हैं। इसमें दुल्हन शामिल नहीं होती है। रोका और सगाई दोनों ही समारोहों में तिलक करना सबसे पहली रस्म होती है जो दूल्हे का स्वागत करती है और रिश्ते की शुभ शुरुआत का प्रतीक होती है।
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